कहा,जब सरकार कमजोर होती है तब अफसरशाही बेलगाम हो जाती है!
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,1 अगस्त बिहार की राजनीति में एक बार फिर उबाल आ गया है. विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष और मल्लाह पुत्र के नाम से चर्चित नेता मुकेश साहनी ने राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था पर सीधे-सीधे सवाल खड़ा करते हुये बिहार सरकार की कार्यप्रणाली पर बड़ा हमला बोला है. मुकेश साहनी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स अकाउंट @sonofmallah से लिखा है कि,
जब सरकार कमजोर होती है, तब अफसरशाही बेलगाम हो जाती है! बिहार आज उसी दौर से गुजर रहा है!
साहनी का यह बयान सिर्फ एक ट्वीट नहीं है बल्कि एक बड़ा राजनीतिक संदेश है. जो राज्य की सत्ता को सीधे तौर पर चुनौती देता है.
क्या है इस बयान के पीछे की राजनीति?
मुकेश साहनी लंबे समय से बिहार की सत्ता में भागीदारी की मांग करते आये.वे खुद को पिछड़ा वर्ग विशेषकर निषाद समुदाय का प्रमुख नेता मानते हैं और उनकी राजनीति इसी वर्ग के इर्द-गिर्द केंद्रित है.सरकार से बाहर होने के बाद उन्होंने कई बार नीतीश सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाये हैं.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान एक सोची-समझी रणनीति के तहत दिया गया है.जिससे साहनी अपने को विपक्ष के एक मजबूत चेहरे के रूप में स्थापित कर सकें.
अफसरशाही बनाम लोकतंत्र: बिहार में किसकी चलेगी?
बिहार में बीते कुछ महीनों में जनता जनप्रतिनिधि और छोटे नेताओं की शिकायतें आम बात होता जा रहा हैं. अफसर नहीं सुनते!” चाहे ज़मीन से जुड़े मसले हों या विकास कार्यों की गति हो ऐसा प्रतीत हो रहा है कि नौकरशाही स्वतंत्र रूप से फैसले ले रहा है और सरकार चुप है.
साहनी का बयान इसी चिंता को बुलंद करता है.उनका इशारा साफ है कि बिहार में नेताओं की नहीं बल्कि अफसरों की चल रही है.
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क्या वाकई सरकार की पकड़ ढीली पड़ चुकी है?
मुकेश साहनी ने कोई विभागीय आंकड़ा नहीं दिया है लेकिन जो संकेत उन्होंने दिये हैं. वो राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण हैं. जो कभी सत्ता के साथ खड़े थे.अब वही मुकेश साहनी सरकार की नीतियों पर सीधा वार कर रहे हैं. उनके अनुसार जब सरकार खुद दिशाहीन हो जाता है.तो सिस्टम पर अधिकारियों का शिकंजा कसने लगता है. और आम जनता इसमें पिसती चली जाती है.
राजनीति के जानकारों का कहना है कि साहनी अपनी बात कहकर सीधा जनता की दुखती रग पकड़ना चाहते हैं.जो अंदर ही अंदर सरकार से नाराज़ है.लेकिन अब तक उसकी आवाज किसी ने नहीं उठाया था.
VIP का सियासी दांव:जनता बनाम व्यवस्था
बिहार में VIP पार्टी अपनी खोई ज़मीन वापस हासिल करने की कोशिश में लगे हुये है.यह बयान सिर्फ सरकार पर हमला नहीं है बल्कि एक तरह से जनता बनाम अफसरशाही का नैरेटिव तैयार करने की शुरुआत हो सकता है.साहनी का फोकस साफ है: पिछड़े, गरीब और हाशिये पर खड़े वर्गों की बात करो. और दिखाओ कि सत्ता उनके खिलाफ खड़ा है.
विपक्ष की नजर में साहनी की बढ़ती धार
महागठबंधन हो या NDA, दोनों खेमों की नजर VIP के वोट बैंक पर है. ऐसे में मुकेश साहनी की हर एक सोशल पोस्ट अब राजनीतिक दृष्टि से अहम माना जा रहा है.
अब ये चर्चा तेज़ हो गई है कि मुकेश साहनी आने वाले चुनाव में बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और अफसरों की मनमानी को बड़ा मुद्दा बनाने वाले हैं.
निष्कर्ष: यह ट्वीट नहीं, सत्ता को चेतावनी है!
मुकेश साहनी का यह बयान न सिर्फ सरकार पर एक कड़ा प्रहार है. बल्कि जनता को जगाने की कोशिश भी है यह एक सीधा संदेश है.कि यदि सरकार सोई रहेगी. तो सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक सवाल पूछने वाले अब चुप नहीं रहेंगे.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.