पिता ने किया बेटी के प्रेमी को गोली मारकर हत्या
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 10 अगस्त :जब प्यार बना अपराध और जाति बना हथियार,21वीं सदी का भारत अंतरिक्ष की ऊँचाइयाँ छू रहा है.लेकिन समाज के कुछ कोने आज भी जाति, अहंकार और सामंती सोच की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है. जहां एक ओर युवा दिल बेखौफ होकर अपने भविष्य और प्यार का चुनाव करना चाहता हैं.वहीं दूसरी ओर समाज का एक वर्ग अब भी खून से, इज्जत, की रक्षा करता फिरता है.
ऐसा ही एक खौफनाक मामला बिहार के सुपौल जिले से सामने आया है.जहां एक युवा प्रेमी राहुल मंडल को उसकी जाति के नाम पर मौत के घाट उतार दिया गया – और हत्यारा कोई और नहीं, उसकी प्रेमिका का पिता निकला.यह केवल हत्या नहीं बल्कि एक पूरी पीढ़ी की सोच, स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों पर हमला है.
राष्ट्रीय जनता दल ने इस घटना को हल्के में नहीं लिया है.तेजस्वी यादव के नेतृत्व में पार्टी ने इसे न्याय और सामाजिक संघर्ष का मुद्दा बना दिया है.
आइए, अब इस दर्दनाक लेकिन ज़रूरी कहानी को विस्तार से समझते हैं — जो न सिर्फ एक प्रेम कथा का दुखद अंत है, बल्कि सरकार, प्रशासन और समाज के लिए एक कड़वा आईना भी है.
जब प्यार बना अपराध और जाति बना हथियार
राजद के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जानकारी दिया कि नेता प्रतिपक्ष श्री तेजस्वी प्रसाद यादव एवं प्रदेश अध्यक्ष श्री मंगनी लाल मंडल के निर्देश पर प्रदेश प्रधान श्री रणविजय साहू के हस्ताक्षर से एक परिपत्र जारी किया गया है. इसमें बताया गया है कि सुपौल जिले के पिपरा प्रखंड स्थित तुलापट्टी गांव निवासी श्री गणेश मंडल के पुत्र राहुल मंडल का विवाह सहरसा जिले के महिषी प्रखंड के वनगाँव की रहने वाली श्री प्रेमशंकर झा की पुत्री अनुप्रिया से दिनांक 05 मई 2025 को हुआ था.यह विवाह दोनों की आपसी सहमति और प्रेम पर आधारित था.और अंतरजातीय होने के बावजूद दोनों परिवारों को जोड़ने का एक मानवीय प्रयास था.
लेकिन दुखद रूप से, सामंती सोच और जातिवादी मानसिकता के कारण यह प्रेम विवाह एक त्रासदी में तब्दील हो गया.लड़की के पिता श्री प्रेमशंकर झा ने इस विवाह से क्षुब्ध होकर अपने ही दामाद राहुल मंडल की गोली मारकर हत्या कर दिया. इस हृदयविदारक घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है.
बिहार के सुपौल में प्रेम की कीमत बनी मौत ,सरकार चुप क्यों?
जाति के नाम पर युवक की हत्या, लड़की के पिता ने खुद चलाई गोली
बिहार के सुपौल जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आया है. जहां प्यार को जाति की दीवारों में घोंट दिया गया. तुलापट्टी गांव के राहुल मंडल ने अपनी पसंद की लड़की अनुप्रिया से शादी किया था. शादी प्रेम पर आधारित था और अंतरजातीय था – लेकिन शायद यही अपराध बन गया.लड़की के पिता, प्रेमशंकर झा ने जाति की ‘इज्जत’ बचाने के नाम पर अपने दामाद राहुल की गोली मारकर हत्या कर दिया है. यह न केवल एक हत्या है. बल्कि समाज में फैली जातिवादी मानसिकता की खौफनाक तस्वीर भी है.
कानून का शासन या जातिवादी तानाशाही?
