तेजस्वी यादव: युवाओं की उम्मीद या सियासी जिद?
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,17 अक्टूबर 2025— बिहार की सियासत एक बार फिर अपने चरम पर है.चुनावी बिगुल बज चुका है, और अब पूरा प्रदेश सिर्फ एक सवाल पर टिका है — क्या नीतीश कुमार अपनी सत्ता की हैट्रिक पूरी करेंगे या तेजस्वी यादव नया इतिहास लिखेंगे?
2025 का यह चुनाव सिर्फ सरकार बदलने का नहीं, बल्कि राजनीतिक भविष्य तय करने वाला युद्ध माना जा रहा है.
नीतीश कुमार: स्थिरता और अनुभव की पहचान
जनता दल (यूनाइटेड) के नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से बिहार की राजनीति के सबसे स्थायी चेहरों में से एक हैं.
उनकी पहचान,सुसाशन बाबू के रूप में बनी, और NDA के साथ गठबंधन ने उन्हें कई बार सत्ता तक पहुँचाया.
पर इस बार स्थिति कुछ अलग है.
20 साल के शासन के बाद जनता के बीच थकान और असंतोष दोनों नजर आ रहा हैं.
बेरोजगारी, पलायन और शिक्षा जैसे मुद्दे विपक्ष के हथियार बने हुये हैं.
हालांकि, नीतीश सरकार सड़क, बिजली और कानून व्यवस्था के सुधारों को अपना सबसे बड़ा उपलब्धि बता रही है.

तेजस्वी यादव: युवाओं की उम्मीद या सियासी जिद?
दूसरी तरफ हैं तेजस्वी यादव, जो बिहार की युवा राजनीति का चेहरा बन चुके हैं.
RJD के नेता के रूप में उन्होंने खुद को बदलाव के प्रतीक के रूप में पेश किया है.
उनकी सभाओं में उमड़ती भीड़ और सोशल मीडिया पर एक्टिव उपस्थिति यह दिखाती है कि युवा वर्ग उनमें नई ऊर्जा देख रहा है.
तेजस्वी लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर हैं.
20 साल का शासन, लेकिन बिहार आज भी पिछड़ा है.
उनका फोकस बेरोजगारी, शिक्षा सुधार और निजी निवेश पर है.
RJD और कांग्रेस के साथ INDIA गठबंधन इस बार एकजुट रणनीति के साथ मैदान में उतर रहा है.
जातीय समीकरण और सामाजिक गणित
बिहार की राजनीति बिना जातीय समीकरण के अधूरी है.
इस बार कुर्मी, यादव, दलित और महादलित वोट बैंक निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं.
नीतीश कुमार का महादलित और महिला वोट बैंक NDA के लिए मजबूती देता है,
वहीं तेजस्वी यादव का MY (मुस्लिम-यादव) समीकरण उनके पक्ष में जाता है.
बीजेपी की भूमिका इस बार बेहद अहम है — खासकर शहरी क्षेत्रों और युवा वोटरों के बीच.
चुनावी वादे और असली मुद्दे
दोनों गठबंधन अपने घोषणापत्र में बड़े वादे कर रहे हैं .
NDA: विकसित बिहार, आत्मनिर्भर युवाओं के साथ.
INDIA गठबंधन: नौकरी, शिक्षा और सामाजिक न्याय.
पर ज़मीनी हकीकत में बेरोजगारी, महंगाई और पलायन ही इस बार का असली एजेंडा बनने जा रहा हैं.
त्योहारों के मौसम में महंगाई का असर जनता के मूड पर साफ देखा जा रहा है.
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सोशल मीडिया और प्रचार युद्ध
इस बार चुनाव डिजिटल जंग में बदल चुका है.
NDA जहां विकास और स्थिरता का प्रचार कर रहा है
वहीं RJD बदलाव और न्याय”की बात कर रही है.
सोशल मिडिया पर दोनों पार्टियों की टीमें लगातार मीम वॉर और स्लोगन बैटल चला रही हैं.
नीतीश है तो भरोसा है बनाम अबकी बार बदलाव सरकार — यही टोन अब जनता के बीच गूंज रही है.
जनता का मूड और ग्राउंड रिपोर्ट
ग्राउंड रिपोर्ट बताता है कि इस बार मुकाबला कांटे का है.
ग्रामीण इलाकों में NDA का प्रभाव कायम है, जबकि शहरी इलाकों और युवाओं में तेजस्वी की लोकप्रियता बढ़ी है.
महिलाओं में नीतीश की छवि अभी भी मजबूत है, वहीं बेरोजगार युवाओं का झुकाव RJD की ओर है.
निष्कर्ष: घमासान तय, फैसला जनता के हाथ
2025 का बिहार चुनाव सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि पीढ़ियों का मुकाबला है.
एक तरफ अनुभवी नेता नीतीश कुमार, तो दूसरी तरफ उभरता युवा चेहरा तेजस्वी यादव.
दोनों ही अपने-अपने दावों और जनसमर्थन के साथ मैदान में हैं.
अब देखना यह है कि बिहार की जनता स्थिरता को चुनती है या परिवर्तन को.
फिलहाल इतना तय है कि ,
बिहार में सियासी घमासान शुरू हो चुका है, और इसका नतीजा पूरे देश की दिशा तय कर सकता है.
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















