पहले जनसंहार, अब न्याय-संहार – बिहार चुनाव में भट्टाचार्य का सियासी वार
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,26 सितंबर 2025 – बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीति में तेजी से बयानबाजी और मुद्दों की लड़ाई तेज हो गई है. इसी क्रम में आज पटना में आयोजित पाटलिपुत्र दलित सम्मेलन में भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने एक बड़ा राजनीतिक हमला बोला है. उन्होंने कहा कि “बिहार में चुनाव से पहले एसआईआर का हमला हो रहा है. वोट के अधिकार की रक्षा के लिए हम लड़ रहे हैं और इसे जीतना है.

इस भाषण में उन्होंने डॉ. भीमराव अंबेडकर के आंदोलन, आरक्षण, भूमि सुधार, शिक्षा अधिकार, नई शिक्षा नीति, भूमि हड़पने की राजनीति और गरीबों के मुद्दों को उठाया है.साथ ही, नीतीश कुमार और बीजेपी दोनों पर कड़ा प्रहार किया है.
डॉ. अंबेडकर से प्रेरणा: पानी सत्याग्रह से लेकर संविधान तक
दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि आज की लड़ाई को समझने के लिए हमें इतिहास से सबक लेना होगा.
1927 में डॉ. अंबेडकर ने पानी सत्याग्रह और मनु स्मृति दहन कर जातिगत भेदभाव के खिलाफ चेतना जगाई थी .
1936 में उन्होंने जाति उन्मूलन का नारा दिया, जो समाज के पूर्ण परिवर्तन की मांग थी.
उन्होंने शिक्षा, संघर्ष और संगठन को समानता और न्याय की कुंजी बताया.
भट्टाचार्य ने कहा कि “मार्क्स ने भी कहा था कि सबकी मुक्ति में ही मजदूरों की मुक्ति है.यही संदेश हमें आज के दौर में आगे बढ़ाना है.

आरक्षण और भूमि सुधार का सवाल
भाकपा(माले) महासचिव ने कहा कि आरक्षण का लाभ राजनीति, शिक्षा और नौकरियों में कुछ हद तक मिला है, लेकिन मीडिया और न्यायपालिका जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में यह नदारद है.
उन्होंने स्पष्ट कहा है कि,
भूमि सुधार जरूरी है ताकि गरीब के हिस्से में जमीन आये और वे आरक्षण का लाभ उठाने की स्थिति में आ सकें.
गरीब और भूमिहीन तब तक अपने अधिकारों का उपयोग नहीं कर सकते जब तक उन्हें जमीन पर हक न मिले.
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शिक्षा पर हमला और नई शिक्षा नीति की आलोचना
दीपंकर भट्टाचार्य ने नई शिक्षा नीति को गरीबों और दलितों के खिलाफ बताया है.
उन्होंने कहा कि यह नीति शिक्षा के अधिकार को सीमित करती है और गरीबों-बेबस वर्ग को और पिछे धकेलती है.
उन्होंने जेएनयू पर हुए हमलों को भी इसी साजिश का हिस्सा बताया.
भाकपा(माले) विधायक मनोज मंजिल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा –
मनोज मंजिल ने सड़क पर स्कूल आंदोलन छेड़ा, लेकिन सरकार ने उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाकर सजा दिलवाई और सदस्यता खत्म कर दिया . ये वही लोग हैं जो भूमि सुधार के भी विरोधी रहे हैं.
नीतीश कुमार और आयोगों की अनदेखी
नीतीश कुमार की आलोचना करते हुए दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि उन्होंने,न्याय के साथ विकास का नारा दिया था और भूमि सुधार एवं शिक्षा सुधार आयोग बनाए थे.
भूमि सुधार आयोग ने गरीबों के लिए जमीन सुनिश्चित करने की बात रखी.
शिक्षा सुधार आयोग (मुछकुन्द दुबे की अध्यक्षता में) ने समान स्कूल प्रणाली की सिफारिश की.
लेकिन, नीतीश सरकार ने इन दोनों आयोगों की रिपोर्ट लागू नहीं की.भट्टाचार्य के अनुसार, जिन लोगों ने इन रिपोर्टों का विरोध किया था, वे आज भी सत्ता में प्रभावी हैं.
बीजेपी पर हमला: झुग्गी से बुलडोजर तक
भट्टाचार्य ने बीजेपी की “जहां झुग्गी वहीं मकान” की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि आज उन्हीं गरीबों के घरों पर बुलडोजर चल रहे हैं.
उन्होंने आरोप लगाया कि –
नीतीश कुमार के पास गरीबों को जमीन देने के लिए कुछ नहीं था, लेकिन अडानी को 1050 एकड़ जमीन मात्र एक रुपये में दे दी गई.
मोदी सरकार ने “एक पेड़ मां के नाम” का नारा दिया, लेकिन हकीकत में लाखों पेड़ कटवा दिए.
जनसंहार से न्याय-संहार तक
दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि पहले जनसंहार हुआ और अब न्याय-संहार हो रहा है. गरीब, दलित और पिछड़े वर्ग के अधिकारों पर लगातार हमले हो रहे हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि –
मोदी जी हर मंच से बांग्लादेशी घुसपैठ की बात करेंगे, लेकिन शिक्षा और रोजगार जैसे असली मुद्दों पर चुप रहते हैं.यही असली सच्चाई है.
निष्कर्ष
बिहार चुनाव 2025 में सामाजिक न्याय, शिक्षा, भूमि सुधार और वोट के अधिकार जैसे मुद्दे केंद्र में आ गए हैं. भाकपा(माले) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और संविधान की मूल भावना को बचाने की है.
उन्होंने साफ संदेश दिया –
“वोट के अधिकार की रक्षा हमारी सबसे बड़ी लड़ाई है और इसे जीतना ही होगा.

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