हरियाणा में दलित IPS अधिकारी की आत्महत्या देश को झकझोरा

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kmSudha

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हरियाणा में दलित IPS अधिकारी की आत्महत्या देश को झकझोरा

मायावती बोलीं — जातिवाद का जहर अब भी जिंदा है

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,11 अक्टूवर 2025 — हरियाणा राज्य में आईजी रैंक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी वाई. पूरन कुमार द्वारा की गई आत्महत्या ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है. यह घटना न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाती है, बल्कि शासन-प्रशासन में अब भी गहराई से जड़ें जमाए हुये जातिवाद की सच्चाई को उजागर करता है.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने इस मामले को लेकर गहरी संवेदना व्यक्त की है और एक स्वतंत्र व निष्पक्ष जांचकारण कराने की मांग की है.

घटना का पृष्ठभूमि

जानकारी के अनुसार, हरियाणा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी वाई. पूरन कुमार, जिनकी पत्नी स्वयं हरियाणा की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हैं, ने हाल ही में आत्महत्या कर लिया है.
प्रारंभिक रिपोर्टों में कहा गया है कि उन्हें कार्यस्थल पर लगातार जातिवादी प्रताड़ना और भेदभाव का सामना करना पड़ रहा था. यह घटना प्रशासनिक व्यवस्था के भीतर व्याप्त उस अदृश्य जातिवादी विष को सामने लाती है, जो अब भी दलित और बहुजन अधिकारियों को समान अवसरों से वंचित करता है.

मायावती का बयान: जातिवाद का जहर अभी जिंदा है

मायावती ने अपने X (Twitter) पोस्ट में लिखा है कि यह घटना,अति-दुखद और अति-गंभीर है, जो एक सभ्य सरकार के लिए शर्मनाक स्थिति को दर्शाती है.
उन्होंने कहा है कि,

यह साबित करता है कि लाख दावों के बावजूद जातिवाद का दंश शासन-प्रशासन में कितना गहरा है और सरकारें इसे रोकने में विफल साबित हो रही हैं.

उन्होंने हरियाणा सरकार से यह भी अपील किया कि इस मामले की समयबद्ध, स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच करवाई जाए और दोषियों को सख्त सज़ा दी जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.

सरकार की नीयत और नीति पर सवाल

मायावती ने स्पष्ट कहा कि यह केवल किसी व्यक्ति की आत्महत्या नहीं है, बल्कि यह सरकार के,नीयत और नीति की असफलता का प्रतीक है.
उनका कहना है कि यदि सरकारें सच में सामाजिक न्याय के प्रति ईमानदार होतीं, तो प्रशासनिक तंत्र में व्याप्त जातिवादी सोच को खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाए गए होते.
उन्होंने चेतावनी दी है कि हरियाणा सरकार इस घटना की लीपापोती करने की कोशिश न करे और केवल औपचारिक जांच (खानापूर्ति) पर न रुके.

सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार से अपील

बसपा सुप्रीमो ने सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार से भी इस प्रकरण का संज्ञान लेने की मांग किया है .
उन्होंने कहा कि अगर देश के उच्चतम न्यायालय और केंद्र सरकार इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से नहीं लेंगी, तो देश के दलित और पिछड़े वर्गों में असंतोष और बढ़ेगा.
मायावती ने इस बात पर भी जोर दिया कि ऐसी घटनाएं न केवल व्यक्तिगत त्रासदी हैं बल्कि संवैधानिक मूल्य और सामाजिक न्याय के आदर्शों पर सीधा आघात हैं.

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आरक्षण और क्रीमी लेयर की बहस पर सवाल

मायावती ने अपने बयान के अंत में एक महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है — उन्होंने कहा कि यह घटना उन लोगों के लिए एक सीख है जो एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण को आर्थिक स्थिति से जोड़ने की बात करता हैं.
उन्होंने लिखा कि,धन और पद पाने के बाद भी जातिवाद उनका पीछा नहीं छोड़ता, इसलिए आरक्षण की मूल आत्मा — सामाजिक समानता और प्रतिनिधित्व — को कमजोर करने की कोशिश नहीं की जानी चाहिये .

सामाजिक न्याय की चुनौती

यह घटना उस सच्चाई को उजागर करता है कि आधुनिक भारत में भी सामाजिक समानता केवल कागज़ों पर सीमित है.
सरकारी दफ्तरों और उच्च प्रशासनिक सेवाओं में कार्यरत दलित अधिकारियों को अब भी मानसिक और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है.
जब उच्च शिक्षित और सशक्त पदों पर बैठे व्यक्ति भी जातिवाद के कारण टूटने पर मजबूर हो जाते हैं, तो यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गंभीर संकेत है.

निष्कर्ष

मायावती का बयान न केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया है, बल्कि यह सामाजिक न्याय, मानवाधिकार और समानता की दिशा में एक सच्ची चेतावनी भी है.
हरियाणा में वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या केवल एक व्यक्ति की मृत्यु नहीं, बल्कि उस व्यवस्था का आईना है जो आज भी जाति के नाम पर लोगों का गला घोंट रही है.
अब वक्त है कि सरकारें सिर्फ ,जांच की घोषणा न करें, बल्कि संवेदनशील और जवाबदेह शासन प्रणाली की दिशा में ठोस कदम उठाये.
यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी उस अधिकारी को, जिसने जातिवादी अन्याय के खिलाफ अपनी जान तक कुर्बान कर दी है.

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