“बहुजन समाज का आरोप: चुनाव आयोग छीन रहा है वोट देने का हक़?
तीसरा पक्ष ब्यूरो,भागलपुर | 9 जुलाई, 2025: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण की चुनाव आयोग द्वारा चलाई जा रही प्रक्रिया के खिलाफ महागठबंधन के आह्वान पर आज राज्यव्यापी चक्का जाम का आयोजन किया गया. भागलपुर में यह आंदोलन ज़ोर पकड़ता नजर आया, जहाँ स्टेशन चौक पर सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार), बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार), बिहार फुले-अंबेडकर युवा मंच, मूलनिवासी संघ और नागरिक अभियान के कार्यकर्ताओं ने भारी संख्या में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
चुनाव आयोग पर भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप
सामाजिक न्याय आंदोलन (बिहार) के राज्य अध्यक्ष रामानंद पासवान और संयुक्त सचिव अर्जुन शर्मा ने चुनाव आयोग पर सीधे तौर पर आरोप लगाते हुए कहा कि,
“चुनाव आयोग भाजपा के एजेंडे पर काम कर रहा है. विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया दरअसल भाजपा के पक्ष में मतदाताओं की सूची तैयार करने की एक सोची-समझी साजिश है. हम इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे.”
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बहुजन वोटर्स को टारगेट करने का आरोप

बहुजन स्टूडेंट्स यूनियन (बिहार) के प्रतिनिधि सोनम राव और प्रवीण यादव ने कहा कि,
“चुनाव आयोग गरीब, दलित, महिला और युवा वोटर्स से उनका मताधिकार छीनने की कोशिश कर रहा है. यदि आयोग यह प्रक्रिया तुरंत वापस नहीं लेता है तो हम इससे बड़ा जनांदोलन छेड़ेंगे.”
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चक्का जाम को मिला जनसमर्थन
सामाजिक न्याय आंदोलन के संयोजक रिंकु यादव ने चक्का जाम की सफलता पर कहा,
“आज के आंदोलन को समाज के तमाम वर्गों से भारी समर्थन मिला है. यह जनता का स्पष्ट संदेश है कि वह संविधान से मिले अपने अधिकारों को किसी भी कीमत पर नहीं गंवाना चाहती.”
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आंदोलन में शामिल प्रमुख लोग:
इस चक्का जाम में कई सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी भी शामिल रहे, जिनमें
डा. उपेन्द्र साह, रिटायर्ड डीएसपी विष्णु रजक, उमेश बौद्ध, चंद्रहास यादव, सुरेश पासवान, शंकर दास, जयमल यादव, रामदेव यादव, प्रीतम कुमार, रविन्द्र दास, विजय दास, महेश अंबेडकर, योगेन्द्र दास, अभिषेक यादव, राणा कुमार, विष्णु दास, राहुल और मनोज प्रमुख रूप से उपस्थित थे.
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निष्कर्ष:
बिहार में चुनाव आयोग की कार्रवाई को लेकर जिस तरह से सामाजिक संगठनों और बहुजन समाज के प्रतिनिधियों में आक्रोश दिखा, वह आने वाले समय में राजनीतिक माहौल को और गर्मा सकता है. विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमले के रूप में देख रहा है, वहीं जनता में इस मुद्दे को लेकर जागरूकता बढ़ रही है.
क्या चुनाव आयोग इस जनदबाव के आगे झुकेगा या फिर यह टकराव और तेज होगा — यह आने वाला वक्त बताएगा.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.