बिहार चुनाव 2025 का बड़ा खुलासा! क्या बिहार की राजनीति बदलने वाली है?
तीसरा पक्ष डेस्क,पटना: बिहार विधान सभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहा हैं, विभिन्न सर्वे एजेंसियों के आंकड़े राजनीतिक दलों की धड़कनें तेज़ कर रहे हैं. इसी कड़ी में पोलट्रैकर (Poll Tracker) द्वारा जारी जून 2025 के ताज़ा सर्वे ने एनडीए (NDA) खेमे में हलचल मचा दी है. सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक एनडीए को इस बार बहुमत के आंकड़े से दूर बताया गया है, जबकि विपक्षी गठबंधन को अप्रत्याशित बढ़त मिलती दिख रही है.
बिहार की राजनीति में हलचल उस वक़्त और तेज़ हो गई जब PollTracker द्वारा जारी ताज़ा सर्वेक्षण में राज्य की जनता का मिज़ाज एनडीए (NDA) के खिलाफ जाता दिखाई दिया. 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले यह सर्वे बीजेपी और उसकी सहयोगी पार्टियों के लिए चिंता का सबब बन गया है.
पोलट्रैकर बिहार सर्वे के मुख्य आंकड़े

पोल ट्रैकर के सर्वे के अनुसार, बिहार की 243 विधानसभा सीटों पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है. गठबंधनों और नेताओं की लोकप्रियता के आधार पर निम्नलिखित रुझान सामने आए हैं:
- INDIA गठबंधन (राजद, कांग्रेस, वामदल): 121-131 सीटें
- NDA (भाजपा, जदयू, HAM, RLJP): 108-115 सीटें
- अन्य (असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM, निर्दलीय): 04 – 12 सीटें
- जन सुराज – 00- 03
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युवाओं की पहली पसंद में राहुल गाँधी ने मोदी को पछाड़ा?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का पोल ट्रैकर का ओपिनियन पोल
— Poll Tracker (@PollTracker) June 9, 2025
⚫️ युवाओं की पहली पसंद ?
▪️Narendra Modi – 39%
▪️Rahul Gandhi – 47%
▪️OTH – 14%#PollTracker #BiharElections2025 #BiharAssemblyElection #BiharElections pic.twitter.com/MtmjXfOQPC
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पोल ट्रैकर(Poll Tracker) सर्वे के दौरान नेताओं की लोकप्रियता में भी बड़ा फेर बदल देखने को मिल रहा है. युवाओं की पहली पसंदऔर लोकप्रियता में भी इस बार नरेंद्र मोदी के तुलना में राहुल गाँधी बाजी मरते दिख रहे हैं. आकड़े देखिये:
- Narendra Modi – 39%
- Rahul Gandhi – 47%
- OTH – 14%
- राहुल गांधी: सर्वे में 47% युवाओं ने राहुल गांधी को अपने पसंदीदा राष्ट्रीय नेता के रूप में चुना, जो उनकी बढ़ती लोकप्रियता को दर्शाता है.
- तेजस्वी यादव: आरजेडी नेता तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार हैं, जिन्हें 41% लोगों ने समर्थन दिया. उनकी युवा-केंद्रित नीतियां और रोजगार सृजन पर जोर ने उनकी अपील को बढ़ाया है.
- नीतीश कुमार: वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की लोकप्रियता में कमी देखी गई है, केवल 18% लोग उन्हें फिर से मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं.
- प्रशांत किशोर: जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को 15% लोगों ने मुख्यमंत्री के रूप में चुना, जो उनकी बढ़ती राजनीतिक उपस्थिति को दर्शाता है.
- प्रमुख मुद्दे और रण
बिहार में मुख्यमंत्री पद के लिए पहली पसंद?
बिहार में मुख्यमंत्री पद के लिए लोगों की पसंद तेजस्वी यादव बने हुए हैं:
- नितीश कुमार – 31%
- तेजस्वी यादव – 43%
- प्रशांत किशोर – 09%
- OTH – 17%
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एनडीए क्यों है परेशान?
- जातीय समीकरण का बिगड़ना: हाल ही में जातीय जनगणना के मुद्दे पर आरजेडी और कांग्रेस ने बड़ा जनसमर्थन बटोर लिया है. नीतीश कुमार की पूर्ववर्ती भूमिका को लेकर मतदाता भ्रमित हैं, जबकि तेजस्वी यादव इस मुद्दे को लेकर लगातार आक्रामक रहे हैं.
- युवाओं में बेरोज़गारी को लेकर गुस्सा: बिहार में युवा बेरोज़गारी हमेशा एक बड़ा चुनावी मुद्दा रहा है. तेजस्वी यादव की “10 लाख नौकरियों” की गूंज अब भी मतदाताओं के दिमाग में ताज़ा है, जबकि एनडीए इस मोर्चे पर ठोस जवाब नहीं दे पा रहा.
- नीतीश कुमार की ‘पलटीमार राजनीति’: पिछले कुछ वर्षों में नीतीश कुमार ने कई बार पाला बदला है — कभी RJD, कभी BJP. इस अस्थिरता ने मतदाताओं का भरोसा कमजोर किया है.
- दलित-ओबीसी मतों में खिसकाव: झारखंड और उत्तर प्रदेश की तर्ज़ पर बिहार में भी अब दलित और पिछड़े समुदायों में भाजपा-जदयू से मोहभंग होता दिख रहा है. राजद-कांग्रेस गठबंधन ने इस वर्ग में अपनी पकड़ मजबूत की है.
- सहयोगी दलों में भ्रम और असंतोष: HAM (जीतनराम मांझी) और RLJP (चिराग पासवान) जैसे छोटे दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर मतभेद सामने आ रहे हैं, जिससे एनडीए की एकजुटता पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
INDIA गठबंधन की रणनीति क्यों सफल दिख रही है?
- तेजस्वी यादव की जनसभाओं में भीड़ और युवाओं का उत्साह.
- कांग्रेस का “संविधान बचाओ” अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में भी गूंजने लगा है.
- महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर विपक्ष की स्पष्ट और आक्रामक लाइन.
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क्या यह सर्वे अंतिम संकेत है?
नहीं. चुनावी राजनीति में सर्वे सिर्फ़ जनमानस का पल भर का चित्रण होता है, न कि अंतिम निर्णय। लेकिन यह जरूर दिखाता है कि एनडीए को यदि बिहार जीतना है तो जनता से सीधे जुड़ना, असल मुद्दों पर काम करना और सहयोगी दलों को साधना अब और जरूरी हो गया है.
निष्कर्ष:
बिहार में इस बार मुकाबला कड़ा है. पोलट्रैकर का सर्वे NDA के लिए चेतावनी की घंटी है. INDIA गठबंधन को जहां सामाजिक न्याय और युवाओं के मुद्दे से लाभ मिलता दिख रहा है, वहीं भाजपा-जदयू गठबंधन को अपनी रणनीति पर गंभीरता से पुनर्विचार करना होगा.
बिहार की जनता के सामने इस बार कई विकल्प हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि मतदाता किसे अपना समर्थन देते हैं.
स्रोत: [PollTrackerhttps://x.com/PollTracker/status/1932122525594747163 – Bihar Survey Report, June 2025]
लेखक:तीसरा पक्ष पोलिटिकल डेस्क

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