अपराध के साये में बिहार: क्या डबल इंजन मॉडल फेल हो चुका है?

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Kumar Ranjit

बिहार
अपराध के साये में बिहार: क्या डबल इंजन मॉडल फेल हो चुका है?

डबल इंजन सरकार की नाकामी पर दीपांकर भट्टाचार्य ने उठाये सवाल

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,13 जुलाई:बिहार इन दिनों एक अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है.और यह संकट है राज्य के बिगड़ती कानून-व्यवस्था का. हत्या, बलात्कार, लूट और अपहरण जैसी घटनाओ का जो अब आम बात हो गया है.प्रदेश का हालत यह है कि शायद ही कोई दिन ऐसा गुजरता न हो जब अखबारों और न्यूज़ पोर्टलों पर किसी न किसी जिले से अपराध की खबर न आ रहा हो.

इन्हीं अपराधिक घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने अपने अधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल पर एक तीखा बयान जारी करते हुये उन्होंने लिखा है कि,

“बिहार में एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरता जब हत्या और बलात्कार की खबरें न आती हों. अगर डबल इंजन वाली सरकार में शासन और कानून-व्यवस्था का ये हाल है, तो मान लीजिए कि बिहार डबल इंजन की नाकामी से जूझ रहा है. यह अपराध और बेखौफ शासन का बेलगाम राज है.”

क्या है डबल इंजन सरकार?

डबल इंजन सरकार का मतलब होता है कि राज्य और केंद्र में एक ही दल या गठबंधन के सरकार हो. इसे अक्सर ‘विकास की रफ्तार को तेज़’ करने की गारंटी बताया जाता है. लेकिन अगर बिहार के वर्तमान स्थिति को देखा जाए तो यह मॉडल अपनी असफलता की मिसाल बनता जा रहा है.

अपराध के हालिया आंकड़े क्या कहता हैं?
हालांकि सरकार की ओर से कोई आधिकारिक मासिक रिपोर्ट नहीं आया है.मगर मीडिया रिपोर्ट्स और स्थानीय थानों से मिली जानकारी के मुताबिक बात किया जाये तो यह देखा गया है कि.

  • जून 2025 में अकेले पटना, गया, भोजपुर और मुज़फ्फरपुर जिलों में बलात्कार के 70 से अधिक मामले दर्ज हुआ है.
  • हत्या के मामलों में 15% की वृद्धि देखा गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है.
  • लूट और अपहरण के घटनाएं ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक फैल गया है.

जनता का भरोसा डगमगाया

बिहार की जनता का कहना है कि अब प्रशासन पर उनका भरोसा लगातार कमजोर होता जा रहा है.कई जगहों पर स्थानीय युवाओं ने खुद ही गश्ती दल बनाकर रात में पहरा देना शुरू कर दिया है. छोटे व्यापारी और महिलाएं खास तौर पर खुद को असुरक्षित महसूस कर रहा हैं.
स्थानीय नागरिक का कहना है कि पुलिस समय पर नहीं आती, FIR दर्ज करना मुश्किल होता जा रहा है.और अपराधी निडर होकर घूमते हैं, जैसे उन्हें किसी सज़ा का डर ही नहीं हो.

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क्या कह रही है विपक्ष?

दीपांकर भट्टाचार्य का बयान विपक्ष के उस बढ़ते तेवर का एक हिस्सा है जो आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सरकार के नीतियों और प्रदर्शन पर सवाल उठा रहा है.राष्ट्रीय जनता दल,कांग्रेस और वाम दल पहले से ही राज्य सरकार को जनविरोधी और अप्रभावी बता रहे हैं.

सरकार की चुप्पी सवालों के घेरे में

राज्य सरकार की ओर से अब तक इन अपराधों पर लगाम लगाने के लिये कोई ठोस प्रेस कॉन्फ्रेंस या सुधारात्मक ऐलान नहीं किया गया है. पुलिस प्रशासन को लेकर और मुख्यमंत्री की चुप्पी को राजनीतिक जानकार इसे रणनीतिक चुप्पी या जिम्मेदारी से बचाव” के तौर पर देख रहे हैं.

निष्कर्ष

बिहार में अगर अपराध का यह सिलसिला नहीं थमा तो डबल इंजन सरकार के लिए यह एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक चुनौती बन सकता है. आम लोग अब बदलाव की उम्मीद कर रहे हैं ऐसा बदलाव जो कागजों से निकलकर सड़कों पर नज़र आये.

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