बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने पर सियासी भूचाल

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Kumar Ranjit

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बिहार में 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाने पर सियासी भूचाल

तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग को बताया गोदी आयोग

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 2 अगस्त:बिहार में चुनाव आयोग द्वारा 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने को लेकर विपक्ष ने मोर्चा खोल दिया है.राज्य के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने इस मामले में कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश करार दिया है.पटना स्थित अपने आवास, 01 पोलो रोड में आयोजित आज के संवाददाता सम्मेलन में तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया है.

क्या है मामला?

चुनाव आयोग ने SIR के तहत मतदाता सूची को अपडेट करने का कार्य प्रारंभ किया गया.इस प्रक्रिया के अंतर्गत बिना किसी सार्वजनिक नोटिस या राजनीतिक सहमति के प्रदेश भर में 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिया गया है.इसमें कई विधानसभा क्षेत्रों में 20 से 30 हजार मतदाता प्रभावित हुआ.तेजस्वी यादव ने इसे गंभीर लोकतांत्रिक उल्लंघन बताते हुए चुनाव आयोग पर कई सवाल दागे हैं.

तेजस्वी यादव के आरोपों की मुख्य बातें

बिना राजनीतिक दलों की सहमति के कार्रवाई
तेजस्वी ने कहा कि SIR की प्रक्रिया बिना किसी राजनीतिक विमर्श के शुरू किया गया.विपक्ष के सुझाव,जैसे आधार कार्ड, राशन कार्ड, जॉब कार्ड और EPIC नंबर को दस्तावेज़ के रूप में मान्यता देने को कहा गया लेकिन उसको भी नजरअंदाज कर दिया गया.

बूथवार सूची जारी क्यों नहीं?
नेता प्रतिपक्ष ने चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि यह प्रक्रिया निष्पक्ष होता तो बूथवार नामों की सूची सार्वजनिक किया जाता केवल विधानसभावार आंकड़ा देना लोगों को भ्रमित करने जैसा है.

आईएएस अधिकारियों तक के नाम काटे गए
तेजस्वी ने दावा किया कि राज्य के वरिष्ठ IAS अधिकारी व्यास जी और उनकी पत्नी का नाम भी मतदाता सूची से गायब कर दिया गया है.उन्होंने कहा कि अगर अधिकारियों के साथ ऐसा हो सकता है. तो आम जनता का क्या होगा?

स्वयं तेजस्वी का नाम भी गायब
तेजस्वी यादव ने मीडिया के सामने अपनी EPIC ID (RAB2916120) दर्ज कर अपनी मतदाता स्थिति चेक किया लेकिन वेबसाइट पर “No Found” दिखा.
इससे उन्होंने चुनाव आयोग की वेबसाइट और पूरी प्रणाली की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाये.

चुनाव आयोग बन गया है गोदी आयोग
तेजस्वी ने कहा कि आयोग पूरी तरह एकतरफा तरीके से काम कर रहा है. और विपक्ष की बात सुनने को तैयार नहीं है. उन्होंने आयोग पर राजनीतिक निर्देशों पर काम करने का आरोप लगाया और कहा कि यह स्वतंत्र चुनाव आयोग नहीं है यह गोदी आयोग’ बन चुका है.

प्रवासी मजदूर और आमजन के लिए यह संकट क्यों बड़ा है?

बिहार से लाखों की संख्या में लोग रोज़गार के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं. तेजस्वी ने सवाल उठाया कि क्या हर बार वे अपने नाम की जांच के लिए बिहार आ पाएंगे? उन्होंने इस प्रक्रिया को प्रवासी वोटरों के खिलाफ षड्यंत्र बताया है.

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चुनाव आयोग की जवाबदेही तय होनी चाहिए

तेजस्वी ने कहा कि आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि,

  • किन लोगों के नाम काटे गए हैं?
  • इसके पीछे क्या आधार या दस्तावेज़ हैं?
  • कितने लोगों के दो जगह नाम थे?
  • कितने की मृत्यु हुई?
  • कितनों ने पता बदला?

जब तक यह जानकारी सार्वजनिक नहीं किया जाता है तब तक यह प्रक्रिया पारदर्शी नहीं माना जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग

तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए.ताकि लाखों वोटरों के अधिकार सुरक्षित रह सकें और लोकतंत्र को आघात न पहुंचे.

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उठे सवाल

उन्होंने कहा कि जब स्वयं उनका नाम वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं है. तो इससे वेबसाइट की विश्वसनीयता ही प्रश्नों के घेरे में आ जाता है. उन्होंने वेबसाइट को फर्जी और भ्रामक बताते हुए कहा कि इससे आम मतदाता भ्रमित और असहाय हो रहा हैं.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में और कौन थे मौजूद?

तेजस्वी यादव के साथ इस संवाददाता सम्मेलन में पूर्व मंत्री आलोक कुमार मेहता, राजद के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव, छात्र राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नवल किशोर यादव, और प्रवक्ता एजाज अहमद भी मौजूद थे.

क्या कहता है लोकतंत्र का भविष्य?

बिहार में आगामी चुनावों से पहले इस मुद्दे ने राज्य की सियासत में गर्मी ला दिया है. यदि विपक्ष के आरोप सही साबित होता हैं. तो यह भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी हो सकता है.अब यह देखना अहम होगा कि क्या चुनाव आयोग इस मुद्दे पर पारदर्शिता दिखाता है या फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक जाता है.

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