BJP की चुप्पी और तालिबान के नियम: महिला पत्रकारों पर सवाल

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Kumar Ranjit

बिहार
BJP की चुप्पी और तालिबान के नियम: महिला पत्रकारों पर सवाल

तालिबान और यूपी की तुलना: कांग्रेस ने उठाए सवाल

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना 12 अक्टूबर 2025 हाल ही में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में कहा था कि,यह देश तालिबान नहीं है.इस बयान के बाद बिहार कांग्रेस अध्यक्ष @rajeshkrinc और कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि अगर तालिबान के मंत्रियों ने महिला पत्रकारों को प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोक दिया, तो भाजपा नेताओं और मंत्रियों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दिया है .

कांग्रेस के अनुसार, यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भाजपा और उसके नेता संविधान के मूल सिद्धांतों के बजाय मनुस्मृति के नियमों को मानता हैं.

महिला पत्रकारों के अधिकारों का हनन

तालिबान की सरकार के मंत्रियों द्वारा महिला पत्रकारों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रतिबंध लगाया गया था.यह कदम लोकतंत्र और मीडिया की स्वतंत्रता के खिलाफ है. कांग्रेस ने इस मुद्दे को उठाते हुए सवाल किया कि भाजपा, जो स्वयं को लोकतंत्र का संरक्षक बताता है, उसने इस पर कोई प्रतिक्रिया क्यों नहीं दिया .

महिला पत्रकारों की भूमिका लोकतंत्र में बेहद महत्वपूर्ण है. जब किसी भी देश में महिलाओं को उनके पेशेवर अधिकारों से वंचित किया जाता है, तो यह केवल महिला सशक्तिकरण के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे लोकतांत्रिक ढांचे के खिलाफ है.

भाजपा और मनुस्मृति का आरोप

बिहार कांग्रेस अध्यक्ष @rajeshkrinc के अनुसार, भाजपा और उसके नेता देश के संविधान के बजाय मनुस्मृति के नियमों को महत्व देते हैं.यह आरोप इसलिए गंभीर है क्योंकि भारत का संविधान समानता, स्वतंत्रता और सामाजिक न्याय की गारंटी देता है.

यदि सत्ता में बैठे लोग संविधान के मूल सिद्धांतों की अनदेखी करता हैं, तो इससे न केवल लोकतंत्र कमजोर होता है, बल्कि समाज में असमानता और भेदभाव भी बढ़ता है.

लोकतंत्र और मीडिया की स्वतंत्रता पर सवाल

मीडिया लोकतंत्र की चौथी शक्ति है. पत्रकारों पर किसी भी प्रकार का प्रतिबंध लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है.कांग्रेस ने भाजपा से यह सवाल किया है कि क्या महिला पत्रकारों पर तालिबान जैसी पाबंदियों को लेकर उनके नेताओं की चुप्पी संविधान के प्रति सम्मान का प्रदर्शन है या दोहरे मानकों का परिचायक.

लोकतंत्र में सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी नागरिकों, चाहे महिला हों या पुरुष, को बराबरी का अधिकार दे. प्रेस की स्वतंत्रता का हनन किसी भी लोकतंत्र के लिये खतरा है.

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बिहार कांग्रेस का संदेश

बिहार कांग्रेस और उसके अध्यक्ष ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता व्यक्त किया है .उन्होंने भाजपा से स्पष्ट जवाब मांगते हुए कहा कि लोकतंत्र और संविधान के सिद्धांतों को सशक्त रूप से अपनाना चाहिये.

इसके अलावा, उन्होंने सभी राजनीतिक दलों और नागरिकों से अपील किया है कि वे महिला पत्रकारों और मीडिया की स्वतंत्रता के अधिकार के प्रति संवेदनशील रहें और किसी भी प्रकार के भेदभाव को अस्वीकार करें.

निष्कर्ष

योगी आदित्यनाथ के तालिबान बयान और महिला पत्रकारों पर प्रतिबंध पर भाजपा की चुप्पी ने लोकतंत्र और संविधान के प्रति गंभीर प्रश्न खड़ा कर दिया हैं.कांग्रेस का कहना है कि लोकतंत्र केवल शब्दों में नहीं, बल्कि कार्यों और नीतियों में भी जीवित होना चाहिये.

यदि सत्ता में बैठे लोग संविधान के मूल सिद्धांतों का पालन नहीं करता है , तो यह केवल सरकार की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाता है, बल्कि समाज में असमानता और भेदभाव की राह भी खोल देता है.

बिहार कांग्रेस का यह संदेश स्पष्ट है कि महिला पत्रकारों और मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा लोकतंत्र की रक्षा है.

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