ईपिक नंबर घोटाला! तेजस्वी का नाम लिस्ट से गायब ?

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Ajit Kumar

बिहार
ईपिक नंबर घोटाला! तेजस्वी का नाम लिस्ट से गायब ? अब चुनाव आयोग और भाजपा की साजिश बेनकाब?

अब चुनाव आयोग और भाजपा की साजिश बेनकाब?

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 2 अगस्त :बिहार की राजनीति में भूचाल आ गया है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नाम को मतदाता सूची से गायब करने का सनसनीखेज मामला सामने आते ही चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़ा हो गया हैं.राजद ने सीधे-सीधे आरोप लगाया है कि भाजपा के इशारे पर आयोग लोकतंत्र की जड़ें खोदने में जुटा हुआ है.

तेजस्वी ने किया पर्दाफाश: मेरा नाम ही गायब है!

राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने मीडिया से बात करते हुए खुलासा किया कि तेजस्वी यादव ने खुद चुनाव आयोग की वेबसाइट पर लॉगइन कर अपना ईपिक नंबर RAB 2916120 दर्ज किया — लेकिन सूची में उनका नाम ही नहीं दिखा! यह कोई सामान्य गलती नहीं है बल्कि एक गहरी साज़िश की बू दे रही है.

जब यह मामला सामने आया तो भाजपा और आयोग के प्रवक्ता आनन-फानन में डैमेज कंट्रोल में जुट गया. कुछ घंटों के भीतर तेजस्वी का ईपिक नंबर बदलकर RABO 456228 कर दिया गया — बिना किसी सूचना या वैध प्रक्रिया के. क्या यह प्रशासनिक चूक है या राजनीतिक शरारत?

चुनाव आयोग की चुप्पी या मिलीभगत?

सबसे बड़ा सवाल यह है कि,ईपिक नंबर बदलने का अधिकार किसके पास है? चुनाव आयोग पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि प्रारूप मतदाता सूची में नाम, क्रम संख्या या बूथ बदले जा सकते हैं.लेकिन ईपिक नंबर कभी नहीं तो फिर तेजस्वी यादव के साथ ऐसा क्यों हुआ?

क्या आयोग ने भाजपा के दबाव में आकर यह नंबर बदला? अगर हां तो यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर सीधा हमला है. और अगर यह गलती है. तो क्या जनता के हर नाम के साथ ऐसी ही मनमानी हो सकता है?

चोरी भी और सीनाजोरी भी: भाजपा नेताओं की थेथरोलॉजी पर भड़के राजद

प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने भाजपा नेताओं पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जब चोरी पकड़ी गई.तो ये लोग थेथरोलॉजी (ढिठाई भरी सफाई) देने लगे है. दिल्ली से पटना तक भाजपा नेताओं ने बयानबाजी शुरू कर दिया है कि नाम लिस्ट से नहीं हटा, बस बूथ बदला है. लेकिन असली बात यह है कि नाम नहीं, पहचान ही बदल दिया गया.

राजद का कहना है कि अगर तेजस्वी जैसे राष्ट्रीय नेता के साथ यह हुआ है.तो आम नागरिकों के मताधिकार की क्या गारंटी है? क्या यह मतदाता सूची में छेड़छाड़ का एक सुनियोजित अभियान है?

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लोकतंत्र पर हमला या चुनावी साजिश?

राजद के इस खुलासे ने न केवल भाजपा बल्कि चुनाव आयोग को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है. यह सवाल अब केवल तेजस्वी यादव का नहीं है अब यह हर एक मतदाता का है. क्या आने वाले विधानसभा चुनाव में लोगों के वोट से पहले ही उनके नाम लिस्ट से मिटा दिए जाएंगे?

यदि इस मामले की निष्पक्ष और सार्वजनिक जांच नहीं हुई. तो यह बिहार के चुनावी इतिहास का सबसे बड़ा घोटाला बन सकता है.राजद ने संकेत दिया हैं कि वे इसे लेकर सड़क से लेकर अदालत तक लड़ाई लड़ने को तैयार हैं.

अब क्या करेगा चुनाव आयोग? जनता देख रही है!

यह मामला अब केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं रहा.यह लोकतंत्र, मतदाता अधिकार और संविधानिक प्रक्रिया की साख का मुद्दा बन गया है. क्या चुनाव आयोग इसपर पारदर्शी जांच करेगा? क्या भाजपा इस मामले में अपना स्पष्टीकरण देगी?

या फिर यह घटना भी राजनीतिक गलती कहकर दबा दिया जायेगा ?

बिहार की जनता सवाल पूछ रही है. और जवाब अब सिर्फ मीडिया या विपक्ष नहीं, चुनाव आयोग और सरकार को देना होगा.

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