चिराग पासवान बनाम तेजस्वी यादव बिहार में नेतृत्व की जंग शुरू

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Ajit Kumar

बिहार
चिराग पासवान बनाम तेजस्वी यादव बिहार में नेतृत्व की जंग शुरू

तेजस्वी यादव का पलटवार:अगर मुख्यमंत्री बनना है, तो मोदी जी से क्यों नहीं कहते?

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना ,20 जुलाई:बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमागया है. इस बार सियासी घमासान की वजह बने हैं लोक जनशक्ति पार्टी (राम विलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान. उनके हालिया बयानों और राज्य में सक्रिय भूमिका की घोषणा ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दिया है. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने उनके मुख्यमंत्री पद की संभावित दावेदारी पर तीखा हमला बोला है. जिससे राज्य की राजनीति में बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ हो गया है.

चिराग पासवान के बयान ने पैदा की हलचल

चिराग पासवान ने हाल ही में बिहार की राजनीति में वापसी की बात कहे थे और राज्य के समग्र विकास को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताया था. उन्होंने संकेत दिया कि एलजेपी (राम विलास) सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस बयान ने राजनीतिक विश्लेषकों को चौंका दिया है क्योंकि यह सीधा-सीधा एनडीए के भीतर नेतृत्व की खींचतान की ओर इशारा करता है.

हालांकि पासवान ने स्पष्ट किया कि अगर एनडीए सत्ता में आता है. तो मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार ही चेहरा होंगे. लेकिन उनके पार्टी की ओर से अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी के संकेत ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वह सचमुच नीतीश कुमार को समर्थन देने के पक्ष में हैं या फिर अपनी जमीन मजबूत कर भविष्य में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी के लिए माहौल बना रहे हैं.

तेजस्वी यादव का तीखा हमला

इस पूरे घटनाक्रम पर आरजेडी ने पलटवार करते हुए चिराग पासवान की महत्वाकांक्षाओं को चुनौती दिया है.पार्टी के वरिष्ठ नेता तेजस्वी यादव ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर तंज कसते हुए पूछा कि अगर चिराग वास्तव में मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं. तो क्या उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी से साफ तौर पर इसकी मांग करने की हिम्मत है?

तेजस्वी ने चिराग की मैं बिहार लौट आया हूं वाली टिप्पणी पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या वे पहले कहीं बाहर चले गए थे? उन्होंने यह भी पूछा कि चिराग को बिहार से किसने भगाया था और उन्हें यहां सक्रिय होने से कौन रोक रहा था. जबकि वे जमुई से सांसद रह चुके हैं और अब हाजीपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

तेजस्वी का यह बयान केवल एक व्यक्तिगत हमला नहीं है. बल्कि आरजेडी की एक रणनीतिक चाल भी है. जिसका उद्देश्य एनडीए में दरार दिखाना और गठबंधन की आंतरिक कमजोरियों को उजागर करना है.

एनडीए में दरार या राजनीतिक शतरंज?

चिराग पासवान की यह आक्रामकता एनडीए के भीतर जटिल समीकरणों को झकझोर रहा है . एलजेपी (राम विलास), जेडीयू और बीजेपी – तीनों ही घटक दल अलग-अलग एजेंडा और नेतृत्व आकांक्षाओं के साथ काम कर रहा है.

नीतीश कुमार के स्वास्थ्य और उम्र को लेकर लगातार उठते सवाल.साथ ही उनके बार-बार गठबंधन बदलने का इतिहास, बीजेपी के लिए एक असहज स्थिति पैदा कर रहा.ऐसे में चिराग पासवान का उभरता आत्मविश्वास और दलित नेता के रूप में उनकी पहचान उन्हें एक संभावित विकल्प के रूप में उभार रहा है .लेकिन यह भी साफ है कि बीजेपी के लिए चिराग को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करना फिलहाल राजनीतिक रूप से जोखिम भरा होगा. खासकर तब, जब नीतीश अभी तक गठबंधन का “स्थायी चेहरा” बना हुआ हैं.

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आरजेडी की रणनीति क्या है?

आरजेडी चिराग पासवान को बीजेपी के सामने कमज़ोर दिखाने की कोशिश कर रहा रही है, ताकि एनडीए की एकता पर प्रश्नचिन्ह लगाया जा सके. तेजस्वी यादव का हमला केवल पासवान पर नहीं.बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी पर भी है . यह दिखाने की कोशिश की जा रहा है कि एनडीए में फैसले लेने की स्वतंत्रता केवल मोदी या बीजेपी नेतृत्व के पास है. सहयोगी दल केवल कठपुतलियां हैं.

महागठबंधन की रणनीति स्पष्ट है: वह मतदाताओं को यह संदेश देना चाहता है कि एनडीए केवल एक चुनावी गठजोड़ है. जिसमें आपसी विश्वास और स्थिर नेतृत्व की कमी है.

निष्कर्ष: 2025 की लड़ाई का ट्रेलर?

2025 के विधानसभा चुनाव से पहले यह बयानबाजी एक ट्रेलर की तरह है. जिसमें आने वाली राजनीतिक पटकथा की झलक मिलता है. जातिगत समीकरण, विकास की राजनीति, नेतृत्व की दावेदारी और गठबंधन की एकता यह सभी पहलू मिलकर इस चुनाव को बेहद पेचीदा और रोचक बनाने वाला हैं.

बिहार की राजनीति में चिराग पासवान की सक्रियता से जहां एनडीए को रणनीतिक तौर पर नए समीकरण गढ़ने होंगे. वहीं आरजेडी इस मौके को भुनाने के लिए पूरी तरह तैयार है.अब देखना यह होगा कि क्या यह तकरार चुनाव तक सीमित रहता है. या फिर एनडीए में वाकई कोई बड़ा फेरबदल सामने आता है.

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