हत्या के बाद भी आरोपी खुले में, प्रशासन मौन
इतनी नृशंस हत्या के बावजूद, प्रशासन की चुप्पी डरावनी है.सवाल उठता है कि – क्या बिहार में कानून का राज है या जाति के नाम पर अराजकता का? लड़की का पिता जो इस जघन्य अपराध का आरोपी है.अब तक कानून की गिरफ्त से बाहर है. क्या सत्ता की चुप्पी जाति के वोट बैंक की मजबूरी है या न्याय की कब्रगाह
RJD की एंट्री: तेजस्वी यादव के निर्देश पर बनी विशेष जांच टीम
दलित-पिछड़े समाज के प्रति प्रतिबद्धता का उदाहरण
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत एक उच्चस्तरीय जांच टीम का गठन किया है.इस जांच दल में पार्टी के वरिष्ठ नेता, विधायक और पूर्व जनप्रतिनिधि शामिल हैं, जो 13 अगस्त को घटनास्थल पर जाकर पीड़ित परिवार से मिलेंगे. यह टीम घटना की गहराई से जांच करेगा और 3 दिन के भीतर रिपोर्ट राज्य कार्यालय को सौंपेगा.यह कदम दिखाता है कि राजद केवल बयानबाज़ी हि नहीं वह जमीनी कार्रवाई में भरोसा रखता है.
राजद ने बनाई जांच टीम :राजद ने इस घटना की निष्पक्ष जांच और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने हेतु एक विशेष जांच दल का गठन किया है. इस जांच टीम में पार्टी के वरिष्ठ और अनुभवी नेता शामिल हैं:
- श्री उदय नारायण चौधरी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष – संयोजक
- श्री बीनू यादव, राष्ट्रीय महासचिव – सदस्य
- श्री ललित कुमार यादव, विधायक – सदस्य
- श्री यदुवंश कुमार यादव, पूर्व विधायक – सदस्य
- श्रीमती मधु मंजरी, प्रदेश उपाध्यक्ष – सदस्य
- श्री मदन शर्मा, प्रदेश महासचिव – सदस्य
- श्री चुल्हाई कामत – सदस्य
- श्री रामकृष्ण मंडल – सदस्य
- श्री संतोष सरदार, जिलाध्यक्ष, सुपौल – सदस्य
जातिवाद बनाम संविधान: कब टूटेगी यह दीवार?
आज भी प्रेम, समानता और स्वतंत्रता के अधिकारों पर हमला
भारत का संविधान हर नागरिक को बराबरी, स्वतंत्रता और अपने जीवन के निर्णय लेने का अधिकार देता है. लेकिन सुपौल की यह घटना साफ दिखाता है कि ज़मीनी हकीकत में आज भी जाति, वर्चस्व और पितृसत्ता संविधान पर भारी है. क्या एक दलित युवक को प्यार करने और शादी करने की इतनी बड़ी सज़ा दिया जा सकता है ? यह सवाल हर संवेदनशील नागरिक को झकझोर देना चाहिये.
अब क्या करे सरकार?
मुख्यमंत्री से मांग: दोषी को फांसी और पीड़ित परिवार को न्याय
यह समय बयान देने का नहीं है.बल्कि कार्रवाई का है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इस मामले में खुद हस्तक्षेप करना चाहिये.दोषी को कड़ी से कड़ी सज़ा दिलाना केवल न्याय नहीं होगा बल्कि पूरे बिहार के लिए एक मिसाल होगा.साथ ही पीड़ित परिवार को आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा दिया जाना चाहिये. राहुल की हत्या अकेले उसके शरीर की नहीं, एक विचार, एक सपने, एक उम्मीद की हत्या है.
निष्कर्ष:
सुपौल की यह घटना केवल एक प्रेमी की हत्या नहीं है बल्कि यह पूरे समाज, सरकार और संविधान के लिए एक आइना है. अगर अब भी हम खामोश रहा. तो अगला राहुल कौन होगा – यह तय करने का अधिकार हमारे हाथ में नहीं होगा.

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