बिहार में भ्रष्टाचार का भयंकर स्वरूप: जनता के विश्वास की गिरती नींव

| BY

Ajit Kumar

बिहार
बिहार में भ्रष्टाचार का भयंकर स्वरूप: जनता के विश्वास की गिरती नींव

सड़कों से सत्ता तक फैला भ्रष्टाचार: बिहार की दर्दनाक तस्वीर !

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,5 अक्टूबर 2025 — बिहार में लाखों करोड़ के बेलगाम भ्रष्टाचार का यह आलम है कि चंद दिनों पहले बनी सड़कें धंस जाती हैं, सैकड़ों नवीन एवं निर्माणाधीन पुल-पुलिया भरभरा कर गिर जाता हैं, बांध टूट जाते हैं, नवनिर्मित भवन ढह जाता हैं … — यह बयान है Tejashwi Yadav का, जो उन्होंने अपनी X (Twitter) पोस्ट में साझा किया है .
Tejashwi का आरोप है कि यह सब कार्य भ्रष्ट मंत्रियों और अधिकारियों की मिलीभगत और राज्य में सुशासन के नाम पर चल रही सत्ता के नियंत्रण का परिणाम है.

इस लेख में हम इस गंभीर विषय की तह तक जाएंगे — दोष कौन, क्या कारण, जनता की अपेक्षा क्या होनी चाहिये और सुधार की राह क्या हो सकती है.

बिहार में हालिया घटनाएँ: लापरवाही की हदें पार

बिहार में हालिया घटनाएँ: लापरवाही की हदें पार

सड़कें, पुल, भवन — सब झुकते नजर

भविष्य में ऐसे हालात पर भरोसा करना जनता के लिए संभव नहीं रह गया है.

कुछ ही समय पहले बनी सड़कें धंस रहीं हैं, जो दिखाती हैं कि निर्माण गुणवत्ता पर संज्ञान नहीं लिया गया.

पुल और पुलिया गिरने की घटनाएँ राज्य में बढ़ी हैं — पुराने पुलों से लेकर नए-अधूरे पुलों तक.

बांधों की टूटने की घटना, भवनों का गिरना — ये संकेत हैं कि निर्माण के दौरान नियामक जाँच, मापदंडों का उल्लंघन और भ्रष्टाचार का प्रभाव है.
एक उदाहरण के तौर पर,भागलपुर जिले में एक पुल गिर गया, और कई अन्य जिलों में भी ऐसी घटनाएँ सामने आईं है .

क्यों ये घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं?

नीति व अनुपालन की कमी — निर्माण मानकों की अनदेखी।

घाटे का मटेरियल एवं घटिया उपकरण — निर्माण कंपनियों द्वारा सस्ते मटेरियल का उपयोग।

निगरानी तंत्र का भ्रष्ट नियंत्रण — अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच मिलीभगत.

अनुशासनहीनता और जवाबदेही का अभाव — दोषियों पर कार्रवाई की कमी, डर का माहौल राजनीति और नौकरशाही में.

Tejashwi Yadav का आरोप और जनता की नाराज़गी
मुख्य आरोप

Tejashwi ने अपनी पोस्ट और अन्य सार्वजनिक बयानों में निम्नलिखित बिंदुओं पर प्रकाश डाला है:

सरकार की उदासीनता — भ्रष्टाचार के बड़े मामलों पर कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।

शासन तंत्र का कब्जा — अचेत और अस्वस्थ मुख्यमंत्री को कब्जे में लेकर चंद अधिकारियों और नेताओं ने दिनदहाड़े नंगी लूट मचा रखी है.

जनता युद्ध छेड़ेगी — उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह भ्रष्टाचार अब ऐसा नहीं बर्दाश्त किया जाएगा — जनता आंदोलित होगी.

वायदे और दावे — उन्होंने वादा किया है कि सत्ता में आने पर भ्रष्ट अधिकारियों और मंत्रियों को दंडित किया जाएगा.

ये भी पढ़े :जननायक राहुल गांधी: सुप्रिया श्रीनेत ने मोदी सरकार पर साधा निशाना
ये भी पढ़े :पीरपैंती में अडाणी पावर प्रोजेक्ट: विकास नहीं, विनाश का सौदा – दीपंकर भट्टाचार्य

जनता की प्रतिक्रिया

लोकप्रियता और मीडिया प्रतिक्रियाएँ बताती हैं कि जनता इस आरोप-प्रत्यारोप से प्रभावित हुई है:

तेजस्वी की “Adhikar Yatra” में भारी जनसमर्थन दिख रहा है, जहाँ वे जनता की परेशानियों को सामने लाना चाहते हैं.

जनता का भरोसा टूट रहा है — विकास योजनाएँ धराशायी होती दिख रही हैं.

