भारत के नए उपराष्ट्रपति बने सी.पी. राधाकृष्णन, अमित शाह ने कहा- लोकतंत्र होगा मज़बूत
तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली, 12 सितंबर 2025–भारत के नए उपराष्ट्रपति श्री सी.पी. राधाकृष्णन ने आज ऐतिहासिक समारोह में अपने पद और गोपनीयता की शपथ ली. इस मौके पर देशभर से नेताओं और गणमान्य व्यक्तियों ने उन्हें शुभकामनाएँ दीं है. गृहमंत्री अमित शाह ने X (पूर्व ट्विटर) पर अपने आधिकारिक हैंडल से बधाई देते हुए लिखा कि राधाकृष्णन जी का विशाल अनुभव और गहरी समझ भारत की लोकतांत्रिक संस्थाओं को और मजबूत करेगी तथा वे जनसेवा की दिशा में नई ऊँचाइयाँ स्थापित करेंगे.
अमित शाह का ट्वीट बना चर्चा का विषय
अमित शाह ने अपने पोस्ट में कहा कि,
“श्री सी.पी. राधाकृष्णन जी को भारत के उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेने पर बधाई. आपका विशाल ज्ञान और अनुभव हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को और मज़बूत करेगा और लोगों की बेहतर सेवा करेगा.
गृहमंत्री का यह संदेश सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया और हजारों लोगों ने इसे रीट्वीट करते हुए नए उपराष्ट्रपति के प्रति अपना समर्थन और शुभकामनाएँ व्यक्त कीं.
कौन हैं सी.पी. राधाकृष्णन?
सी.पी. राधाकृष्णन लंबे समय से भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे हैं. वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता हैं और तमिलनाडु से आते हैं। उन्हें व्यवहारिक राजनीति, प्रशासनिक अनुभव और साफ-सुथरी छवि के लिए जाना जाता है.
उनका राजनीतिक जीवन हमेशा जनसेवा और संगठन निर्माण पर केंद्रित रहा है. भाजपा संगठन में उन्होंने कई महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाई हैं और राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक पार्टी को मजबूत करने में अहम योगदान दिया है.
ये भी पढ़े :पप्पू यादव का BJP पर बड़ा हमला: दलित नेताओं के अपमान का लगाया आरोप
ये भी पढ़े :आकाश आनंद का दूसरा दिन: बसपा की ‘सर्वजन हिताय’ यात्रा ने पकड़ी रफ़्तार
ये भी पढ़े :एनडीए की एकजुटता बनेगी बिहार की प्रचंड जीत का आधार : डॉ. दिलीप जायसवाल
उपराष्ट्रपति के रूप में उनकी भूमिका
भारत के उपराष्ट्रपति का पद न केवल राज्यसभा के सभापति के रूप में महत्वपूर्ण होता है बल्कि यह संवैधानिक मर्यादाओं और लोकतांत्रिक संतुलन का प्रतीक भी है. सी.पी. राधाकृष्णन से अपेक्षा है कि वे अपने गहन अनुभव और विचारशील दृष्टिकोण से संसद की कार्यवाही को और अधिक प्रभावी तथा सार्थक बनाएँगे.
लोकतंत्र के इस उच्च पद पर वे जनप्रतिनिधियों के बीच संवाद को सुचारु करेंगे और संवैधानिक परंपराओं का पालन करते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों को मजबूत करेंगे.
देशभर से मिल रही शुभकामनाएँ
राधाकृष्णन जी की शपथ के बाद सिर्फ अमित शाह ही नहीं, बल्कि कई अन्य नेताओं और नागरिकों ने भी उन्हें शुभकामनाएँ दीं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोग उम्मीद जता रहे हैं कि उनके नेतृत्व में संसद की कार्यवाही अधिक गरिमामयी होगी और देश में संवाद और बहस की संस्कृति मजबूत होगी.
लोकतंत्र के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव
भारत का लोकतंत्र निरंतर प्रगति कर रहा है.उपराष्ट्रपति जैसे उच्च पद पर नए चेहरे का आगमन देश के राजनीतिक तंत्र को नई दिशा देता हैराधाकृष्णन की सादगी, ईमानदारी और संगठनात्मक अनुभव देश की भावी राजनीति को प्रभावित करने में सक्षम माने जा रहे हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि उनके अनुभव का लाभ राज्यसभा की कार्यवाही में देखने को मिलेगा, खासकर तब जब विभिन्न दलों के बीच सहमति बनाना एक चुनौती बन जाता है.
ये भी पढ़े :राहुल-तेजस्वी पर निशाना, नीतीश के सामने कोई टिक नहीं पाएगा : पीयूष गोयल
ये भी पढ़े :बिहार में शिक्षक अभ्यर्थियों पर पुलिसिया दमन: आइसा ने कहा- लोकतंत्र पर काला धब्बा
अमित शाह का भरोसा और संदेश
अमित शाह का यह संदेश केवल बधाई नहीं बल्कि एक विश्वास की झलक भी है. गृहमंत्री ने संकेत दिया कि राधाकृष्णन जी का कार्यकाल भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और जनसेवा की नई मिसाल बनेगा. उनका संदेश इस बात को भी स्पष्ट करता है कि भाजपा नेतृत्व उपराष्ट्रपति के पद पर राधाकृष्णन की नियुक्ति को ऐतिहासिक मान रहा है.
निष्कर्ष
सी.पी. राधाकृष्णन का भारत के 15वें उपराष्ट्रपति के रूप में शपथ ग्रहण केवल एक संवैधानिक प्रक्रिया नहीं बल्कि लोकतंत्र के लिए नई उम्मीदों का संदेश है.गृहमंत्री अमित शाह सहित देशभर के नेताओं और नागरिकों की शुभकामनाएँ यह दर्शाती हैं कि पूरा देश उनसे सकारात्मक बदलाव की अपेक्षा कर रहा है.आने वाले वर्षों में यह देखना रोचक होगा कि वे अपने ज्ञान और अनुभव से इस ऊँचे पद की गरिमा को कैसे और अधिक सशक्त बनाते हैं.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.