महिलाओं के कर्ज मुक्ति की हुंकार, 31 जुलाई को पटना में होगा बड़ा सम्मेलन

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Ajit Kumar

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ऐपवा के नेतृत्व में सैकड़ों महिलाएं उठाएंगी आर्थिक आज़ादी का सवाल

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 28 जुलाई:बिहार की महिलाएं अब कर्ज और आर्थिक शोषण के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद करने को तैयार हैं. आगामी 31 जुलाई को पटना के IMA हॉल में अखिल भारतीय प्रगतिशील महिला एसोसिएशन (ऐपवा) के नेतृत्व में कर्ज मुक्ति महिला सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. इस आयोजन में राज्य के विभिन्न जिलों से महिलाएं जुटेंगी और माइक्रोफाइनेंस कंपनियों, साहूकारी शोषण और सरकारी बेरुखी के खिलाफ संयुक्त संघर्ष की रणनीति तय करेंगी.

सम्मेलन की जानकारी ऐपवा के राज्य सचिव अनिता सिन्हा ने दिया और उन्होंने बताया कि यह आयोजन न केवल महिलाओं की समस्याओं को मंच देगा बल्कि एक प्रदेशव्यापी जनांदोलन की दिशा भी तय करेगा.

देश के चर्चित वक्ता करेंगे संबोधित

इस ऐतिहासिक सम्मेलन को भाकपा-माले महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, प्रख्यात अर्थशास्त्री और जनपक्षधर बुद्धिजीवी ज्यां द्रेज, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से जुड़ी अर्थशास्त्री कल्पना विल्सन, सामाजिक कार्यकर्ता डा. विद्यार्थी विकास, और ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी संबोधित करेंगे.

क्या कहती हैं महिलाएं?

ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी ने कहा कि अब महिलाएं चुप नहीं रहेंगी.वे माइक्रोफाइनेंस के जाल और साहूकारों की मुनाफाखोरी के खिलाफ गोलबंद हो रही हैं. यह सम्मेलन केवल एक आयोजन नहीं है बल्कि महिलाओं की आर्थिक आज़ादी का बिगुल है.

महिलाओं की छह अहम मांगें

इस सम्मेलन के माध्यम से सरकार के समक्ष महिलाएं अपनी निम्नलिखित प्रकार के प्रमुख मांगें रखेंगी जो इस प्रकार है.

  • महिलाओं के ₹2 लाख तक के कर्ज को तत्काल माफ किया जाए.
  • माइक्रोफाइनेंस कंपनियों की बेलगाम वसूली पर रोक लगे और उनके लिए एक नियामक संस्था बनाई जाए.
  • हर पंचायत में सरकारी बैंक खोलकर महिलाओं को 2% सालाना ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराया जाए.
  • जीविका समूह की महिलाओं को स्थायी रोजगार मिले और उनके उत्पादों की सरकारी खरीद सुनिश्चित हो.
  • समूहों की महिलाओं से जीविका कैडरों के वेतन की वसूली बंद की जाए.
  • सहारा जैसी वित्तीय कंपनियों में फंसी महिलाओं की जमा राशि तत्काल लौटाई जाए.

आगे की रणनीति

मीना तिवारी ने यह भी स्पष्ट किया कि सम्मेलन के बाद राज्यव्यापी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जाएगी. महिलाओं को कर्ज के दुष्चक्र से निकालने के लिए गांव-गांव में जनजागरण चलाया जाएगा.

निष्कर्ष
31 जुलाई का यह सम्मेलन केवल कर्ज माफी की मांग नहीं है बल्कि एक व्यापक सामाजिक-आर्थिक बदलाव की ओर पहला ठोस कदम है.यह आयोजन उस बदलाव का प्रतीक बनने जा रहा है.जहां महिलाएं अब अपने हक और गरिमा के लिए संगठित होकर लड़ेंगी.

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