कांग्रेस लोकतंत्र के सबसे काले अध्याय की जिम्मेदार: डॉ. दिलीप जायसवाल
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 28 जून:भाजपा महिला मोर्चा द्वारा आयोजित मॉक पार्लियामेंट के विशेष सत्र में बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉ. दिलीप जायसवाल ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला. पटना के ए.एन. कॉलेज स्थित सत्येंद्र नारायण सिन्हा सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने आपातकाल को “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया और कहा कि एक परिवार की सत्ता बचाने के लिए देश को खुली जेल में तब्दील कर दिया गया था.

डॉ. जायसवाल ने कहा कि 1975 में लगाए गए आपातकाल में हजारों देशभक्तों को बिना किसी सुनवाई के जेलों में ठूंस दिया गया, नागरिक स्वतंत्रता को कुचल दिया गया और असहमति की आवाज को पूरी तरह दबा दिया गया. उनका कहना था की आपातकाल केवल एक राजनीतिक निर्णय नहीं था, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा पर प्रहार था.
कांग्रेस की सोच आज भी नहीं बदली
भाजपा अध्यक्ष ने जोर देते हुए कहा कि भले ही आपातकाल को 50 साल बीत गए हों, लेकिन कांग्रेस की सोच आज भी वैसी ही बनी हुई है. उन्होंने कांग्रेस पर परिवारवाद को प्राथमिकता देने और लोकतांत्रिक मूल्यों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया.उन्होंने कहा की आज भी कांग्रेस लोकतांत्रिक जवाबदेही के बजाय वंशवाद और परिवार विशेष की वफादा.री को सर्वोपरि रखती है.
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इतिहास से सबक लेना जरूरी
डॉ. जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि आपातकाल का स्मरण केवल इतिहास की एक तारीख नहीं है, बल्कि एक चेतावनी है कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए जनता की जागरूकता और सतर्कता हमेशा जरूरी है. उन्होंने कहा कि उस समय कांग्रेस ने सिर्फ सत्ता बचाने के लिए संविधान का अपमान किया और चुनी हुई सरकारों को गिराने का काम किया.उन्होंने भाजपा की राष्ट्र प्रथम नीति का उल्लेख करते हुए कांग्रेस की कार्यशैली की तीखी आलोचना की और कहा कि भाजपा ने हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है.

कार्यक्रम में अनेक गणमान्य शामिल
इस अवसर पर महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद डॉ. धर्मशीला गुप्ता, कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो. अरुण कुमार सिंह और कई अन्य शिक्षाविद एवं पार्टी कार्यकर्ता मौजूद रहे। कार्यक्रम में युवाओं ने मॉक पार्लियामेंट के जरिए आपातकाल के दौरान की परिस्थितियों को जीवंत किया.
निष्कर्ष
भाजपा अध्यक्ष की यह टिप्पणी न केवल अतीत की घटनाओं पर प्रकाश डालती है, बल्कि यह आगामी राजनीतिक विमर्श की दिशा भी संकेतित करती है. आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस के विरुद्ध भाजपा का यह तेवर, निश्चित ही आने वाले समय में राजनीतिक बहस को और तेज करेगा.

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