कई असली मतदाताओं के नाम हटाए जाने का आरोप
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 22 अगस्त 2025— बिहार में मतदाता सूची से सही नामों के हटाए जाने को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठाया हैं. माले के अनुसार आरा विधानसभा क्षेत्र के बूथ संख्या 100 पर पार्टी के बीएलए-2 विश्वकर्मा पासवान द्वारा दर्ज की गई आपत्ति को चुनाव आयोग ने आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया है.
पार्टी के राज्य सचिव कुणाल ने जानकारी दिया कि पासवान ने दो मतदाताओं — मिंटू पासवान (एपिक नंबर: RCX0701235) और मुन्ना पासवान (एपिक नंबर: RGX2861375) — के नाम हटाए जाने पर आपत्ति दर्ज किया था. जिसे आयोग ने नोट किया है.कुणाल के मुताबिक पार्टी की ओर से अब तक दर्जनों आपत्तियां दी जा चुकी हैं.परंतु आयोग ने अभी सिर्फ दो को ही स्वीकार किया है.
अन्य विधानसभा क्षेत्रों से भी उठी आवाजें
भोजपुर जिले की 196-तरारी विधानसभा सीट के बूथ संख्या 314 से पार्टी ने 12 मतदाताओं के नामों पर आपत्ति जताया है. इनमें 9 प्रवासी और 3 मृत घोषित किए गए लोग शामिल हैं. जिनके नाम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाया गया है.
194-आरा विधानसभा: बीएलए-2 मुकेश प्रसाद ने भाग संख्या 2 से सोना देवी का नाम हटाए जाने पर आपत्ति दर्ज की है.
214-अरवल: यहां बीएलए-2 द्वारा भाग संख्या 173 में धर्मराज रजवार और हरे कृष्ण दास के नाम हटाए जाने को चुनौती दी गई है.
213-काराकाट: प्रशांत कुमार (बीएलए-2) ने भाग संख्या 171 में कुल सात नामों को हटाने पर आपत्ति जताई है.जिनमें राम सिंह, मिथलेश कुमार, धनवरती देवी, हरेराम सिंह, रामानंद सिंह, रोहित सिंह और मीरा देवी शामिल हैं.
25-बहादुरपुर (दरभंगा): किसुन पासवान ने भाग संख्या 299 में दशरथ पासवान का नाम हटाने को लेकर आपत्ति दर्ज की है.
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जल्दबाजी और अस्पष्ट प्रक्रिया के कारण नुकसान: माले
राज्य सचिव कुणाल ने आयोग की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आपत्तियां दर्ज करने की प्रक्रिया बेहद जटिल और अनस्पष्ट है. उनका मानना है कि अगर चुनाव आयोग ने आपत्ति दर्ज कराने की प्रक्रिया को सही ढंग से प्रचारित किया होता तो बड़ी संख्या में सही मतदाताओं के नाम बचाया जा सकता था.
उन्होंने यह भी कहा कि एसआईआर , के दौरान की गई जल्दबाजी में कई वास्तविक और पात्र मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिया गया है .हमने समय-समय पर आपत्तियां दर्ज की हैं और आगे भी करते रहेंगे,कुणाल ने दोहराया.
बड़ी संख्या में नाम हटाए जाने पर उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम से यह संकेत मिल रहा है कि चुनाव आयोग द्वारा किए जा रहे मतदाता सूची संशोधन में कई खामियां रह गई हैं. सही मतदाताओं के नाम हटाए जाने से न केवल लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर असर पड़ता है. बल्कि यह जन प्रतिनिधित्व के अधिकार को भी बाधित करता है.
माले की यह सक्रियता इस बात को रेखांकित करता है कि चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना कितना आवश्यक है — खासकर तब, जब लोकतंत्र की बुनियादी इकाई मतदाता ही व्यवस्था से बाहर कर दियाजाये
निष्कर्ष
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) द्वारा चुनाव आयोग के समक्ष दर्ज की गई आपत्तियां यह संकेत देती हैं कि वोटर लिस्ट संशोधन प्रक्रिया में गंभीर चूक हुआ है. सही मतदाताओं के नाम बिना स्पष्ट कारण हटाए जाना लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है.
चुनाव आयोग की ओर से प्रक्रिया की स्पष्ट जानकारी के अभाव और जल्दबाजी में की गई कार्रवाई ने कई पात्र मतदाताओं को मतदान से वंचित करने का खतरा पैदा किया है. यह ज़रूरी है कि आयोग आपत्तियों की प्रक्रिया को पारदर्शी और सुगम बनाया जाये ताकि प्रत्येक नागरिक अपने मताधिकार के संरक्षण के लिए सक्षम हो सके.
माले की सक्रियता से यह स्पष्ट होता है कि वोटर लिस्ट की निगरानी और सुधार की प्रक्रिया में जनपक्षधर हस्तक्षेप बेहद ज़रूरी है. ताकि लोकतंत्र की नींव मज़बूत बना रहे.

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