विशेष गहन पुनरीक्षण का कार्य तत्काल बंद करो!लोकतंत्र, संविधान पर हमला बंद करो!
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 8 जुलाई:बिहार की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है. 9 जुलाई 2025 को पूरे राज्य में “वोटबंदी” के खिलाफ चक्का जाम की घोषणा की गई है. यह आह्वान छात्र संगठन आइसा (AISA) ने किया है, जिसका समर्थन कई श्रमिक संगठनों और विपक्षी दलों ने भी किया है.

आइसा की चेतावनी: यह ‘विशेष गहन पुनरीक्षण नहीं, वोट अधिकार पर हमला है!
राज्य अध्यक्ष प्रीति कुमारी और राज्य सचिव सबीर कुमार ने एक संयुक्त बयान में आरोप लगाया कि बिहार में चल रहा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम असल में एक सुनियोजित वोटबंदी अभियान है.उनका कहना है कि इसके जरिए करोड़ों गरीब, दलित, वंचित, छात्र और युवा जिन्हें पहले से ही सामाजिक और आर्थिक रूप से पीछे रखा गया है.अब उनके मताधिकार को भी छीनने की कोशिश की जा रही है.
बयान में उन्होंने भाजपा और जदयू की डबल इंजन सरकार के साथ-साथ जीतन राम मांझी और चिराग पासवान पर भी तीखा हमला बोला.आइसा का आरोप है कि ये सभी नेता संघी एजेंडे के तहत काम कर रहे हैं और चुनाव आयोग भाजपा की “एजेंट” की भूमिका निभा रहा है.
सत्ता की सामंती साजिश के खिलाफ बिगुल!
बिहार में सदियों से ग़रीबी और सामाजिक असमानता की मार झेलते आ रहे समुदायों के ऊपर अब मतदाता सूची से नाम काटने का संकट मंडरा रहा है. आइसा का कहना है कि सत्ता में बैठे सामंती चरित्र के लोग कभी नहीं चाहते कि गरीब, दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग अपने हक़ के लिए संगठित हों या राजनीतिक रूप से सशक्त बनें.
यह सिर्फ वोट का सवाल नहीं है, यह लोकतंत्र की बुनियाद पर हमला है—ऐसा कहना है आइसा नेताओं का.
राष्ट्रीय मुद्दों पर भी समर्थन
आइसा ने केंद्रीय श्रमिक संगठनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल का भी समर्थन किया है, जिसमें शामिल हैं:
चार मजदूर विरोधी श्रम कोड का विरोध
आंगनवाड़ी, आशा और मिड डे मील कर्मियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की माँग
बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, और श्रमिकों के अधिकारों का मुद्दा
बिहार बंद की तैयारी: महागठबंधन और ट्रेड यूनियनों का समर्थन
9 जुलाई को बिहार में महागठबंधन, इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर और अन्य संगठनों की ओर से “वोटबंदी” के खिलाफ राज्यव्यापी चक्का जाम की घोषणा की गई है. आइसा ने बिहार के छात्र-युवाओं से अपील की है कि वे इस निर्णायक आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लें.
क्या है वोटबंदी?
यह शब्द आइसा और अन्य विपक्षी संगठनों द्वारा उस प्रक्रिया के लिए उपयोग में लाया जा रहा है, जिसमें लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाने की आशंका जताई जा रही है. विशेष रूप से गरीब, दलित, आदिवासी, मुस्लिम, और युवा मतदाताओं को निशाना बनाए जाने का आरोप है.
नारा गूंज रहा है
“मताधिकार बचाओ – लोकतंत्र बचाओ!”
9 जुलाई 2025 को बिहार के सड़कें सुनी नहीं रहेंगी.छात्र, मजदूर, किसान, और आम लोग वोट अधिकार और लोकतंत्र की रक्षा के लिए एकजुट होंगे.
आइसा और उसके सहयोगी संगठनों की यह हुंकार सत्ता के गलियारों तक गूंजने को तैयार है.

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