दोषी कौन? — विश्लेषण

शक्ति संरचनाएँ और गठजोड़

राजनीति और नौकरशाही का मिलन भ्रष्ट तंत्र को मजबूत बनाता है.

मंत्री, अधिकारी, ठेकेदार — एक त्रिकोण जिसमें लॉजिक कम और हाथ-पैसे का असर अधिक होता है.

बड़े “मछली” (उच्च स्तर के दोषी) अक्सर बच निकलते हैं, जबकि “छोटी मछलियां” ही जिम्मेदार ठहराई जाती हैं.

कार्रवाई की कमी

जांच एजेंसियों, विभागीय समितियों, लोक लेखा परीक्षक आदि पर दबाव या निष्क्रियता.
.
न्याय प्रक्रिया की धीमी गति और मामलों का लटकना.

राजनीतिक संरक्षण: दोषियों को साथी नेताओं या ऊँचे पदाधिकारियों का समर्थन.

सामाजिक-आर्थिक दबाव

बढ़ती आबादी, बजटाओं की सीमाएँ, समयबद्धता की मांग — ये दबाव भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं.

जनता की अपर्याप्त जागरूकता या भय — आवाज़ उठाने में हिचक.

उम्मीदें और ज़िम्मेदारियाँ: जनता, मीडिया और सरकार

जनता की भूमिका

जागरूकता और संघर्ष — भ्रष्टाचार की घटनाओं की सूचना, स्थानीय स्तर पर आवाज़ उठाना.

समूह शक्ति — समुदाय, नागरिक संगठन (NGO), लोकल मीडिया के साथ संघर्ष.

निर्वाचन निर्णय — ऐसे प्रतिनिधि चुनना जो जवाबदेही में विश्वास करते हों.

मीडिया की भूमिका

समय पर रिपोर्टिंग, विश्लेषण और अन्वेषण — भ्रष्टाचार मामलों को उजागर करना.

लोक संवाद का मंच — जनता की आवाज़ को महत्त्व देना.

नियमित सर्वेक्षण और पड़ताल — सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करना.

सरकार और प्रशासन की भूमिका

पारदर्शिता और जवाबदेही — सभी बड़े निर्माण परियोजनाओं में निगरानी, ऑडिट, सार्वजनिक रिपोर्टिंग.

स्वतंत्र जांच एजेंसियाँ — भ्रष्टाचार की जांच निष्पक्ष एवं समयबद्ध.

कानूनी सख्ती — दोषियों को दंड, धन की रिकवरी, अनुशासनात्मक कार्रवाई.

मानक निर्माण एवं नियम पालन — हर निर्माण को वैज्ञानिक दृष्टिकोण और तटस्थ जाँच से गुजरना चाहिये.

सुधार की राह: भ्रष्टाचार से लड़ने की रणनीति

सुधार क्षेत्र प्रस्तावित कदम

नियम व मानक — हर निर्माण परियोजना के लिए स्पष्ट मापदंड, मानकीकृत तकनीकी दिशानिर्देश

निगरानी तंत्र — तृतीय पक्ष ऑडिट, निगरानी समिति, GPS/ड्रोन निगरानी

पारदर्शिता — ऑनलाइन पोर्टल, रेगुलर रिपोर्ट, जनता की भागीदारी

सजा व रिकवरी — भ्रष्टाचारियों पर तेजी से मुकदमा, धन की वसूली, दण्डात्मक कार्रवाई

जनभागीदारी — नागरिक निगरानी समितियाँ, भ्रष्टाचार शिकायत पटल

संवेदनशीलता प्रशिक्षण अधिकारियों, इंजीनियरों व कर्मचारियों को नैतिकता व प्रबंधन प्रशिक्षण

निष्कर्ष

बिहार की यही कहानी नहीं है — देश के कई हिस्सों में यह दुर्दशा देखने को मिलती है — लेकिन समस्या को पहचानना पहला कदम है. तेजस्वी यादव का यह पोस्ट, जिस रूप में उन्होंने भ्रष्टाचार की जड़ों को उजागर किया है, जनता को एक चेतावनी भी है और संघर्ष का आह्वान भी.

यदि जनता संगठित हो, मीडिया सक्रिय रहे और शासन तंत्र जवाबदेह हो, तो यह “बेलगाम भ्रष्टाचार” पर लगाम मुमकिन है. लेकिन यह तभी मुमकिन होगा जब हम चुप न बैठें, आवाज़ उठाएँ और जागरूक लोकतंत्र की ताकत को पहचाने.

स्रोत: यह लेख तेजस्वी यादव के आधिकारिक X (Twitter) पोस्ट तथा The Telegraph, Hindustan Times, Economic Times और Newsclick में प्रकाशित संबंधित समाचार रिपोर्टों पर आधारित है

Trending news

Leave a Comment