बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के बीच गहराता संवाद

| BY

Ajit Kumar

बिहार
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: चुनाव आयोग और राजनीतिक दलों के बीच गहराता संवाद

चुनाव से पहले बढ़ी हलचल: आयोग और दलों की टकराहट तेज

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 19 जुलाई: बिहार विधानसभा चुनावों की उल्टी गिनती शुरू होते ही राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी) और विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के बीच एक महत्वपूर्ण बैठक आज पटना में आयोजित हुआ. इस बैठक में चुनाव तैयारियों की समीक्षा के साथ-साथ मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर तीखी चर्चाएं देखने को मिला.

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बैठक में बताया कि अब तक लगभग 90% मतदाता प्रपत्र जमा हो चुका हैं. जो चुनावी प्रक्रिया की दिशा में एक अहम कदम है. हालांकि महागठबंधन में शामिल दलों ने इस पुनरीक्षण प्रक्रिया को लेकर गंभीर आपत्ति जताया है.

महागठबंधन का आरोप: वंचित तबकों के अधिकारों पर हमला

राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बैठक में जोर देकर कहा कि चुनाव की घोषणा निकट होने के बावजूद विशेष गहन पुनरीक्षण को लागू करना पूरी तरह से अनुचित और संवैधानिक अधिकारों का हनन है.उन्होंने कहा कि यह एक सोची-समझी रणनीति लगता है जिसके माध्यम से गरीबों, दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को उनके मतदान अधिकार से वंचित किया जा रहा है.

गगन ने आगे यह भी कहा कि सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में विभिन्न आदेशों की खबरों से आम जनता में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गया है. उन्होंने आयोग से मांग किया कि स्थिति को स्पष्ट करने के लिए एक आधिकारिक दिशा-निर्देश अधिसूचित किया जाये.

प्रपत्रों की पावती न देना गंभीर चिंता का विषय

प्रपत्रों की पावती न देना गंभीर चिंता का विषय

राजद प्रवक्ता ने इस बात पर भी नाराजगी जताया कि बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा मतदाता प्रपत्र की पावती नहीं दिया जा रहा है. जिससे मतदाताओं के पास कोई सबूत नहीं रहेगा कि उन्होंने प्रपत्र जमा किया है. उन्होंने इस प्रक्रिया को पारदर्शिता और जवाबदेही की दृष्टि से बेहद त्रुटिपूर्ण बताया है

डैशबोर्ड पर विधानसभा वार डेटा सार्वजनिक करने की मांग

गगन ने यह भी याद दिलाया कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन के नेताओं ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मिलकर डिजिटल डैशबोर्ड के माध्यम से विधानसभा-वार प्रतिदिन जमा होने वाले फॉर्म की जानकारी सार्वजनिक करने की मांग किया था. इस पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुआ है. जबकि यह पारदर्शिता की दिशा में एक जरूरी कदम हो सकता है.

यह भी पढ़े :नालंदा जिला :पावापुरी में कर्ज बना मौत का कारण धर्मेंद्र ने गंवाया पूरा परिवार
यह भी पढ़े :प्रियंका भारती का तीखा प्रहार: चुनाव आयोग से लेकर नीतीश-प्रशांत तक

हागठबंधन का सुझाव: पहले से प्रकाशित मतदाता सूची को ही आधार बनाया जाए

राजद ने आयोग से अनुरोध किया है कि इसी वर्ष संक्षिप्त पुनरीक्षण के बाद प्रकाशित हुई मतदाता सूची को ही आगामी चुनाव के लिए आधार बनाया जाये .प्रवक्ता के अनुसारअब इतने कम समय में विशेष गहन पुनरीक्षण संभव नहीं है और इससे चुनावी प्रक्रिया में अनावश्यक जटिलता और विवाद उत्पन्न हो सकता है.

बैठक में सभी प्रमुख दलों की भागीदारी

इस बैठक में राजद के अलावा कांग्रेस, भाकपा माले, सीपीआई, सीपीएम, जदयू और भाजपा सहित कई प्रमुख दलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.राजद की ओर से प्रवक्ता चित्तरंजन गगन, प्रदेश महासचिव मदन शर्मा और मुख्यालय प्रभारी मुकुंद सिंह उपस्थित थे.

इस प्रकार जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहा है राजनीतिक दलों और चुनाव आयोग के बीच संवाद और मतभेद की यह प्रक्रिया राज्य के लोकतांत्रिक वातावरण को और अधिक तीव्र बना रहा है.आने वाले दिनों में आयोग की ओर से इस पर क्या निर्णय आता है यह देखना दिलचस्प होगा.

Trending news

Leave a Comment