बिजनौर में गुलदार का खौफ

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Ajit Kumar

भारत
बिजनौर में गुलदार का खौफ: चंद्रशेखर आज़ाद का सरकार पर हमला

चंद्रशेखर आजाद ने सरकार पर लगाया गंभीर आरोप

तीसरा पक्ष ब्यूरो बिजनौर, 16 सितंबर 2025: उत्तर प्रदेश का बिजनौर जिला इन दिनों गुलदार के हमलों से दहशत में है.आए दिन हो रही मौतों ने न केवल ग्रामीणों के जीवन को असुरक्षित बना दिया है बल्कि प्रशासन और सरकार की निष्क्रियता पर भी बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने इस मुद्दे पर जोरदार हमला बोलते हुए इसे, प्राकृतिक हादसा नहीं, बल्कि सरकार और प्रशासन की मिलीभगत से हुआ नरसंहार बताया है.

हालिया घटनाओं से दहशत का माहौल

चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने आधिकारिक X (ट्विटर) हैंडल से बिजनौर की घटनाओं की विस्तृत सूची साझा किया. उन्होंने बताया कि सिर्फ 13 दिनों (2 सितंबर से 13 सितंबर 2025) में चार लोगों की जान गुलदार के हमले में गई है.

13 सितंबर, नजीबाबाद: गांव इस्सेपुर में मीरा की मौत.

9 सितंबर, मथुरापुर मोड़: 8 वर्षीय हर्षित की जान गई.

5 सितंबर, नगीना देहात, कंडरावाला गांव: 12 वर्षीय गुड़िया की मौत.

2 सितंबर, मंडावली, रामदासवाली गांव: 10 वर्षीय जानू की मौत.

इससे पहले अगस्त और जून में भी लगातार घटनाएं हुई थीं. अफजलगढ़, मंडावर और चांदपुर क्षेत्र में कई मासूम बच्चों और महिलाओं को गुलदार ने अपना शिकार बनाया.

पिछले दो सालों का डरावना आंकड़ा

साल 2024: 43 निर्दोष मौतें.

साल 2025 (अब तक): 9 मौतें दर्ज.

कुल मिलाकर 52 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है.

चंद्रशेखर आज़ाद का आरोप है कि अगर सरकार समय पर कदम उठाती, तो इन 52 निर्दोष जिंदगियों को बचाया जा सकता था.

महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित

गुलदार के हमलों के डर से ग्रामीणों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.

महिलाएं खेतों में चारा लेने से डर रही हैं.

बच्चे घर के बाहर खेलने तक से वंचित हैं.

पूरे जिले में खौफ का माहौल है.

आज़ाद ने कहा कि,ये मौतें अब दुर्घटनाएं नहीं रहीं, बल्कि आतंक और नरसंहार बन चुकी हैं.

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वन विभाग और प्रशासन पर लापरवाही का आरोप

भीम आर्मी प्रमुख ने साफ कहा कि वन विभाग और जिला प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.उनके मुताबिक, वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात कर गुलदार के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाने की मांग रखी गई थी. मंत्री ने आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक वह सिर्फ, कागजों में वादा ही साबित हुआ है.

चंद्रशेखर आज़ाद का आरोप है कि सरकार और प्रशासन की चुप्पी ने गुलदार को आतंक मचाने की खुली छूट दे दी है.

धरना और चेतावनी

चंद्रशेखर आज़ाद ने प्रभावित परिवारों और ग्रामीणों के साथ मिलकर जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना दिया.उन्होंने सरकार को सख्त चेतावनी देते हुए कहा है कि ,
गुलदार को पकड़ने के लिए तुरंत कदम उठाए जाएं.

प्रभावित परिवारों को मुआवज़ा और सुरक्षा दी जाए.

वन विभाग की निष्क्रियता पर कार्रवाई की जाए.

उन्होंने कहा कि,अगर सरकार ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो आने वाले दिनों में जनता का आक्रोश ऐसा रूप लेगा कि सरकार को मुंह दिखाने लायक जगह नहीं बचेगी.

सवालों के घेरे में सरकार

गुलदार के हमले अब तक प्राकृतिक आपदा के तौर पर देखे जाते रहे हैं, लेकिन मौतों की बढ़ती संख्या और लगातार लापरवाही ने इसे राजनीतिक मुद्दा बना दिया है.चंद्रशेखर आज़ाद का यह बयान सरकार के लिए सिरदर्द बन सकता है, क्योंकि ग्रामीणों का आक्रोश दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है.

निष्कर्ष

बिजनौर में गुलदार का आतंक अब सिर्फ वन्यजीव समस्या नहीं रहा, बल्कि यह सरकार की लापरवाही और प्रशासनिक विफलता का प्रतीक बन गया है.पिछले दो सालों में 52 मौतें और लगातार हो रही घटनाएं बताती हैं कि यह सिलसिला थमने वाला नहीं है.सवाल यह है कि क्या सरकार और वन विभाग अब भी इंतजार करेंगे, या सच में प्रभावित परिवारों और ग्रामीणों की जान की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाएंगे?

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