बदलाव की दहलीज पर बिहार

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Ajit Kumar

बिहार
बदलाव की दहलीज़ पर बिहार: वोट चोरी के खिलाफ उठ खड़ी हुई जनता

वोट चोरी के खिलाफ उठ खड़ी हुई जनता !

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 27 अगस्त 2025—बिहार एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल के केंद्र में है. 2025 का विधानसभा चुनाव राज्य के भविष्य की दिशा तय करने जा रहा है.इस बार चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का नहीं बल्कि एक जनआंदोलन का रूप ले चुका है.भाकपा-माले के महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने स्पष्ट शब्दों में कहा है—यह बदलाव का चुनाव है.लोकतंत्र को बचाने की लड़ाई है.

वोट चोर, गद्दी छोड़’ बना जनआंदोलन का नारा

17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई वोटर अधिकार यात्रा अब एक शक्तिशाली जनांदोलन में बदल चुकी है. दीपंकर भट्टाचार्य कहते हैं कि यह यात्रा केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि बिहार और देशभर में लोकतंत्र के पुनर्स्थापन की पुकार बन चुकी है. वोट चोर, गद्दी छोड़ का नारा अब सीमाओं को लांघते हुए राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बन गया है.

एसआईआर की आड़ में लोकतंत्र पर हमला?

एसआईआर,प्रक्रिया के तहत बड़ी संख्या में लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जाने का आरोप सामने आया है. भट्टाचार्य का दावा है कि लगभग 20% प्रवासी बिहारियों को बाहरी कहकर सूची से हटा देने की योजना बनाई गई थी.जीवित लोगों को मृत दिखाना, महिलाओं के नाम काटना—यह सब एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा था.

लेकिन पटना में 9 जुलाई को हुए ऐतिहासिक प्रदर्शन और जनता की एकजुटता ने इस षड्यंत्र को असफल कर दिया. कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा महादेवन सीट पर वोट चोरी के खुलासे ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय बहस में ला खड़ा किया.

नीतीश-मोदी की जोड़ी पर सीधा हमला

दीपंकर भट्टाचार्य ने नीतीश कुमार की सरकार को पूरी तरह विफल बताया.उनका कहना है कि दो दशक के शासन के बावजूद बिहार आज भी भ्रष्टाचार और अपराध के चंगुल में है. उन्होंने आरोप लगाया कि अब बिहार का शासन असल में दिल्ली से चलाया जा रहा है.और नीतीश कुमार केवल एक मुखौटा बनकर रह गए हैं.

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बागमती तटबंध और विकास के नाम पर लूट

भट्टाचार्य ने बागमती क्षेत्र में हो रहे तटबंध निर्माण पर भी सवाल उठाए.उन्होंने कहा कि जहां इंद्रपुरी जलाशय जैसी ज़रूरी परियोजनाओं को नज़रअंदाज़ किया जा रहा है, वहीं बागमती पर जनता की इच्छा के विरुद्ध निर्माण कार्य हो रहा है—यह सब “लूट के लिए विकास” का एक और उदाहरण है.

सामाजिक न्याय बनाम दिखावटी राजनीति

आरक्षण और सामाजिक न्याय के मुद्दे पर भी उन्होंने सरकार को घेरा। उनके अनुसार, इतिहास गवाह है कि जब-जब सामाजिक न्याय की बात उठी, तब-तब सत्ताधारी वर्गों ने भ्रम फैलाने का काम किया. आज वही लोग ओबीसी का नाम लेकर सामाजिक न्याय के आंदोलन को गुमराह कर रहे हैं.

बिहार तय करेगा देश की दिशा?

वोटर अधिकार यात्रा अब महज एक आंदोलन नहीं, बिहार की उम्मीद बन चुकी है. दीपंकर भट्टाचार्य का मानना है कि बिहार से शुरू हुआ यह संघर्ष देशभर में लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की चेतना फैलाएगा.

जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहा है. यह साफ होता जा रहा है कि बिहार अब निर्णायक मोड़ पर है। क्या राज्य एक नई राजनीतिक सुबह देखेगा? क्या जनता वोट की चोरी रोक पाएगी? आने वाले हफ्तों में ये सवाल देशभर की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं.

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