दस साल, एक जुनून: भीम आर्मी का संघर्षपूर्ण सफर

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Ajit Kumar

भारत
दस साल, एक जुनून: भीम आर्मी का संघर्षपूर्ण सफर

शिक्षा, संगठन और प्रतिरोध के रास्ते पर बहुजन चेतना का उदय

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 21 जुलाई:भारत के सामाजिक न्याय आंदोलन की एक सशक्त आवाज़ भीम आर्मी आज अपने दसवें स्थापना दिवस और द्वितीय राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन गर्व, प्रतिबद्धता और संघर्ष की भावना के साथ कर रहा है. यह आयोजन केवल एक संगठन की वर्षगांठ नहीं है. बल्कि बहुजन समाज की दशकों पुरानी आकांक्षाओं, आत्मसम्मान और अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बन चुका है.

भीम आर्मी के संस्थापक और प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने इस ऐतिहासिक अवसर पर देश भर के युवाओं और संविधानप्रेमियों को संबोधित करते हुए कहा कि यह अधिवेशन महज़ एक सभा नहीं है. बल्कि भारत की जातिवादी संरचना को चुनौती देने वाले योद्धाओं की रणनीति का एक मंच है. उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भीम आर्मी की यात्रा सामाजिक चेतना, संगठन और संघर्ष के त्रिसूत्रीय सिद्धांत पर आधारित है. जिसकी नींव महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहू जी महाराज और डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे महान समाज सुधारकों ने रखा था.

शिक्षा, संगठन और संघर्ष – आंदोलन की रीढ़

चंद्रशेखर ने जोर देकर कहा कि भीम आर्मी ने बीते दस वर्षों में शिक्षा के माध्यम से बहुजन समाज को अधिकारों के प्रति जागरूक किया. संगठन के ज़रिए हाशिए पर खड़े समुदायों को एक मंच पर लाया. और हर अत्याचार के खिलाफ संविधान की रोशनी में आवाज़ उठाया.हमारा धर्म अब संघर्ष है.सामाजिक अन्याय के खिलाफ, और संविधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए.

युवाओं से आह्वान: ‘उठो, पढ़ो, सवाल करो’

अपने भाषण में उन्होंने भारत के युवाओं को सीधी चुनौती दिया कि “उठो, पढ़ो, सवाल करो, और अन्याय के खिलाफ संगठित हो जाओ. उन्होंने कहा कि यह लड़ाई सत्ता की नहीं है बल्कि समानता और इंसाफ का है. चाहे संसद हो या सड़क, न्यायालय हो या गांव की चौपाल – हर मंच पर संविधान के प्रहरी बनकर खड़ा होना आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है.

अडिग प्रतिज्ञा: न झुकेगी, न रुकेगी, न बिकेगी

भीम आर्मी प्रमुख ने अपने संदेश में यह स्पष्ट किया है कि संगठन किसी भी दबाव में झुकेगा नहीं, बिकेगा नहीं, और न ही रुकेगा. “हम बाबा साहेब, मान्यवर कांशीराम और तमाम महापुरुषों के सपनों को जमीन पर उतारने के लिए समर्पित हैं .उन्होंने दृढ़ता से कहा.

एक दशक, एक मिशन – भारत एकता की ओर

भीम आर्मी का यह दसवां वर्ष उन तमाम आंदोलनों की याद दिलाता है जो भारत में समता, न्याय और सामाजिक बदलाव के लिए लड़ा गया है.‘भारत एकता मिशन’ के तहत यह संगठन न केवल बहुजन समाज की आवाज़ बना. बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सामाजिक न्याय के संघर्ष का प्रतीक बन चुका है.

संविधान प्रेमियों को समर्पित

इस अवसर पर चंद्रशेखर आज़ाद ने भारत और विदेशों में बसे सभी संविधान प्रेमियों को बधाई और शुभकामनाएं दिया है . उन्होंने दोहराया कि यह आंदोलन सिर्फ भारत का नहीं बल्कि इंसाफ और बराबरी में विश्वास रखने वाले हर व्यक्ति का आंदोलन है.

जय भीम! जय भारत!

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