माफियाओं के पास दो विकल्प होंगे — या तो जेल, या जहन्नुम
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,11 अक्टूबर 2025 — बिहार की राजनीति में इस समय एक नई बहस छिड़ी हुई है — माफिया राज से मुक्ति की. कांग्रेस पार्टी ने अपने हालिया बयान में बिहार को माफिया मुक्त प्रदेश बनाने का वादा किया है. कांग्रेस पार्टी के नेता @akhileshPdsingh और @INCIndia के आधिकारिक सोशल मीडिया पोस्ट में साफ कहा गया है कि बिहार में बीते 20 वर्षों से माफिया तंत्र ने प्रशासन, समाज और अर्थव्यवस्था पर अपनी पकड़ मजबूत कर रखा है.अब कांग्रेस का लक्ष्य है कि जब महागठबंधन सरकार बने, तो बिहार को माफियाओं से आज़ाद किया जायेगा.
20 साल का अंधेरा: बिहार में माफिया राज की जड़ें
बिहार में अपराध और भ्रष्टाचार का इतिहास बहुत पुराना है. भू-माफिया, बालू माफिया, शराब माफिया और माइक्रोफाइनेंस माफिया — इन चारों ने राज्य की अर्थव्यवस्था और आम जनता के जीवन को बिशेष रूप से प्रभावित किया है.
भू-माफिया ने अवैध कब्ज़ों और फर्जी जमीन सौदों से गरीबों की ज़मीन हड़प लिया है.
बालू माफिया ने अवैध खनन से नदियों का संतुलन बिगाड़ा और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया है.
शराब माफिया ने प्रतिबंध के बावजूद अवैध शराब के कारोबार को बढ़ावा दिया है , जिससे कई लोगों की जानें गईं है .
माइक्रोफाइनेंस माफिया गरीब महिलाओं और छोटे व्यवसायियों को ऊंचे ब्याज दरों पर लोन देकर कर्ज़ के जाल में फंसा देता है.
कांग्रेस का कहना है कि यह सब सिर्फ़ प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि पिछले दो दशकों की राजनीतिक असफलता है.
कांग्रेस का मिशन: माफिया मुक्त बिहार
कांग्रेस ने अपने बयान में स्पष्ट शब्दों में कहा है कि,
माफियाओं के पास दो विकल्प होंगे — या तो जेल, या जहन्नुम. इसका चुनाव उन्हें खुद करना होगा.
यह बयान सिर्फ एक चेतावनी नहीं बल्कि बिहार की राजनीति में नई सोच का प्रतीक है.पार्टी का कहना है कि सत्ता में आने के बाद वह हर उस नेटवर्क को खत्म करेगी जो शासन और जनता के बीच भय और भ्रष्ट्राचार की दीवार बन चुका है.
कांग्रेस की नीति के मुताबिक आने वाले चुनाव में माफिया मुक्त बिहार उसका प्रमुख एजेंडा होगा.पार्टी ने यह भी कहा है कि महागठबंधन की सरकार बनते ही एक विशेष टास्क फोर्स गठित की जाएगी जो इन चार बड़े माफिया नेटवर्क पर एक साथ कार्रवाई करेगी.
माइक्रोफाइनेंस माफिया पर कांग्रेस का विशेष फोकस
हाल के वर्षों में माइक्रोफाइनेंस कंपनियों ने बिहार के ग्रामीण इलाकों में महिलाओं को आत्मनिर्भरता के नाम पर फंसा रखा है.इन कंपनियों द्वारा वसूला जाने वाला ब्याज दर 24% से लेकर 40% तक पहुंच चुका है.
कांग्रेस का मानना है कि यह एक नया प्रकार का आर्थिक शोषण है, जो गरीबों को गरीबी से निकालने की बजाय कर्ज़ में डुबो देता है. पार्टी वादा करती है कि सरकार बनने पर माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की लोन नीति पर कड़ा नियंत्रण लगाया जाएगा और किसानों व महिलाओं को कम ब्याज पर सरकारी सहायता दी जाएगी.
सामाजिक न्याय के नए आयाम
कांग्रेस ने यह भी कहा है कि बिहार में माफियाओं का संरक्षण तब तक चलता रहा जब तक सामाजिक न्याय और समान अवसर की बात केवल भाषणों में सीमित रही. पार्टी का नया विज़न, सामाजिक न्याय + आर्थिक न्याय के संतुलन पर आधारित होगा.इसका उद्देश्य यह है कि
गरीबों की जमीन और संसाधनों की रक्षा हो
स्थानीय युवाओं को रोजगार मिले
और अपराध पर राजनीतिक संरक्षण खत्म किया जाये.
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विपक्ष पर कांग्रेस का हमला
कांग्रेस ने अप्रत्यक्ष रूप से नीतीश कुमार और भाजपा गठबंधन पर निशाना साधा है. पार्टी का कहना है कि जो लोग,सच्चे सुशासन का दावा करते रहे, उनके शासन में ही माफियाओं का सबसे ज्यादा विस्तार हुआ है. शराबबंदी के बाद शराब माफिया, रेत माफिया, और ठेकेदारों का सिंडिकेट मजबूत हुआ है.
कांग्रेस के अनुसार, महागठबंधन सरकार बनने के बाद राज्य में कानून व्यवस्था का पुनर्गठन, स्वतंत्र पुलिस आयोग, और पारदर्शी प्रशासनिक सुधार उसकी पहली प्राथमिकताएं होंगी.
निष्कर्ष: बिहार में नई शुरुआत का संकेत
कांग्रेस का यह ऐलान न केवल चुनावी रणनीति है, बल्कि बिहार की जनता के लिए एक उम्मीद भी है. वर्षों से लूट और भय की राजनीति में जकड़े बिहार को अब एक नई दिशा चाहिये, ऐसी दिशा जिसमें ईमानदारी, पारदर्शिता और सामाजिक न्याय साथ-साथ चलें.
अगर कांग्रेस अपने इस माफिया मुक्त बिहार अभियान को ज़मीन पर उतारने में सफल होती है, तो यह न केवल राज्य की छवि बदलेगा, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल भी बनेगा.
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















