बिहार में डर के खिलाफ तेजस्वी यादव की हुंकार, RJD ने साधा निशाना

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Ajit Kumar

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बिहार में डर के खिलाफ तेजस्वी यादव की हुंकार, RJD ने साधा निशाना

तेजस्वी यादव बोले – डर नहीं चाहिए नया बिहार चाहिए!

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना 21 अगस्त 2025 – जैसे-जैसे बिहार में चुनावी माहौल गर्म होता जा रहा है. वैसे-वैसे सियासी बयानबाज़ी भी तेज़ होते जा रहा है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने अपने सोशल मीडिया मंच X (पहले ट्विटर) पर एक भावनात्मक और तीखा संदेश साझा किया है. जिसमें राज्य की मौजूदा सरकार पर, डर की राजनीति फैलाने का आरोप लगाया गया है.

जस्वी यादव बोले – डर नहीं चाहिए नया बिहार चाहिए!

RJD के मुताबिक, बीते दो दशकों में बिहार की जनता को केवल भय, असुरक्षा और भ्रष्टाचार का सामना करना पड़ा है. लेकिन अब वक्त आ गया है कि जनता उस डर को हटाए और बदलाव की ओर अपना कदम बढ़ाये.

RJD का आरोप: सरकार ने डर को ही शासन बना दिया

  • RJD की पोस्ट में कहा गया है कि बिहार में आम आदमी आज कई स्तरों पर डर से घिरा हुआ है.
  • नौकरी की तलाश में भटकते युवाओं का बेरोजगारी का डर.
  • गांवों और कस्बों से बड़े शहरों की ओर हो रहे पलायन का डर.
  • हर साल बाढ़ से तबाही और प्राकृतिक आपदाओं का डर.
  • शिक्षा के टूटते ढांचे.,
  • इलाज की कमी.
  • और सबसे ज़्यादा – भ्रष्टाचार और अफसरशाही का डर.
  • RJD का कहना है कि आज हर घर में एक,डर बैठा हुआ है. और यह डर मौजूदा शासन का हि देन है.

चुनाव 2025:डर बनाम विकास की जंग

RJD के अनुसार, आने वाला विधानसभा चुनाव सिर्फ सरकार बदलने का नहीं बल्कि डर को हराने और भरोसे को बहाल करने का चुनाव होगा. पार्टी ने अपने नेता तेजस्वी यादव के 17 महीनों के उपमुख्यमंत्री कार्यकाल को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया है. जिसे वह ,प्रगति और विकास का दौर बताती है.

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तेजस्वी यादव: उम्मीद की एक नई तस्वीर

  • RJD का दावा है कि जब तेजस्वी यादव सत्ता में थे, तो
  • शिक्षा व्यवस्था में सुधार की शुरुआत हुई.
  • नौकरियों के लिए प्रक्रिया तेज़ हुआ .
  • और जनता को राहत देने वाले कई कदम उठाया गया.
  • पार्टी चाहती है कि राज्य को फिर वही स्थिर, पारदर्शी और जनमुखी शासन मिले.

क्या कहता है राजनीतिक विश्लेषण?

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि RJD की यह रणनीति युवाओं और मध्यम वर्ग को ध्यान में रखकर बनाया गया है.डर को भगाना है, तेजस्वी को लाना है .जैसे नारे जनता में भावनात्मक जुड़ाव पैदा करने का प्रयास कर रहा हैं.

जहाँ सत्ता पक्ष अपने कार्यों की उपलब्धियां गिनाने में जुटा है. वहीं RJD सीधे जनता के रोज़मर्रा के संघर्षों को मुद्दा बना रहा है.

निष्कर्ष: चुनावी रणभूमि तैयार, जनता के फैसले पर सबकी निगाहें

बिहार विधानसभा चुनाव अब सिर्फ सीटों की गणना भर नहीं रहेगा. बल्कि यह फैसला करेगा कि राज्य की जनता डर के शासन को चुनती है या विकास के विकल्प को.
तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी RJD एक बार फिर जनता के सामने उम्मीद का चेहरा बनकर उभरने की कोशिश में हैं.अब आगे क्या होता है आने वाला एमी ही बताएगा.

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