बिजली से बदला बिहार: गांवों में अब अंधेरा नहीं विकास की रौशनी

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Kumar Ranjit

बिहार
बिजली से बदला बिहार: गांवों में अब अंधेरा नहीं विकास की रौशनी

अब हर घर में बिजली हर आंख में सपना बदली सोच बढ़ा आत्मविश्वास

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,31जुलाई:एक समय था जब बिहार के गांवों में सूरज ढलने के बाद जीवन ठहर सा जाता था. अंधेरे में ढिबरी, लालटेन और लकड़ी की आग ही रात बिताने का सहारा हुआ करता था. लेकिन आज हालात पूरी तरह बदल चुका हैं.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य ने बिजली आपूर्ति के क्षेत्र में ऐसी क्रांति देखी है. जिसकी मिसाल पूरे देश में दिया जा रहा है

ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली, अब हकीकत

2015 के बाद से राज्य सरकार ने बिजली क्षेत्र को प्राथमिकता पर रखा और व्यापक सुधारात्मक कदम उठाया. ‘हर घर बिजली योजना’ जैसे अभियानों के तहत बिहार के 38 जिलों के लाखों गांवों तक बिजली पहुंचाया गया. पहले जहां ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ 4-5 घंटे ही बिजली मिलता था.वहीं आज अधिकांश गांवों में 18 से 22 घंटे तक निर्बाध आपूर्ति हो रहा है.

बिहार राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (NBPDCL और SBPDCL) की रिपोर्ट के अनुसार 2024 तक राज्य के 99% ग्रामीण घरों में बिजली कनेक्शन उपलब्ध हो चुका है.यह न केवल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार है.बल्कि सामाजिक विकास की मजबूत नींव भी है.

शिक्षा में मिली नई रफ्तार

बिजली की उपलब्धता ने शिक्षा को नया जीवन दिया है. अब छात्र-छात्राएं रात में भी पढ़ाई कर सकता हैं. जिससे बोर्ड परीक्षाओं में ग्रामीण छात्रों का प्रदर्शन पहले से बेहतर हुआ है. डिजिटल शिक्षा और स्मार्ट क्लास जैसे नवाचार भी अब छोटे कस्बों और गांवों में संभव हो पाया है.

सुरक्षा और महिलाओं को मिली राहत

पहले गांवों में जैसे ही रात होता था एक डर का माहौल बन जाता था. अंधेरे में कहीं भी जाना मुश्किल होता था. खासकर महिलाओं के लिए. लेकिन अब हालात बदल गया है.गांव की गलियों, चौराहों और सरकारी दफ्तरों के पास एलईडी लाइटें लग गया है. अब लोग बेझिझक रात में भी बाहर निकलते हैं.और महिलाएं भी खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करती हैं.

रोजगार और अर्थव्यवस्था को मिली नई दिशा

बिजली आने के साथ-साथ ग्रामीण उद्योगों को भी नई ऊर्जा मिला है. सिलाई केंद्र, मोबाइल रिपेयरिंग, साइबर कैफे, डेयरी, और कृषि आधारित प्रोसेसिंग यूनिट्स अब बिजली की मदद से गांवों में ही संचालित हो रहा हैं. इससे ग्रामीण युवाओं को रोजगार के लिए शहरों की ओर पलायन नहीं करना पड़ रहा है.

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सरकारी प्रयास और भविष्य की योजनाएं

नीतीश सरकार ने बिजली वितरण व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए कई चरणबद्ध योजनाएं शुरू किया है.

  • स्मार्ट मीटरिंग: राज्य भर में पारंपरिक मीटरों को डिजिटल स्मार्ट मीटरों से बदला जा रहा है. जिससे बिलिंग पारदर्शी हो सके.
  • ग्रीन एनर्जी पर फोकस: सरकार ने सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर स्ट्रीट लाइट्स और रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाने की योजनाएं शुरू किया है.
  • पावर सब-स्टेशन का विस्तार: हर जिले में नए सब-स्टेशन बनाया जा रहा है ताकि ट्रांसमिशन लॉस को कम किया जा सके.

जनता का फीडबैक:अब गांव भी शहर जैसा लगता है

गया जिले के बेलागंज प्रखंड के निवासी सुरेश यादव कहते हैं पहले बिजली महीने में 10 दिन ही मिलता था. अब रोज़ रहता है. अब पंखा, टीवी, और मोटर चलाना आसान हो गया है.बच्चों की पढ़ाई और खेती दोनों में मदद मिला है.

निष्कर्ष: उजाले से रोशन होता बिहार

बिहार में बिजली का यह परिवर्तन केवल तारों और खंभों की बात नहीं है. यह एक सामाजिक आंदोलन है जिसने लोगों की सोच, जीवनशैली और संभावनाओं को रोशन किया है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ऊर्जा नीतियों ने यह साबित कर दिया है कि अगर राजनीतिक इच्छाशक्ति और सही नीति हो, तो बदलाव नामुमकिन नहीं होता.

बिजली अब सिर्फ एक तकनीकी सुविधा नहीं. बल्कि ग्रामीण बिहार की नई पहचान बन चुका है.एक ऐसा बिहार जो अब उजाले में सोचता है. बढ़ता है और आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहा है.

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