माले नेताओं ने पीएम से पूछा — कहां है MSP, कहां है पानी?

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Ajit Kumar

बिहार
माले नेताओं ने पीएम से पूछा — कहां है MSP, कहां है पानी?

पानी नहीं, MSP नहीं – फिर किस बात की सरकार?

20 साल बनाम 10 दिन: माले की यात्रा बदलो सरकार – बदलो बिहार

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 18 जून:बिहार की राजनीति में एक नई हलचल पैदा करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने आज से ‘बदलो सरकार – बदलो बिहार’ यात्रा की शुरुआत कर दी है. शाहाबाद–मगध ज़ोन से निकली यह परिवर्तन यात्रा इंद्रपुरी जलाशय निर्माण स्थल से आरंभ हुई, जहां निर्माण कार्य के दौरान मारे गए मजदूरों को श्रद्धांजलि अर्पित कर इसे रवाना किया गया.

20 साल बनाम 10 दिन: माले की यात्रा बदलो सरकार – बदलो बिहार

इस यात्रा को माले के राज्य सचिव कॉ. कुणाल और पोलित ब्यूरो सदस्य कॉ. अमर ने लाल झंडा दिखाकर हरी झंडी दी. यात्रा का नेतृत्व काराकाट सांसद राजाराम सिंह, आरा सांसद सुदामा प्रसाद, काराकाट विधायक अरुण सिंह, महानंद सिंह, संदीप सौरभ, अजीत कुशवाहा, रामबली सिंह यादव, गोपाल रविदास, शिवप्रकाश रंजन समेत क्षेत्र के कई अन्य वरिष्ठ नेता कर रहे हैं.

किसानों और आम जनता के सवालों को लेकर सरकार को दी खुली चुनौती

अकाढ़ी गोला में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए सांसद राजाराम सिंह ने बिहार की भाजपा–जदयू सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “इंद्रपुरी जलाशय का निर्माण आज तक अधूरा है। सोन नदी सूखने की कगार पर है और नहर प्रणाली पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है.यह क्षेत्र, जो कभी जल-समृद्ध माना जाता था, आज पेयजल संकट से जूझ रहा है.

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उन्होंने प्रधानमंत्री की हालिया यात्रा पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि किसानों की समस्याओं पर न तो कोई जवाब दिया गया और न ही कोई राहत। भाजपा–नीतीश सरकार द्वारा एपीएमसी एक्ट को खत्म करने, एमएसपी पर खरीदी नहीं होने, और बटाईदारों के पंजीकरण में विफलता को किसान विरोधी कदम बताते हुए उन्होंने कहा की यह सरकार किसानों को लगातार धोखा देती रही है.अब समय आ गया है कि जनता इसे सत्ता से बेदखल करे.

गांव-गांव संवाद, जनता से सीधा जुड़ाव

गांव-गांव संवाद, जनता से सीधा जुड़ाव

भाकपा–माले की यह यात्रा आने वाले 10 दिनों तक शाहाबाद–मगध क्षेत्र के गांवों में जाएगी और ग्रामीण बैठकों, जनसंवाद और जनसभाओं के जरिए आम जनता से सीधा संवाद करेगी। यात्रा का उद्देश्य है — बिहार में जनविकल्प का निर्माण, और शोषणकारी शासन के खिलाफ आम लोगों की संगठित आवाज बनना.

यात्रा केवल शाहाबाद–मगध तक सीमित नहीं है.सारण–चंपारण और तिरहुत–मिथिला जोनों में भी इसी तर्ज पर यात्राएं शुरू हो चुकी हैं. यह आंदोलन अब केवल एक राजनीतिक पहल नहीं, बल्कि बिहार के किसानों, श्रमिकों, युवाओं और महिलाओं की आवाज बनता जा रहा है.

बदलाव का बिगुल बज चुका है। सवाल अब यह है कि क्या बिहार तैयार है एक नई दिशा की ओर बढ़ने को?

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