बिहार विधानसभा से उठी आवाज राजेश कुमार बोले,अब चुप रहना गुनाह है

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Ajit Kumar

बिहार
बिहार विधानसभा से उठी आवाज़ राजेश कुमार बोले – अब चुप रहना गुनाह है

राजेश कुमार का बड़ा बयान: वोट चोरी और गुंडाराज से लोकतंत्र को खतरा!

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,23 जुलाई: बिहार के सियासत इन दिनों अस्थिरता और आरोप-प्रत्यारोप के दौर से गुजर रहा है. विपक्ष की आवाज़ विधानसभा से लेकर सोशल मीडिया तक लगातार गूंज रहा है. इसी कड़ी में राजनेता और सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार (@rajeshkrinc) का एक ट्वीट सुर्खियों में है. जिसमें उन्होंने बिहार में लोकतंत्र के मौजूदा हालात पर गहरी चिंता व्यक्त किया है.

बिहार के लोकतंत्र पर हमला – चुप्पी अब गुनाह है!”

राजेश कुमार ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स हैंडल पर एक ज़ोरदार बयान देते हुए कहा कि ,

“बिहार के लोकतंत्र पर हमला,चुप्पी अब गुनाह है! विधानसभा के दरवाज़े से आवाज़ उठाई वोट चोरी, हत्या और गुंडाराज के खिलाफ. यह लड़ाई सिर्फ विपक्ष की नहीं हर उस बिहारी की है जो अपने वोट को अपना भविष्य मानता है. हम जनता के अधिकार के लिए खड़े हैं. न्याय मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी.”

इस ट्वीट के ज़रिये राजेश कुमार ने स्पष्ट रूप से संकेत दिया कि बिहार कि वर्तमान राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था आम जनता के अधिकारों को कुचल रहा है. उनके अनुसार यह सिर्फ राजनीतिक प्रतिरोध नहीं है बल्कि जन आंदोलन की शुरुआत है.

जनता की आवाज़ या सियासी रणनीति?

राजेश कुमार का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य में अपराध, भ्रष्टाचार और प्रशासनिक विफलताओं को लेकर सरकार लगातार विपक्ष के निशाने पर रहा है.

विधानसभा के बाहर प्रदर्शन और सोशल मीडिया के ज़रिए मुखर आवाज़ उठाना आज के समय में एक नया राजनीतिक हथियार बन चुका है. लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे जमीनी बदलाव आएंगे? या फिर यह भी सियासत का हिस्सा भर बनकर रह जाएगा?

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वोट की ताकत को लेकर सीधा संदेश

राजेश कुमार ने खास तौर पर “वोट चोरी” का ज़िक्र किया है. जो लोकतंत्र की सबसे मूल भावना. जनादेश की पवित्रता. पर सीधा हमला माना जा सकता है. उनका कहना है कि हर वह बिहारी जो अपने वोट को भविष्य मानता है. उसे इस लड़ाई का हिस्सा बनना चाहिये.

यह बयान न केवल चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाता है.बल्कि यह संकेत भी देता है कि आने वाले समय में जन जागरूकता अभियान की शुरुआत किया जा सकता है .

लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा की पुकार

राजेश कुमार के इस ट्वीट को लेकर उनके समर्थकों और कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सिर्फ एक पोस्ट नहीं बल्कि बिहार में लोकतांत्रिक चेतना को जगाने की पहल है. वे इस मुद्दे को केवल सरकार के विरोध तक सीमित नहीं रखते. बल्कि इसे हर आम नागरिक की जिम्मेदारी बताते हैं.

उनका मानना है कि जब लोकतंत्र खतरे में हो तब चुप्पी गुनाह होता है.

आने वाले समय में क्या हो सकता है?

विधानसभा में हंगामा और बहस बढ़ सकता है.

राजनीतिक दलों के बीच टकराव और तेज़ होगा.

चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता पर फिर सवाल उठ सकता हैं.

राजेश कुमार किसी जनआंदोलन या जनसंवाद यात्रा की शुरुआत कर सकते हैं.

निष्कर्ष:

बिहार की राजनीति में यह बयान एक मोड़ की तरह देखा जा सकता है. जिस प्रकार से राजेश कुमार ने लोकतंत्र और आम वोटर की चिंता को सार्वजनिक मंच पर उठाया है.वह दर्शाता है कि अब सियासी विमर्श में जमीनी मुद्दों की वापसी हो रहा है.

क्या बिहार की जनता इस पुकार को सुनकर लोकतांत्रिक अधिकारों के लिए खड़ी होगा ? या फिर यह आवाज़ भी बाकी नारों की तरह हवा में खो जाएगा ?

इसका उत्तर आने वाले हफ्तों और महीनों में बिहार की राजनीति खुद देगा.

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