बिहार की राजनीति गरमाई: महिलाओं के खातों में ₹10,000 – कल्याण या चुनावी चाल?
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,28 सितंबर 2025— बिहार में विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों की रणनीतियां तेज हो गया है.सत्ता में काबिज भाजपा-नीतीश सरकार द्वारा हाल ही में महिलाओं के खातों में ₹10,000 की राशि ट्रांसफर किया गया है.इसे लेकर राजनीतिक हलकों में जबरदस्त चर्चा है.
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने इस फैसले को “सीधा-सीधा वोट खरीदने की चाल” बताया है. पार्टी का कहना है कि बिहार की महिलाएं सिर्फ पैसों के आधार पर अपना मन नहीं बदलेंगी. यह कदम केवल रिश्वतखोरी, अफसरशाही और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है.
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि यह योजना वास्तव में महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए है या चुनावी प्रलोभन, साथ ही इसके राजनीतिक और सामाजिक प्रभावों पर भी नज़र डालेंगे.
भाजपा-नीतीश सरकार का कदम और उसका समय
सरकार ने चुनाव से ठीक पहले महिलाओं के खातों में ₹10,000 की राशि जमा करने का ऐलान किया. इस कदम को सत्ता पक्ष ने,महिला सशक्तिकरण और आर्थिक सहयोग, की पहल बताया है.
लेकिन सवाल यह है कि अगर यह वास्तव में महिलाओं की भलाई के लिये था, तो इसे चुनाव से ठीक पहले क्यों लागू किया गया?
आरजेडी प्रवक्ता और नेताओं का आरोप है कि यह महज वोट बैंक को साधने की राजनीति है.
RJD का हमला भाजपा-नीतीश सरकार पर
चुनाव से ठीक पहले महिलाओं के खाते में ₹10,000 डालने की घोषणा पर RJD ने ट्विटर (X) के माध्यम से भाजपा-नीतीश गठबंधन को सीधा घेरा.
राजद ने पोस्ट कर कहा कि यह कोई कल्याणकारी योजना नहीं बल्कि सीधा वोट खरीदने का प्रलोभन है.
राजद ने Rashtriya Janata Dal @RJDforIndiaपर लिखा है कि:
“भाजपा-नीतीश सरकार का यह कदम रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला है.बिहार की महिलाएं समझदार हैं और अब इस छलावे में आने वाली नहीं. जनता अब इस सरकार को एक पल भी सहन करने को तैयार नहीं है.
विपक्ष का यह ट्वीट चुनावी सियासत में बड़ा संदेश देता है कि जनता नकद प्रलोभन से प्रभावित नहीं होगी और बदलाव का मन बना चुकी है.
ये भी पढ़े:गिरिराज सिंह की उन्मादी भाषा पर RJD का तीखा हमला
ये भी पढ़े:इंडिया गठबंधन की चुनाव आयोग एवं कानून सम्बंधी उपसमिति की बैठक
आरजेडी का आरोप: प्रलोभन से नहीं बिकेगा बिहार
राष्ट्रीय जनता दल का कहना है कि बिहार की महिलाएं अब राजनीतिक रूप से जागरूक हैं.वे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सुरक्षा जैसे वास्तविक मुद्दों को प्राथमिकता देती हैं.
RJD ने कहा कि भाजपा-नीतीश सरकार की यह चाल बिहार की जनता के भरोसे और धैर्य की परीक्षा लेने जैसी है.महिलाएं भली-भांति जानती हैं कि उनके जीवन की वास्तविक चुनौतियाँ सिर्फ चुनावी पैसों से नहीं सुलझेंगी.
क्या यह रिश्वतखोरी का नया तरीका है?
आलोचकों का मानना है कि सरकारी योजनाओं का असली उद्देश्य लोगों के जीवन में स्थायी बदलाव लाना होना चाहिये. लेकिन जब इन योजनाओं को चुनावी समय से जोड़ दिया जाता है, तो यह लोकतंत्र की आत्मा के खिलाफ जाता है.
₹10,000 की राशि भले ही अल्पकालिक राहत दे, लेकिन इससे न तो महिलाओं की दीर्घकालिक आर्थिक स्थिति सुधरेगी और न ही उनके सामाजिक सशक्तिकरण में कोई बड़ा बदलाव आयेगा.
यही कारण है कि इसे कई लोग “लोकतांत्रिक रिश्वत” मान रहे हैं.
बिहार की महिलाओं की भूमिका और जागरूकता
बिहार में महिलाएं लंबे समय से सामाजिक बदलाव की धुरी रही हैं. चाहे पंचायत चुनाव हों या बड़े आंदोलन, उन्होंने हमेशा अपनी जागरूकता और नेतृत्व क्षमता का परिचय दिया है.
पिछले कुछ वर्षों में शिक्षा और स्व-सहायता समूहों (SHGs) के माध्यम से उनकी भागीदारी और भी मजबूत हुई है. ऐसे में राजनीतिक दलों को यह मानना कि महिलाएं सिर्फ पैसों के लालच में वोट बदल देंगी, यह उनकी बुद्धिमत्ता का अपमान है.
भ्रष्टाचार और अफसरशाही का सवाल
RJD ने इस योजना को भ्रष्टाचार और अफसरशाही बढ़ाने वाला कदम बताया है.
यह सवाल वाजिब है कि इतनी बड़ी राशि का आवंटन और वितरण कितनी पारदर्शिता से हो रहा है?
क्या यह पैसा वास्तव में सभी योग्य महिलाओं तक पहुंचा है या बीच में भ्रष्टाचार और दलाली ने अपना खेल खेला है?
बिहार की जनता पहले से ही इस तरह के मुद्दों को लेकर संवेदनशील है और यही वजह है कि आरजेडी का यह आरोप लोगों में गूंज रहा है.
चुनावी समीकरण पर असर
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि इस तरह की योजनाओं से अल्पकालिक राजनीतिक लाभ तो मिल सकता है, लेकिन दीर्घकालिक असर उल्टा भी हो सकता है.
अगर जनता को लगता है कि सरकार उन्हें केवल वोट बैंक समझ रही है, तो यह नाराजगी में भी बदल सकता है.
आरजेडी ने इस मौके पर जनता से अपील किया है कि वे इस “प्रलोभन” के झांसे में न आएं और वास्तविक मुद्दों पर अपना फैसला दें.
निष्कर्ष
बिहार की राजनीति में महिलाओं की भूमिका बेहद अहम है. भाजपा-नीतीश सरकार का महिलाओं को ₹10,000 की राशि देने का कदम चुनावी हथकंडा है या वास्तविक कल्याणकारी योजना—यह तो जनता तय करेगी.
लेकिन इतना तय है कि बिहार की महिलाएं अब पहले से कहीं ज्यादा जागरूक और सशक्त हैं. वे यह समझने में सक्षम हैं कि उनका भविष्य सिर्फ तात्कालिक पैसों से नहीं, बल्कि मजबूत नीतियों, अच्छी शिक्षा, रोजगार और सुरक्षित माहौल से बदल सकता है.
राष्ट्रीय जनता दल ने सही कहा है कि बिहार की महिलाएं “₹10,000 के प्रलोभन” से अपना मन नहीं बदलेंगी. लोकतंत्र में असली ताकत जनता के विवेक में है, और यही आने वाले चुनावों में बड़ा संदेश साबित होगा.

I am a blogger and social media influencer. I have about 5 years experience in digital media and news blogging.



















