बिहार में OPS बहाली की माँग तेज: सरकारी कर्मचारियों का प्रतीकात्मक विरोध

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Ajit Kumar

बिहार
बिहार में OPS बहाली की माँग तेज: सरकारी कर्मचारियों का प्रतीकात्मक विरोध

सरकारी दफ्तरों से सड़क तक OPS का संघर्ष, बिहार में संगठित विरोध तेज

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 22 जुलाई: बिहार में सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली की माँग अब एक संगठित जनांदोलन का रूप लेता जा रहा है. नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (NMOPS) की बिहार इकाई की अगुवाई में आज पूरे राज्य के सरकारी दफ्तरों में कार्यरत कर्मचारियों ने एकजुट होकर नई पेंशन योजना (NPS) और एकीकृत पेंशन योजना (UPS) के विरोध में प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया.

बिहार में OPS बहाली की माँग तेज: सरकारी कर्मचारियों का प्रतीकात्मक विरोध

इस विरोध का सबसे खास पहलू यह रहा कि कर्मचारियों ने अपने कार्यस्थलों पर पूरी निष्ठा से काम करते हुए OPS बहाल करो बैज पहनकर अपना विरोध दर्ज कराया. यह कार्यक्रम 23 जुलाई को भी जारी रहेगा और NMOPS की योजना है कि अगस्त के अंत में एक विशाल रैली के ज़रिए इस मुद्दे को राजधानी पटना की सड़कों पर और अधिक मुखर तरीके से उठाया जायेगा..

क्या है मामला?

2004 में केंद्र सरकार द्वारा पुरानी पेंशन योजना को बंद कर नई पेंशन योजना (NPS) की शुरुआत किया गया था.जिसके तहत अब कर्मचारियों को निश्चित पेंशन नहीं मिलता है. इसके चलते कर्मचारियों में असुरक्षा की भावना बढ़ गया है. खासकर ऐसे कर्मचारी जो कई वर्षों से सेवा में हैं. उन्हें यह नई व्यवस्था अलाभकारी लग रहा है.

विरोध की रणनीति: सयंम और संदेश दोनों

NMOPS के नेतृत्व में देशभर में इस योजना का विरोध हो रहा है. बिहार में यह आंदोलन अब संगठित और नीति-आधारित दिशा में बढ़ रहा है. जो सरकार के लिए चिंता का विषय बन सकता है. खासकर तब जब राज्य चुनावी वर्ष में प्रवेश कर चुका है.

विरोध की रणनीति: सयंम और संदेश दोनों

आज पटना सहित राज्य के विभिन्न जिलों में हजारों सरकारी कर्मचारियों ने अपने कार्यालयों में OPS बहाल करो लिखे बैज लगाकर कार्य किया. NMOPS बिहार के प्रदेश अध्यक्ष वरुण पांडे ने इस अवसर पर कहा कि,हम शांतिपूर्वक अपना विरोध दर्ज कर रहे हैं. सरकार सभी वर्गों के लिए नई योजनाएँ घोषित कर रहा है.ऐसे में सरकारी कर्मियों के लिए OPS की बहाली कोई बड़ी बात नहीं है.हमारी उम्मीदें संवेदनशील मुख्यमंत्री से हैं. जो इस विषय पर गंभीरता दिखाएँ.

आंदोलन का अगला चरण: अगस्त में शक्ति प्रदर्शन

आंदोलन का अगला चरण: अगस्त में शक्ति प्रदर्शन

NMOPS के महासचिव शशि भूषण ने बताया कि मानसून सत्र के दौरान यह प्रतीकात्मक विरोध सिर्फ एक शुरुआत है.अगस्त के अंतिम सप्ताह में पटना में एक राज्यव्यापी रैली आयोजित किया जायेगा.जिसमें सभी जिलों से हजारों सरकारी कर्मचारी भाग लेंगे.अब यह सिर्फ पेंशन का मुद्दा नहीं है. बल्कि यह सरकारी कर्मचारियों के सम्मान और भविष्य की सुरक्षा का भी सवाल है.

सरकारी दफ्तरों से सड़क तक OPS का संघर्ष, बिहार में संगठित विरोध तेज

राजनीतिक दबाव की रणनीति

प्रदेश संरक्षक प्रेमचंद कुमार सिंहा ने कहा कि सरकार चुनावी वर्ष में तमाम वर्गों को लुभाने में लगी हुई है. इस स्थिति को देखते हुए NMOPS की रणनीति है कि संगठित तरीके से सरकार पर दबाव बनाया जाये.अगर हम सही समय पर आवाज़ बुलंद करें और एकजुट रहें. तो बिहार में OPS की बहाली असंभव नहीं है.

जमीन से जुड़ी भागीदारी

जमीन से जुड़ी भागीदारी

NMOPS के वरिष्ठ उपाध्यक्ष संजीव तिवारी ने बताया कि सुदूर ग्रामीण और अर्ध-शहरी कार्यालयों से भी विरोध की तस्वीरें आ रही हैं.इससे साफ है कि यह आंदोलन केवल शहरी केंद्रों तक सीमित नहीं है. उन्होंने कहा कि, कर्मचारियों का उत्साह और एकजुटता इस बात का संकेत है कि सरकार इस मांग को अब नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता.

सरकार के लिए संदेश

सरकार के लिए संदेश

सरकार के सामने अब दो रास्ते हैं.या तो वह चुनावी वर्ष में सरकारी कर्मचारियों की इस मांग को स्वीकार कर सकारात्मक संदेश दे. या फिर आगामी चुनाव में इसे एक बड़ा मुद्दा बनने दे. कर्मचारियों ने यह जता दिया है कि यह सिर्फ कोई मांग नहीं. बल्कि भविष्य की सुरक्षा का सवाल है.

निष्कर्ष: क्या बहाल होगी पुरानी पेंशन योजना?

निष्कर्ष: क्या बहाल होगी पुरानी पेंशन योजना?

बिहार में OPS की बहाली को लेकर माहौल तेजी से बनता जा रहा है. NMOPS और इससे जुड़े कर्मचारी संगठनों ने यह साफ कर दिया है कि यह आंदोलन केवल विरोध का स्वर नहीं. बल्कि विकल्पों के साथ रणनीतिक दबाव बनाने की प्रक्रिया है.

अगस्त में प्रस्तावित रैली के परिणामों और सरकार की प्रतिक्रिया पर अब सभी की निगाहें टिकी हुई हैं.

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