बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना: चुनावी घोषणाओं की भीड़ में पत्रकार समाज पर यह कितना असर डालेगी?

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kmSudha

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बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना: चुनावी घोषणाओं की भीड़ में पत्रकार समाज पर कितना असर डालेगी?

चुनाव से पहले यह घोषणा पत्रकारों को साधने की कोशिश या कल्याणकारी कदम?

तीसरा पक्ष डेस्क,पटना: बिहार की एनडीए सरकार ने 125 यूनिट तक बिजली मुफ्त करने के बाद पत्रकारों के कल्याण की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए “बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना” के अंतर्गत पेंशन राशि में वृद्धि की घोषणा की है. अब इस योजना के तहत सभी पात्र सेवानिवृत्त पत्रकारों को हर माह ₹15,000 पेंशन मिलेगी, जो पहले ₹6,000 थी. यही नहीं, यदि पेंशनधारी पत्रकार का निधन हो जाता है, तो उनके आश्रित जीवनसाथी को ₹10,000 प्रति माह की पेंशन दी जाएगी, जो पहले ₹3,000 थी.

यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब राज्य में चुनावी हलचल तेज हो रही है और सभी प्रमुख दल अपने-अपने वोटबैंक को मजबूत करने में जुटे हैं. ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि क्या यह कदम पत्रकारों को साधने की रणनीति है या वाकई में एक संवेदनशील और सराहनीय कल्याणकारी पहल? सरकारी योजनाओं के माध्यम से पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर क्या असर पड़ेगा?

पत्रकारिता को सम्मान: प्रतीकात्मक नहीं, व्यावहारिक समर्थन

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लोकतंत्र में पत्रकारों की भूमिका केवल सूचनाओं के आदान-प्रदान तक सीमित नहीं है, वे सत्ता और जनता के बीच एक सतर्क प्रहरी की भूमिका निभाते हैं. हालांकि दशकों से पत्रकारों की सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक स्थायित्व को लेकर चर्चा होती रही है, लेकिन ठोस योजनाएं कम ही बन पाई हैं. ऐसे में बिहार सरकार की यह घोषणा व्यावहारिक समर्थन के रूप में देखी जा रही है.

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चुनाव से पहले छवि निर्माण की रणनीति?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पत्रकारों की यह पेंशन योजना चुनावी समय में एनडीए की ‘जनहितैषी’ छवि को मजबूत करने की एक रणनीति भी हो सकती है. हाल के दिनों में राज्य सरकार कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा कर चुकी है — जैसे कि 125 यूनिट मुफ्त बिजली योजना, महिला सशक्तिकरण को लेकर योजनाएं, और अब पत्रकार पेंशन योजना। यह सभी घोषणाएं एक व्यापक चुनावी रोडमैप का हिस्सा प्रतीत होती हैं.

पात्रता और पारदर्शिता की मांग

हालांकि योजना की घोषणा सराहनीय है, पर पत्रकार संगठनों की ओर से यह मांग उठ रही है कि पात्रता तय करने में पारदर्शिता बरती जाए. क्योंकि अक्सर देखा गया है कि ऐसी योजनाओं का लाभ केवल चुनिंदा लोगों तक ही सीमित रह जाता है.

सरकार की जवाबदेही और पत्रकारों की स्वतंत्रता

एक ओर जहां सरकार पत्रकारों के लिए आर्थिक सुरक्षा की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर यह भी ज़रूरी है कि पत्रकारों को निष्पक्ष और निर्भीक रिपोर्टिंग के लिए पर्याप्त स्वतंत्रता और सुरक्षा मिले। यह योजना तभी सार्थक मानी जाएगी जब इसका उपयोग पत्रकारिता की स्वतंत्रता को नियंत्रित करने की बजाय सशक्त करने में किया जाए.

निष्कर्ष

बिहार पत्रकार सम्मान पेंशन योजना में राशि की यह बढ़ोतरी निश्चित रूप से एक सकारात्मक कदम है. यह न केवल सेवानिवृत्त पत्रकारों को सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर देगी, बल्कि उनके परिवारों के लिए भी एक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करेगी. लेकिन इस कल्याणकारी फैसले की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि इसे कितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता से लागू किया जाता है.

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