15 दिन का राज्यव्यापी जनअभियान शुरू करने का ऐलान
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 12 अगस्त:भाकपा–माले की केंद्रीय कमिटी की बैठक आज पटना में शुरू हुई.जिसमें पार्टी महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य समेत देश भर से आए शीर्ष नेता इसमें शामिल हुये बैठक में बिहार सहित देश के अन्य हिस्सों में चल रहे SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया और उसके सामाजिक–राजनीतिक प्रभावों पर विस्तृत चर्चा किया गया है.

बैठक में यह गंभीर चिंता जताया गया कि SIR के तहत मतदाता सूची से लाखों नाम बिना उचित जांच के हटाए जा रहा हैं. जिनमें बड़ी संख्या प्रवासी मजदूरों का है.भाकपा–माले ने आरोप लगाया कि पार्टी द्वारा चुनाव आयोग को कई बार लिखित आपत्तियां भेजने के बावजूद आयोग यह दावा कर रहा है कि उसे कोई शिकायत नहीं मिला है.पार्टी ने इस रुख को लोकतंत्र के साथ खुली धोखाधड़ी करार दिया है.और आयोग से स्पष्टता की मांग किया है कि वह किस प्रकार की आपत्तियों को ‘आधिकारिक’ मानेगा.
मताधिकार की रक्षा के लिए आंदोलन का ऐलान
बैठक में यह फैसला लिया गया कि आने वाले 15 दिनों में पूरे राज्य में एक सघन जनअभियान चलाया जायेगा. इस अभियान के तहत भाकपा–माले के विधायक, सांसद, जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता उन सभी लोगों की मदद करेंगे जिनका नाम मतदाता सूची से हटाया गया है.
पार्टी कार्यकर्ता फॉर्म–6 भरवाकर मतदाताओं के नाम दोबारा सूची में दर्ज करवाएंगे और चुनाव आयोग के हठधर्मी एवं अपारदर्शी कार्यशैली को जनता के सामने लायेगे.
प्रमाण पत्र शिविरों की अनुपलब्धता पर सवाल
बैठक में इस बात पर भी रोष प्रकट किया गया है कि प्रशासन की तरफ से पहले यह भरोसा दिया गया था कि ज़रूरतमंदों के लिए आवासीय व जाति प्रमाण पत्र बनाने हेतु विशेष शिविर लगाया जायेगा लेकिन 11 दिन बीत जाने के बाद भी एक भी शिविर आयोजित नहीं हुआ. भाकपा–माले ने इस स्थिति को सरकार की सुनियोजित रणनीति बताया, जिसका उद्देश्य आम लोगों को आवश्यक दस्तावेजों से वंचित कर उन्हें मताधिकार से बाहर करना है.
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SIR को लेकर देशव्यापी तस्वीर
बैठक में बिहार के अलावा पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और असम में चल रहे SIR प्रक्रिया का भी समीक्षा किया गया. पार्टी ने बिहार के लाखों प्रवासी मजदूरों का नाम तमिलनाडु की मतदाता सूची में जोड़ने की खबरों को पूरी तरह भ्रामक और तथ्यहीन करार दिया है. माले का कहना है कि इन मजदूरों का नाम बिहार में ही वोटर लिस्ट में दर्ज होना चाहिये.अन्यथा उन्हें न बिहार में अधिकार मिलेगा, न तमिलनाडु में.
पश्चिम बंगाल में बांग्ला भाषी प्रवासी मजदूरों को बांग्लादेशी बताकर निशाना बनाए जाने पर भी पार्टी ने कड़ा विरोध जताया है और इसे भेदभावपूर्ण और असंवैधानिक कहा है.
मताधिकार के लिए देशव्यापी संघर्ष का आह्वान
बैठक के अंत में भाकपा–माले ने साफ किया कि यह केवल एक राज्य या प्रक्रिया का मुद्दा नहीं है. बल्कि भारत के लोकतंत्र पर हो रहा संगठित हमला है.पार्टी ने घोषणा की कि वह इस हमले के खिलाफ देशव्यापी प्रतिरोध आंदोलन खड़ा करेगा और इसे जनता के लोकतांत्रिक अधिकारों की निर्णायक लड़ाई में बदलेगा.
निष्कर्ष
SIR प्रक्रिया के नाम पर मतदाता सूची से नाम हटाने की घटनाओं ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दिया है. भाकपा–माले की यह बैठक इस बात का स्पष्ट संकेत है कि आने वाले दिनों में बिहार ही नहीं बल्कि पूरे देश में मताधिकार को लेकर बड़ा राजनीतिक संघर्ष देखने को मिल सकता है.

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