बाढ़ से बढ़ी आर्थिक और सामाजिक चुनौतियां, सरकार तुरंत दे मदद
तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली, 9 सितंबर 2025 – दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने के बाद आई बाढ़ ने राजधानी के कई हिस्सों को बुरी तरह प्रभावित किया है. हजारों परिवारों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित ठिकानों पर शरण लेनी पड़ी है. कई इलाकों में घरों के साथ-साथ छोटे दुकानदारों और रेहड़ी-पटरी वालों का कारोबार भी पूरी तरह ठप हो गया है. बाढ़ का असर न सिर्फ आर्थिक रूप से बल्कि सामाजिक रूप से भी गहरा पड़ रहा है.
इसी बीच आम आदमी पार्टी की वरिष्ठ नेता और विधायक आतिशी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता से सीधी अपील किया है.उन्होंने कहा कि बाढ़ से प्रभावित हजारों परिवारों की स्थिति बेहद खराब है और सरकार को तत्काल आर्थिक सहायता देनी चाहिये।आतिशी का मानना है कि जब तक परिवारों को वित्तीय मदद नहीं मिलेगी, तब तक वे अपने जीवन को पटरी पर नहीं ला पाएंगे.
बाढ़ से बढ़ी मुश्किलें
दिल्ली में यमुना का पानी बढ़ने से निचले इलाकों में हालात सबसे खराब हैं. प्रभावित परिवारों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा है. और कई लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं.जिनके पास सुरक्षित ठिकाने नहीं हैं. वे खुले में तिरपाल और अस्थायी टेंट लगाकर दिन-रात गुजारने को मजबूर हैं.बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा कठिनाई हो रही है.
.
स्कूल जाने वाले कई बच्चे पढ़ाई से वंचित हो गए हैं. वहीं रोज़ कमाने-खाने वाले परिवारों के लिए रोजगार की स्थिति बेहद खराब हो गई है.छोटे दुकानदार, ऑटो-रिक्शा चालक और दिहाड़ी मजदूर अपनी कमाई खो बैठे हैं. ऐसे में उन्हें दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है.
आतिशी की अपील
आतिशी ने अपने संदेश में लिखा कि है कि दिल्ली में यमुना से आई बाढ़ से हजारों परिवार प्रभावित हुए हैं. जिनका भारी नुकसान हुआ है. मैं मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता जी से अपील करती हूं कि सरकार तुरंत सभी परिवारों को आर्थिक सहायता दे.
ये भी पढ़े :पंजाब बाढ़ राहत: अरविंद केजरीवाल ने CM भगवंत मान के फैसलों को बताया ऐतिहासिक
ये भी पढ़े :तेजस्वी यादव का NDA पर हमला: 20 साल के शासन पर 12 सवाल
उनकी इस अपील के बाद राजनीतिक हलकों में भी चर्चा तेज हो गई है. विपक्षी दल लगातार सरकार से राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं. वहीं सामाजिक संगठनों का कहना है कि यदि समय पर वित्तीय मदद नहीं पहुंची, तो बाढ़ प्रभावित परिवार लंबे समय तक कठिनाइयों में फंसे रहेंगे.
राहत कार्य की धीमी रफ्तार पर सवाल
स्थानीय लोगों का आरोप है कि राहत कार्य की रफ्तार बहुत धीमी है. कई इलाकों में अभी तक पीने का साफ पानी और भोजन की पर्याप्त व्यवस्था नहीं हो पाई है. वहीं, कई परिवारों को कहा जा रहा है कि सर्वे के बाद ही आर्थिक मदद दी जाएगी. इससे लोगों में नाराजगी बढ़ रही है.
बाढ़ के कारण संक्रामक बीमारियों का खतरा भी मंडरा रहा है. जगह-जगह पानी भरे होने से डेंगू, मलेरिया और त्वचा संबंधी रोग फैलने की आशंका है. डॉक्टरों और स्वास्थ्य विभाग की टीमें लगातार निगरानी कर रही हैं.लेकिन प्रभावित इलाकों की संख्या ज्यादा होने के कारण सभी तक सुविधाएं पहुंचाना चुनौती बना हुआ है.
सरकार से उम्मीदें
बाढ़ प्रभावित लोग उम्मीद लगाए बैठे हैं कि सरकार जल्द से जल्द राहत पैकेज की घोषणा करेगी.आतिशी की अपील ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि आपदा के समय सरकार कितनी जल्दी और संवेदनशीलता से प्रतिक्रिया देती है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सरकार समय पर आर्थिक सहायता और पुनर्वास योजना लागू करती है. तो इससे न केवल प्रभावित परिवारों को राहत मिलेगी बल्कि प्रशासन पर जनता का विश्वास भी मजबूत होगा.
निष्कर्ष
दिल्ली में आई बाढ़ ने हजारों परिवारों की जिंदगी को गहरी चोट दी है. इस आपदा ने दिखा दिया है कि राजधानी जैसे बड़े शहर में भी प्राकृतिक संकट लोगों को असहाय बना देता है. फिलहाल, सभी की निगाहें मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और उनकी टीम पर टिकी हुई हैं. प्रभावित परिवारों को राहत कब और कैसे मिलेगी. यह आने वाले दिनों में साफ हो पाएगा.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.