लोकतंत्र के पर्व में मतदानकर्मी भी हों सहभाग — चित्तरंजन गगन
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 25 अक्टूबर 2025 —बिहार विधानसभा चुनाव के बीच एक गंभीर मुद्दा सामने आया है.चुनाव आयोग की जटिल और अस्पष्ट प्रक्रिया की वजह से हजारों मतदानकर्मी अपने मताधिकार के प्रयोग से वंचित होने की स्थिति में हैं. इस मामले में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने चुनाव आयोग से तत्काल दखल और सुधार की मांग की है.
राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने जानकारी दी है कि सिवान जिले में करीब 12,000 मतदानकर्मी — जिनमें पीओ, पी1, पी2, पी3, माइक्रो ऑब्जर्वर, मास्टर ट्रेनर और अन्य चुनावी कोषांगों में तैनात कर्मचारी शामिल हैं,उसको को मतदान का अधिकार नहीं मिल पा रहा है.
उन्होंने कहा कि प्रक्रिया को इतना तकनीकी और जटिल बना दिया गया है कि कुछ ही मतदानकर्मी मतदान कर पा रहे हैं.
मतदानकर्मियों से जुड़ी प्रक्रिया पर सवाल
गगन ने बताया कि जब मतदानकर्मियों से फॉर्म 12 भरवाया गया, तब किसी प्रकार के दस्तावेज़ (पहचान पत्र या प्रशिक्षण से संबंधित प्रमाण) की मांग नहीं की गई है.
लेकिन बाद में यह शर्त जोड़ दी गई, जिसके कारण अधिकांश मतदानकर्मी मान्य फॉर्म जमा करने से वंचित रह गये.
उन्होंने कहा कि पिछले चुनाव में भी इसी तरह की गड़बड़ी हुई थी, लेकिन राजद की शिकायत के बाद आयोग ने सुधार किया था और सभी मतदानकर्मियों को मतदान की अनुमति दिया गया था .
राजद की प्रमुख माँगें
राजद ने अपने ज्ञापन में चुनाव आयोग से निम्नलिखित छह प्रमुख माँगें की हैं.
जिन मतदानकर्मियों, मास्टर ट्रेनरों और अन्य कोषांगों के कर्मियों का द्वितीय प्रशिक्षण जारी है, उन्हें बैलेट मतदान के समय आवश्यक दस्तावेज लेकर मतदान की अनुमति दिया जाये.
सिवान जिले में 2908 बूथों के अनुरूप करीब 15,000 मतदानकर्मी हैं, लेकिन तैयार की गई वोटर लिस्ट में केवल 2000 के नाम हैं — इसे तुरंत संशोधित किया जाये.
बैलेट मतदान की अवधि 23 से 25 अक्टूबर की जगह 27 अक्टूबर तक बढ़ाई जाए, ताकि सभी कर्मी वोट डाल सकें.
मतदान का समय रात्रि 9 बजे तक किया जाए.
हर मतदानकर्मी को बैलेट वोटिंग का अधिकार सुनिश्चित किया जाए.
प्रत्येक प्रखंड कार्यालय पर विशेष मतदान केंद्र बनाए जाएँ, ताकि 100% मतदान सुनिश्चित हो सके।
मतदानकर्मियों को भी है लोकतंत्र में भागीदारी का अधिकार
राजद प्रवक्ता ने कहा कि जब हर नागरिक को मतदान का अधिकार है, तो चुनाव कराने वाले कर्मियों को इस अधिकार से वंचित करना लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सवाल है. उन्होंने कहा कि आयोग को जल्द कदम उठाकर इस स्थिति को सुधारना चाहिए ताकि कर्मचारियों की भागीदारी लोकतंत्र के इस महापर्व में सुनिश्चित हो सके.
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निष्कर्ष
राजद ने यह स्पष्ट किया है कि अगर आयोग ने समय पर कदम नहीं उठाया, तो यह मुद्दा सिर्फ प्रशासनिक नहीं बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन का प्रतीक बन जाएगा..
अब देखना होगा कि चुनाव आयोग इस संवेदनशील मामले पर कितनी शीघ्र और प्रभावी कार्रवाई करता है.

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