जनता ने सरकार को दिया साफ संदेश – एसआईआर वापस लो!
राज्यभर में माले कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन,यातायात ठप, कई नेता गिरफ्तार
तीसरा पक्ष ब्यरो पटना, 9 जुलाई :बिहार की सड़कों पर आज कुछ और ही नज़ारा था. सुबह होते ही राज्यभर में हजारों लोग चक्का जाम करने निकल पड़े. इंडिया गठबंधन के आह्वान पर जनता ने एसआईआर (समावेशी पहचान रजिस्टर) के खिलाफ ऐतिहासिक बंद का समर्थन किया और यह बंद सिर्फ़ एक राजनीतिक विरोध नहीं, बल्कि जनभावनाओं का सशक्त प्रदर्शन बन गया.

राज्यभर में भाकपा-माले कार्यकर्ताओं ने विभिन्न सड़कों, हाईवे और रेलवे पटरियों को सुबह से ही जाम कर दिया. आरा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पटना सहित लगभग हर बड़े जिले में प्रदर्शनकारी जुटे रहे.
क्या है मुद्दा?
डिया गठबंधन एसआईआर को वोटबंदी और ‘नागरिक अधिकारों पर हमला’ मान रहे है. गठबंधन का कहना है कि यह कानून गरीबों, दलितों, अल्पसंख्यकों और हाशिये पर खड़े तबकों को निशाना बनाने की एक सोची-समझी योजना है.इसी के खिलाफ आज का यह बंद आयोजित किया गया था. और इसका असर पूरे राज्य में दिखाई दिया

राजधानी से गांव तक, हर सड़क पर विरोध
राज्य की राजधानी पटना हो या दूरस्थ गाँव – हर इलाके में आंदोलन ने जोर पकड़ा.आरा, दरभंगा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सिवान, नवादा, गया, पूर्णिया, बक्सर से लेकर मधुबनी और जहानाबाद तक सड़कों पर ट्रैफिक जाम, बाजार बंद, और नारों की गूंज सुनाई दिया.
पटना ग्रामीण में एसएच-1 को धनरूआ में घंटों जाम रखा गया, जबकि बिहटा बाजार पूरी तरह बंद रहा.

आरा बना प्रदर्शन का केंद्र
आरा में माले और इंडिया गठबंधन के कार्यकर्ताओं ने आरा बस स्टैंड को सुबह से ही बंद कर दिया था स्टेशन से निकले एक विशाल मार्च में शामिल हुए लोग नवादा मठिया, शिवगंज, गोपाली चौक होते हुए अंबेडकर चौक तक पहुंचे.सांसद सुदामा प्रसाद और विधायक शिवप्रकाश रंजन इस मार्च की अगुवाई कर रहे थे. युवाओं और छात्रों की बड़ी भागीदारी ने इस आंदोलन को और ताकतवर बना दिया.

कई जिलों में गिरफ्तारियां भी
जगदीशपुर में प्रदर्शन के दौरान माले नेता कमलेश यादव, इंदु सिंह, आइसा नेता शहनवाज खान, आरवाईए नेता राजू राम और आनंद कुमार सहित कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने गिरफ्तार किया.इसके बावजूद प्रदर्शनकारियों का हौसला कम नहीं हुआ.

नेताओं की भूमिका अहम
इस बंद को संगठित और व्यापक बनाने में कई क्षेत्रीय नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
महानंद सिंह ने अरवल में
अमरजीत कुशवाहा ने सिवान में
महबूब आलम ने कटिहार में
रामबली सिंह यादव ने जहानाबाद में
अजीत कुशवाहा, अरुण सिंह, और वीरेन्द्र गुप्ता जैसे नेता भी मैदान में डटे रहे.
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सोशल मीडिया पर भी दिखा असर बंद और चक्का जाम की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ युवाओं में खासकर इस मुद्दे को लेकर गहरी जागरूकता देखी गई.

सरकार की चुप्पी, जनता की चेतावनी
सरकार की ओर से इस मुद्दे पर अब तक कोई भी स्पष्ट बयान नहीं आया है. लेकिन आज के बंद ने यह साफ कर दिया कि जनता इस कानून को कतई स्वीकार करने को तैयार नहीं है. आंदोलनकारियों ने चेताया है कि अगर एसआईआर को तुरंत वापस नहीं लिया गया, तो आंदोलन और तेज़ होगा.
निष्कर्ष
9 जुलाई का बिहार बंद सिर्फ एक विरोध-प्रदर्शन नहीं था. यह एक चेतावनी थी जनता अब चुप नहीं बैठेगी.एसआईआर जैसे कानून को अगर लोकतंत्र पर हमला माना जा रहा है तो बिहार की जनता उस हमले के खिलाफ पूरी ताकत से खड़ी हो चुकी है.
अब देखना ये होगा कि क्या सरकार इस जनसैलाब की आवाज़ सुनेगी या फिर आने वाले दिनों में यह आंदोलन और भी व्यापक रूप लेगा.
क्या आप भी इस बंद का हिस्सा बने थे? नीचे कमेंट में अपना अनुभव साझा करें.

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