सवाल उठाने वालों को कुचला जा रहा है : दीपंकर भट्टाचार्य

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Kumar Ranjit

बिहार
सवाल उठाने वालों को कुचला जा रहा है : दीपंकर भट्टाचार्य

मुद्दों की आवाज दब रही है, लोकतंत्र खतरे में : दीपंकर भट्टाचार्य

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 28 सितम्बर 2025 – शहीद भगत सिंह की जयंती पर राजधानी पटना में आयोजित परिचर्चा “बिहार बदलाव के मुद्दे और दिशा” में भाकपा(माले) महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने सरकार पर तीखा हमला किया है.उन्होंने कहा कि आज देश में लोकतांत्रिक आवाज़ों को जेलों में कैद किया जा रहा है और संगठित होने की हर कोशिश को कुचलने की राजनीति चल रही है.

मुद्दों की आवाज दब रही है, लोकतंत्र खतरे में : दीपंकर भट्टाचार्य

गांधी मैदान स्थित भगत सिंह प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद आईएमए सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दीपंकर ने कहा कि लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को एनएसए के तहत जेल भेजा जाना, उत्तराखंड में पेपर लीक विरोधी छात्रों पर कार्रवाई और बिहार में संविदाकर्मियों व बर्खास्त कर्मचारियों पर लाठीचार्ज लोकतंत्र की नाकामी के उदाहरण हैं.

यह फासीवाद है – दीपंकर

यह फासीवाद है – दीपंकर

दीपंकर ने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर ने संगठित होने का आह्वान किया था, लेकिन आज संगठित आंदोलन को ही अपराध मान लिया गया है. उन्होंने राजनीतिक कैदी उमर खालिद की रिहाई की मांग करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक अधिकारों पर यह सीधा हमला है.

उन्होंने बिहार में भाजपा नेताओं द्वारा सांप्रदायिक माहौल बनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि भाषा और समुदायों को बदनाम करके बहुमत की राजनीति की किया जा रहा है . पूर्वी चंपारण के ढाका क्षेत्र में 80 हज़ार मतदाताओं के नाम सूची से गायब करने की घटना को उन्होंने लोकतंत्र पर हमला बताया है .

दलित और आरक्षण का सवाल

भट्टाचार्य ने दलितों के सवाल को सिर्फ आरक्षण तक सीमित न रखने की बात कही है. उन्होंने कहा कि भूमि सुधार को इस मुद्दे से जोड़ना जरूरी है. पुलिस भर्ती में 78 पदों की “चोरी” और इसके खिलाफ आवाज़ उठाने वाले दलित युवाओं पर हुए बर्बर लाठीचार्ज को उन्होंने गंभीर मामला बताया है.

कॉरपोरेट परस्ती चरम पर

जातिगत गणना के आधार पर 65% आरक्षण की मांग को उन्होंने जायज़ ठहराया और कहा कि मौजूदा हालात में यह दलित–पिछड़े युवाओं के साथ सीधी अन्याय है.

कॉरपोरेट परस्ती चरम पर

उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में 94 लाख परिवार गरीबी से जूझ रहे हैं, लेकिन सरकार रोजगार संकट का हल निकालने के बजाय कॉरपोरेट घरानों को जमीन सौंप रही है. भागलपुर के पीरपैंती में अदानी को मात्र एक रुपये सालाना पर 1050 एकड़ जमीन देने और दस लाख से अधिक पेड़ काटने की तैयारी को उन्होंने “कॉरपोरेट लूट” बताया है .

दीपंकर ने कहा कि बिहार में कृषि आधारित उद्योग की अपार संभावनाये हैं जिन्हें स्थानीय युवाओं और किसानों के हित में विकसित करना चाहिये.लेकिन सरकार की नीतियां राज्य को ,कॉरपोरेट की प्रयोगशाला” बना रही हैं.

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बदलो सरकार, बदलो बिहार

अपने संबोधन के अंत में दीपंकर ने कहा कि बिहार को “बुलडोज़र राज” और “कॉरपोरेट लूट राज” से बचाना होगा.सामाजिक न्याय में किसी भी कटौती को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.उन्होंने भगत सिंह की कुर्बानी और 1857, 1942 तथा 1974 जैसे आंदोलनों की परंपरा को याद करते हुए आह्वान किया कि अब “बदलो सरकार, बदलो बिहार” का झंझावात खड़ा करना समय की मांग है.

राजनीतिक प्रस्ताव पारित

परिचर्चा के अंत में कई अहम राजनीतिक प्रस्ताव पारित किए गए –

मताधिकार और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में “नो वोट टू एनडीए” अभियान चलाने का संकल्प.

कॉरपोरेट घरानों को जमीन सौंपने की नीति का विरोध और पीरपैंती में अदानी को दी गई जमीन का फैसला वापस लेने की मांग.

सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण 2023 के आधार पर 65% आरक्षण लागू करने और इसे संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने की मांग.

इंडिया गठबंधन द्वारा “अति पिछड़ा अत्याचार निवारण कानून” के वादे का समर्थन तथा एससी–एसटी अत्याचार निवारण कानून को और मजबूत करने की अपील.

भूमि सुधार और शिक्षा–रोजगार नीतियों को सामाजिक न्याय की बुनियाद बताते हुए इसे चुनाव का केंद्रीय मुद्दा बनाने की घोषणा.

कार्यक्रम में शामिल हस्तियां

परिचर्चा में भाकपा(माले) महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य के साथ पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी, पूर्व सांसद अली अनवर अंसारी, एमएलसी शशि यादव, कांग्रेस नेता शशि बी पंडित, आइसा नेता कुमार दिव्यम सहित कई सामाजिक–राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने अपने विचार रखे। अध्यक्षता सामाजिक न्याय आंदोलन के अध्यक्ष रामानंद पासवान ने की और संचालन कमलेश शर्मा व सुबोध यादव ने किया.

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