जल, जंगल, जमीन के रक्षक को CM सोरेन ने किया याद
धरती आबा को नमन, सीएम सोरेन बोले – भगवान बिरसा मुंडा अमर रहें!
तीसरा पक्ष ब्यूरो:रांची, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 9 जून को भगवान बिरसा मुंडा के बलिदान दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके योगदान को झारखंड की आत्मा और संघर्ष की मिसाल बताया। ‘धरती आबा’ के रूप में पूजे जाने वाले इस महान आदिवासी नायक को याद करते हुए सोरेन ने सोशल मीडिया पर लिखा –
धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा का जीवन, संघर्ष और आदर्श हमें हमेशा प्रेरणा देता रहेगा. जय बिरसा – जय झारखंड!

उलगुलान की विरासत: आदिवासी अस्मिता की आवाज़
19वीं सदी में ब्रिटिश शासन के खिलाफ उलगुलान आंदोलन का नेतृत्व कर बिरसा मुंडा ने जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए जो लड़ाई लड़ी, वह आज भी आदिवासी समुदायों के लिए मार्गदर्शक है.मुख्यमंत्री ने बिरसा मुंडा को ‘सामाजिक न्याय और आत्मसम्मान का प्रतीक’ बताते हुए कहा कि उनकी सरकार उनके सिद्धांतों पर चलते हुए झारखंड के आदिवासी और वंचित वर्गों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.
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भगवान बिरसा मुंडा हवाई अड्डा नामकरण की मांग को मिला बल

इस बलिदान दिवस के अवसर पर रांची के बिरसा मुंडा हवाई अड्डे का नाम बदलकर “भगवान बिरसा मुंडा हवाई अड्डा” किए जाने की मांग भी ज़ोर पकड़ रही है. यह कदम न केवल उनकी विरासत को सम्मान देने की दिशा में है, बल्कि राज्य के सांस्कृतिक गौरव को सशक्त करने की पहल भी है.
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सांस्कृतिक पहलों की उम्मीद, नई पीढ़ी को मिलेगा प्रेरणा स्रोत
मुख्यमंत्री के संदेश ने राज्यवासियों में उत्साह और गर्व का संचार किया है. सोशल मीडिया पर भारी समर्थन के बीच यह संभावना जताई जा रही है कि राज्य सरकार जल्द ही बिरसा मुंडा की स्मृति में सांस्कृतिक कार्यक्रम, शैक्षिक अभियान और स्मारक स्थलों को बढ़ावा देने की योजनाएं ला सकती है.

जल-जंगल-जमीन की रक्षा का संकल्प, बिरसा मुंडा के आदर्शों से प्रेरणा– हेमंत सोरेन
झारखंड बलिदान दिवस: सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि बदलाव का संकल्प
बिरसा मुंडा के बलिदान दिवस पर यह श्रद्धांजलि न केवल इतिहास की याद है, बल्कि यह झारखंड के भविष्य की दिशा तय करने वाला एक आह्वान भी है — एक ऐसा झारखंड, जो अपने नायकों को सम्मान दे और उनके सपनों को साकार करे.
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12 करोड़ आदिवासियों की अस्मि
झारखंड बलिदान दिवस: सिर्फ एक श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि बदलाव का संकल्प
बिरसा मुंडा के बलिदान दिवस पर यह श्रद्धांजलि न केवल इतिहास की याद है, बल्कि यह झारखंड के भविष्य की दिशा तय करने वाला एक आह्वान भी है — एक ऐसा झारखंड, जो अपने नायकों को सम्मान दे और उनके सपनों को साकार करे.

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