जनकपुरी और द्वारका में पानी सप्लाई ठप, BJP पर AAP का आरोप
तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली, 22 सितम्बर 2025 – राजधानी दिल्ली में पानी की समस्या दिनों-दिन गंभीर होती जा रही है. आम आदमी पार्टी (AAP) ने इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार को घेरते हुए कहा है कि आज दिल्ली के लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं. पार्टी का दावा है कि दिल्ली जैसे बड़े और विकसित शहर में आम और मिडिल क्लास परिवारों को पीने के पानी के लिए सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करना पड़ रहा है.
AAP ने अपने आधिकारिक X (ट्विटर) हैंडल से जानकारी साझा करते हुए कहा कि द्वारका, वसंत कुंज और जनकपुरी जैसे प्रमुख इलाकों में वह पानी सप्लाई, जिसे केजरीवाल सरकार ने शुरू कराया था, अब ठप हो गई है. पार्टी ने बीजेपी सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि जनता को बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया जा रहा है.
दिल्लीवासियों की बढ़ती मुश्किलें
राजधानी के कई इलाकों में रहने वाले लोगों ने बताया कि पानी की सप्लाई न मिलने से उन्हें रोजाना निजी टैंकरों पर निर्भर रहना पड़ता है.एक टैंकर पानी की कीमत 1000 रुपये से 1500 रुपये तक पहुंच गई है, जो मिडिल क्लास और लोअर इनकम ग्रुप परिवारों पर सीधा आर्थिक बोझ डाल रही है.
स्थानीय निवासियों का कहना है कि पहले जहाँ नियमित रूप से सप्लाई मिल जाती थी, वहीं अब घंटों इंतज़ार करने के बाद भी नल सूखे रह जाते हैं. इससे बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ रहा है. कई परिवार मजबूरी में बाजार से पैक्ड पानी खरीद रहे हैं.
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप
AAP का कहना है कि जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री थे, तब पानी की आपूर्ति व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए गए थे. नए पाइपलाइन प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए और जल बोर्ड की क्षमता को बढ़ाया गया. लेकिन मौजूदा बीजेपी सरकार ने उन योजनाओं को नज़रअंदाज़ कर दिया, जिसका नतीजा है कि आज दिल्ली के लाखों लोग पानी की किल्लत झेल रहे हैं.
वहीं बीजेपी नेताओं का कहना है कि दिल्ली में पानी संकट की असली वजह बढ़ती आबादी और सीमित संसाधन हैं. उनका तर्क है कि दिल्ली का जल संकट केवल राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि प्रबंधन और योजना का मसला है.
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विशेषज्ञों की राय
शहरी विकास विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में पानी की मांग लगातार बढ़ रही है, लेकिन जल स्रोतों में वृद्धि नहीं हुई है. यमुना नदी पर निर्भरता, भूजल का अंधाधुंध दोहन और बारिश के पानी को संरक्षित न कर पाना, इन सभी कारणों ने मिलकर समस्या को विकराल बना दिया है. विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि यदि वर्षा जल संचयन और रिसाइकलिंग प्रोजेक्ट्स को तेजी से लागू नहीं किया गया तो आने वाले वर्षों में स्थिति और गंभीर हो सकती है.
आम जनता की उम्मीदें
दिल्ली के नागरिकों का कहना है कि वे राजनीति नहीं, बल्कि समाधान चाहते हैं. उनका मानना है कि पानी की समस्या पर एक-दूसरे को दोष देने के बजाय केंद्र और राज्य सरकार को मिलकर स्थायी समाधान निकालना चाहिए .लोगों की सबसे बड़ी मांग है कि नियमित सप्लाई बहाल हो और टैंकर माफिया पर सख्त कार्रवाई की जाए.
निष्कर्ष
दिल्ली का पानी संकट अब केवल एक प्रशासनिक समस्या नहीं बल्कि राजनीतिक बहस का अहम मुद्दा बन गया है.आम आदमी पार्टी जहां बीजेपी सरकार पर लापरवाही का आरोप लगा रही है, वहीं बीजेपी समस्या की जड़ को बढ़ती आबादी और संसाधनों की कमी बता रही है. इस बीच, पीने के पानी के लिए जूझ रही दिल्ली की जनता राहत की उम्मीद में सरकार की ओर देख रही है.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.