मल्लिकार्जुन खड़गे का बड़ा हमला: भारत को चाहिए आर्थिक सुधारों की दूसरी क्रांति

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Ajit Kumar

भारत
मल्लिकार्जुन खड़गे का बड़ा हमला: भारत को चाहिए आर्थिक सुधारों की दूसरी क्रांति

कांग्रेस अध्यक्ष ने आर्थिक सुस्ती, बढ़ती असमानता और बेरोजगारी को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों की आलोचना किया

तीसरा पक्ष ब्यूरो दिल्ली 24 जुलाई :कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देश की वर्तमान आर्थिक स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई है.और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है.अपने आधिकारिक सोशल मीडिआ प्लेटफॉम एक्स,अकाउंट पर एक विस्तृत पोस्ट में उन्होंने 1991 के आर्थिक सुधारों को याद करते हुए कहा कि आज भारत को एक बार फिर उसी तरह के क्रांतिकारी सोच की ज़रूरत है.

खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर आरोप लगाया कि पिछले 11 वर्षों में आर्थिक नीतियों में साहसिक निर्णयों की भारी कमी रहा है.जिससे न केवल देश की आर्थिक प्रगति रुका है. बल्कि मध्यम वर्ग और गरीब वर्ग भी गहरे संकट में है.

1991 का आर्थिक सुधार: कांग्रेस की विरासत

खड़गे ने 1991 में कांग्रेस सरकार द्वारा शुरू किए गए उदारीकरण को ऐतिहासिक उपलब्धि बताया है.उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव और तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व की सराहना किया.जिनके मार्गदर्शन में भारत ने वैश्विक बाजार की ओर पहला कदम रखा.

“1991 का बजट भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था. जिसने करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में मदद की: मल्लिकार्जुन खड़गे

उनका कहना है कि उस समय शुरू हुई आर्थिक नीतियों ने मध्यम वर्ग को आकार दिया और समावेशी विकास की नींव रखा. कांग्रेस इस विरासत पर गर्व करता है और अब समय आ गया है कि देश एक नई आर्थिक यात्रा कि शुरूआत करे.

बेरोजगारी, असमानता ,आर्थिक सुस्ती पर कांग्रेस ने केंद्र को घेरा

उन्होंने वर्तमान आर्थिक हालात पर चिंता जताते हुए कहा कि आज देश घटती विकास दर, बढ़ती असमानता और बेरोजगारी की गंभीर चुनौतीयो से जूझ रहा है. मध्यम वर्ग की आमदनी ठहरसा गया है. घरेलू बचत दर लगातार घट रहा है और युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है.

खड़गे ने मोदी सरकार पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि वर्तमान नीतियों में न तो दूरदर्शिता है और न ही साहसिक फैसलों की क्षमता. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की विफलताओं के कारण भारत कृषि और विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में व्यापार युद्ध का सामना कर रहा है.

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आज की आर्थिक स्थिति पर चिंता

खड़गे ने मौजूदा सरकार की आर्थिक नीतियों को विफल बताते हुए कहा कि भारत आज जिन समस्याओं से जूझ रहा है. उनमें शामिल हैं,

  • घटती विकास दर
  • बढ़ती असमानता
  • स्थिर वेतन वृद्धि
  • गिरती घरेलू बचत
  • बेरोजगार युवा वर्ग
  • कृषि और निर्माण क्षेत्र पर व्यापार युद्ध का असर

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आज का मध्यम वर्ग और गरीब तबका सरकार के चहेते कॉरपोरेट घरानों की लूट का शिकार होते जा रहा है.

सुधार नहीं, विनाश की ओर ले जा रही है मोदी सरकार

खड़गे ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि मोदी सरकार की नीतियों में दूरदर्शिता और त्वरित कार्रवाई की काफी कमी है. उन्होंने इसे विनाशकारी आर्थिक सोच करार दिया है.

“हमारा कृषि और विनिर्माण क्षेत्र व्यापार युद्ध की चपेट में है. और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है: खड़गे

उन्होंने कहा कि सिर्फ ‘बड़े भाषणों’ और ‘लोकप्रिय नारों’ से अर्थव्यवस्था नहीं चलती है.बल्कि ठोस और दूरदर्शी फैसलों की जरूरत होती है.

दूसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधार: एक नई जरूरत

खड़गे ने यह भी साफ कहा कि देश को अब दूसरी पीढ़ी के आर्थिक सुधारों की जरूरत है. ऐसी नीतियां जो न केवल विदेशी निवेश को आकर्षित करें. बल्कि छोटे उद्योगों, किसानों, मजदूरों और मध्यम वर्ग के लिए भी फायदेमंद हों.

उनका मानना है कि भारत को एक समावेशी और टिकाऊ आर्थिक मॉडल की ओर बढ़ने की आवश्यकता है. जहां अमीर और गरीब दोनों की हिस्सेदारी सुनिश्चित हो.

निष्कर्ष

मल्लिकार्जुन खड़गे का यह बयान एक अहम समय पर आया है. जब देश आर्थिक अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है. उनका सीधा संदेश है कि अगर देश को आगे बढ़ाना है तो सरकार को अब बोलने से ज़्यादा करने पर ध्यान देना होगा.

क्या केंद्र सरकार कांग्रेस के इस सुझाव को गंभीरता से लेगी? या एक बार फिर राजनीति और विचारधाराओं की दीवारें देश के आर्थिक भविष्य को रोकेंगी?

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