चुनाव आयोग ने किया वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन: 7.42 करोड़ मतदाता हुए शामिल

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Ajit Kumar

बिहार
चुनाव आयोग ने किया वोटर लिस्ट का अंतिम प्रकाशन: 7.42 करोड़ मतदाता हुए शामिल

बिहार चुनाव 2025 से पहले वोटर लिस्ट जारी, RJD ने कहा- साजिश हुई नाकाम

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,2025 – लोकतांत्रिक व्यवस्था में मतदाता सूची हर चुनाव का सबसे अहम आधार होती है.मतदाता सूची में नाम होना नागरिक के मतदान अधिकार की पहली शर्त है.इसी क्रम में चुनाव आयोग ने 30 सितंबर 2025 को बिहार की अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित कर दी है. इस सूची का इंतजार सभी राजनीतिक दलों और मतदाताओं को लंबे समय से था.

कितने मतदाताओं के नाम जुड़े और हटे?

चुनाव आयोग द्वारा जारी जानकारी के अनुसार, इस बार 21.53 लाख नए मतदाताओं के नाम सूची में जोड़े गए हैं, वहीं 3.66 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं.

प्रारूप मतदाता सूची (1 अगस्त 2025) में कुल 7.24 करोड़ मतदाता शामिल थे.

अंतिम सूची में यह संख्या बढ़कर 7.42 करोड़ हो गई.

यह साफ दर्शाता है कि आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और मतदाता सूची की पारदर्शिता को प्राथमिकता देते हुए बड़े पैमाने पर सुधार किया है .

RJD की प्रतिक्रिया: सुप्रीम कोर्ट का आभार

राजद (RJD) के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि अंतिम मतदाता सूची की प्रतियां सभी जिलाध्यक्षों तक पहुँचा दी गई हैं.
उन्होंने बताया कि –

राजद अपने बीएलए (Booth Level Agents) और पंचायत इकाईयों के माध्यम से इस सूची की बारीकी से जांच करेगी.

यदि किसी मतदाता का नाम अब भी छूटा है, तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार नाम जोड़वाने और त्रुटि सुधार का विकल्प मौजूद है.

जरूरत पड़ने पर, पार्टी सीधे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष शिकायत भी दर्ज कराएगी.

चित्तरंजन गगन ने यह भी कहा कि –

राष्ट्रीय जनता दल माननीय सुप्रीम कोर्ट का आभारी है, क्योंकि उसके हस्तक्षेप और पहल के कारण बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम काटने और फर्जी मतदाता जोड़ने की साजिश विफल हो गई.

मतदाता सूची क्यों है अहम?

मतदाता सूची सिर्फ नामों का आंकड़ा नहीं है, बल्कि लोकतंत्र की नींव है.

यह तय करती है कि कौन मतदान कर सकता है.

चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता इसी पर निर्भर करती है.

किसी नाम का छूटना सीधे तौर पर मताधिकार छिनने जैसा है.

इसलिए अंतिम सूची का प्रकाशन सिर्फ तकनीकी प्रक्रिया नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक विश्वास की कसौटी भी है.

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सुप्रीम कोर्ट की भूमिका

बिहार की मतदाता सूची को लेकर कई शिकायतें उठाई गई थीं –

बड़ी संख्या में सही मतदाताओं के नाम काटे गए.

वहीं फर्जी मतदाताओं को शामिल करने की आशंका भी जताई गई.

राजनीतिक दलों और नागरिक संगठनों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कड़े निर्देश दिया .परिणामस्वरूप, आज जारी सूची में पहले की तुलना में काफी सुधार देखने को मिला है.

विपक्ष और जनता की उम्मीदें

अब जब अंतिम मतदाता सूची सामने आ चुकी है, तो सभी राजनीतिक दलों की नजर इस बात पर रहेगी कि:

कितने वास्तविक मतदाता जोड़े गए हैं?

क्या अब भी कहीं गड़बड़ी बाकी है?

क्या यह सूची निष्पक्ष और पारदर्शी है?

राजद ने साफ किया है कि वे स्थानीय स्तर पर जांच के बाद ही कोई आधिकारिक बयान देंगे. इससे साफ है कि विपक्ष इस प्रक्रिया को लेकर बेहद सतर्क है.

निष्कर्ष

बिहार की अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन लोकतंत्र की दिशा में एक बड़ा कदम है.

7.42 करोड़ मतदाता अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया में अपनी भागीदारी के लिए तैयार हैं.

चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए सुधार किए, जिससे मतदाता सूची की विश्वसनीयता बढ़ी है.

RJD और अन्य दल अब इस सूची की स्थानीय स्तर पर जांच करेंगे ताकि किसी भी मतदाता को मतदान के अधिकार से वंचित न होना पड़े.

अंततः, यह कहा जा सकता है कि पारदर्शी और सही मतदाता सूची ही लोकतंत्र को मजबूत बनाने का सबसे बड़ा आधार है.

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