शराबबंदी से लेकर पलायन तक!

| BY

Ajit Kumar

बिहार
शराबबंदी से लेकर पलायन तक!

PK की जन सुराज का मिशन बिहार!

तीसरा पक्ष ब्यूरो ,पटना :बिहार में सियासी हलचल: प्रशांत किशोर, जिन्हें राजनीतिक रणनीतिकार के तौर पर जाना जाता है, ने अपनी नई पार्टी जन सुराज के साथ बिहार की सियासत में तहलका मचा दिया है.2025 के विधानसभा चुनाव में जन सुराज ने सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है. लेकिन PK का असली दांव है बिहार के ज्वलंत मुद्दों—शराबबंदी और पलायन—पर केंद्रित उनका मिशन.

जन सुराज का मिशन: बिहार को नई दिशा

प्रशांत किशोर ने बिहार की दो सबसे बड़ी समस्याओं—शराबबंदी और पलायन—को अपने अभियान का केंद्र बनाया है.उन्होंने नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति को “नाकाम” करार देते हुए कहा कि यह केवल दिखावा है, जिसने अवैध शराब माफिया को बढ़ावा दिया. PK का वादा है कि जन सुराज शराबबंदी को प्रभावी ढंग से लागू करेगी और नशे की लत से निपटने के लिए जमीनी स्तर पर काम करेगी.

पलायन पर PK ने कहा, “बिहार के युवा रोजगार के लिए दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं.यह बिहार की सियासत की सबसे बड़ी विफलता है. जन सुराज का प्लान है स्थानीय स्तर पर रोजगार सृजन, स्किल डेवलपमेंट, और उद्योगों को बढ़ावा देना. इसके अलावा, पार्टी ने अधिक सेअधिक महिला उम्मीदवार उतारने का वादा किया है, जो बिहार की राजनीति में एक नया प्रयोग हो सकता है.राघोपुर सीट पर तेजस्वी को चुनौती देने का संकेत भी दिया.जवाब में, RJD ने PK के इस कदम को “सियासी ड्रामा” करार दिया और कहा कि जनता उनके “खोखले वादों” को समझती है.

क्या है जन सुराज का विजन?

शराबबंदी: प्रभावी नीति और अवैध शराब माफिया पर नकेल.

पलायन रोकथाम: स्थानीय रोजगार, स्किल ट्रेनिंग, और छोटे उद्योगों को बढ़ावा.

साफ-सुथरी राजनीति: भ्रष्टाचार पर लगाम और पारदर्शी प्रशासन.

बिहार की जनता क्या सोचती है?

ग्राउंड पर मिली-जुली प्रतिक्रिया है.कुछ लोग PK के नए दृष्टिकोण को बिहार के लिए उम्मीद की किरण मानते हैं, तो कुछ इसे एक और सियासी हथकंडा बताते हैं. पटना के कुछ युवा मतदाताने कहा, “PK की बातें अच्छी हैं, लेकिन बिहार में बदलाव आसान नहीं.वहीं, ग्रामीण इलाकों में शराबबंदी और रोजगार के वादे लोगों को आकर्षित कर रहे हैं.

प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने बिहार की सियासत में नया रंग भर दिया है. लेकिन क्या यह पार्टी नीतीश कुमार और लालू यादव जैसे दिग्गजों के सामने टिक पाएगी? 2025 का चुनाव जवाब देगा. तब तक, PK का यह मिशन चर्चा का विषय बना रहेगा.

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