सड़कों पर परिवार, टूटा आशियाना
तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली:दिल्ली में चुनाव पूर्व किए गए वादे “जहां झुग्गी, वहां मकान” अब जमीन पर “जहां झुग्गी, वहीं बुलडोजर” की कड़वी सच्चाई में तब्दील होते दिख रहे हैं. कई क्षेत्रों में झुग्गी बस्तियों को हटाने की मुहिम ने सैकड़ों लोगों को बेघर कर दिया है, जिससे सामाजिक आक्रोश और राजनीतिक विरोध दोनों बढ़ रहे हैं.

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन की दिल्ली इकाई ने इस सरकारी कार्रवाई का विरोध करते हुए जमीनी स्तर पर राहत कार्य शुरू कर दिए हैं. पार्टी के कार्यकर्ता न केवल बुलडोजर कार्रवाई का विरोध कर रहे हैं, बल्कि बेघर हुए लोगों के बीच भोजन, पानी और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति भी कर रहे हैं.
CPI(ML) Liberation के आधिकारिक X हैंडल पर लगातार राहत कार्यों की तस्वीरें और वीडियो साझा किए जा रहे हैं, जिसमें पार्टी की ओर से यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि वह उजाड़े गए लोगों के साथ खड़ी है.
पार्टी का कहना है कि सरकार ने चुनाव जीतने के लिए गरीबों से जो वादे किए थे, वे आज पूरी तरह उलटे साबित हो रहे हैं. “जहां झुग्गी, वहां मकान” का नारा अब “जहां झुग्गी, वहां बुलडोजर” की हकीकत बन चुका है, जो गरीब विरोधी नीतियों को उजागर करता है.
राजनीतिक विश्लेषण:
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह बुलडोजर कार्रवाई जारी रही और विपक्ष का विरोध तेज हुआ, तो यह मुद्दा आगामी नगर निगम और विधानसभा चुनावों में एक प्रमुख बहस का विषय बन सकता है.

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