2024 लोकसभा चुनाव में गुजरात में मतदान, अब बिहार के मतदाता कैसे?
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 13 अगस्त 2025 — बिहार की सियासत में हलचल मचाने वाला एक बड़ा बयान सामने आया है.राजद नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर भाजपा के एक वरिष्ठ नेता पर ऐसा आरोप लगाया है. जिसने चुनावी राजनीति में नई बहस छेड़ दिया है.राज्य सरकार और चुनाव प्रशासन के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दिया है. तेजस्वी ने दावा किया है कि गुजरात से ताल्लुक रखने वाले यह नेता अब बिहार के मतदाता बन गया है—वो भी बिना किसी स्थायी पते और मतदाता सूची में हिंदी नाम के बिना!
क्या यह केवल एक मौका है या इसके पीछे कोई सोच-समझ कर बनाया गया बिहार प्रोजेक्ट है?
आइए, आगे जानते हैं पूरा मामला विस्तार से…
गुजरात के नेता बिहार में बने मतदाता: क्या है पूरा मामला?
तेजस्वी यादव ने अपने ट्वीट में कहा है कि भाजपा के प्रदेश संगठन महामंत्री भीखू भाई दलसानिया जो गुजरात के निवासी हैं. अब बिहार विधानसभा चुनाव से पहले बिहार के मतदाता बन गये हैं.उन्होंने कहा कि ये नेता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बेहद करीबी माने जाता हैं और इन्हें भाजपा का विशेष बिहार प्रोजेक्ट बताया जा रहा है.
दिलचस्प बात यह है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भीखू भाई ने गांधीनगर (गुजरात) में मतदान किया था.लेकिन अब बिहार के मतदाता बनकर चुनाव मैदान में उतर रहा हैं. तेजस्वी ने इस पर सवाल उठाया है कि क्या ये नेता पांच वर्षों में कितने राज्यों में वोट डाल चुका हैं?
मतदाता सूची में अनियमितता: नाम हिंदी में नहीं, गुजराती में!
तेजस्वी यादव का आरोप है कि बिहार की मतदाता सूची में भीखू भाई दलसानिया का नाम हिंदी में दर्ज नहीं है.बल्कि गुजराती भाषा में लिखा गया है. इसका उद्देश्य स्पष्ट रूप से यह है कि हिंदी-भाषी मतदाता उनके नाम को पढ़ न सकें और पहचान न पाये.
साथ ही, जिस जगह उन्हें मतदाता बनाया गया है. वहां उनके नाम के साथ कोई स्थायी पता या मकान संख्या नहीं दर्ज है. यह चुनावी नियमों का उल्लंघन माना जा सकता है. जो चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है.
बहु-राज्यीय मतदान: लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा
तेजस्वी यादव ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे नेताओं द्वारा अलग-अलग राज्यों में वोट डालना लोकतंत्र की मूल भावना के खिलाफ है. इससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर बड़ा सवाल उठता है.
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को ऐसे मामलों की तुरंत जांच करना चाहिये. और यह सुनिश्चित करना चाहिये कि किसी भी प्रकार का मतदाता सूची में दुरुपयोग न हो.
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चुनाव आयोग और प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इस मुद्दे ने चुनाव आयोग और राज्य प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल खड़ा कर दिया हैं. तेजस्वी यादव ने साफ कहा है कि इस बार चुनाव आयोग बिहार में वोट चोरी जैसी घटनाओं को नहीं बर्दाश्त करेगा.
उन्होंने चेतावनी दिया है कि वे इस मामले की हर बारीकी पर नजर रखेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि बिहार चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हों.
राजनीतिक हलचल तेज: भाजपा की चुप्पी और विपक्ष का दबाव
इस पोस्ट के बाद बिहार की सियासी हलचल तेज हो गया है. भाजपा ने अभी तक इस आरोप पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दिया है. लेकिन विपक्ष ने इसे चुनावी घोटाला बताते हुए जांच की मांग किया है.
बिहार विधानसभा चुनाव में यह मुद्दा राजनीतिक बहस का केंद्र बन सकता है. जिससे सरकार और प्रशासन दोनों को जवाबदेह बनना होगा.
निष्कर्ष: लोकतंत्र की रक्षा के लिए सतर्कता आवश्यक
तेजस्वी यादव के आरोपों ने बिहार चुनाव के पृष्ठभूमि में एक संवेदनशील मुद्दा उजागर किया है. चुनावों की निष्पक्षता, मतदाता सूची की सटीकता और बहु-राज्यीय मतदान जैसे मसलों पर सरकार और चुनाव आयोग को तुरंत कार्रवाई करना होगा.
लोकतंत्र तभी मजबूत होगा जब हर नागरिक का मत सही तरीके से और बिना किसी धोखाधड़ी के गिना जाएगा.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.