जय जवान जय किसान’ का नारा: आत्मनिर्भर भारत की नींव
तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली,2 अक्टूबर 2025 – भारत की आज़ादी के इतिहास और स्वतंत्र भारत के निर्माण में जिन महान नेताओं का योगदान अमिट है, उनमें लाल बहादुर शास्त्री का नाम हमेशा स्वर्ण अक्षरों में लिखा जायेगा.सादगी, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और सेवा-भावना से परिपूर्ण शास्त्री जी का जीवन देशवासियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहा है.
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने X (Twitter) अकाउंट पर एक पोस्ट के माध्यम से शास्त्री जी को याद किया. उन्होंने लिखा –
“सच्चा लोकतंत्र कभी भी असत्य व हिंसा के बल से प्राप्त नहीं हो सकता. महान स्वतंत्रता सेनानी, पूर्व प्रधानमंत्री एवं भारत रत्न श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने अपने कर्म व विचारों से देश को ऐतिहासिक मजबूती दी है .उन्होंने देशवासियों को सत्य, साहस, सेवा, समर्पण और सौहार्द का संदेश देकर देश की तरक्की के लिए प्रेरित किया एवं ‘जय जवान जय किसान’ के मूलमंत्र के जरिये देश को भविष्य का मार्ग दिखाया है.शास्त्री जी का जीवन कर्मठता, सादगी और सेवा की मिसाल है.
प्रियंका गांधी वाड्रा की यह श्रद्धांजलि न सिर्फ़ शास्त्री जी की महानता को दर्शाती है, बल्कि आज के समय में उनके विचारों की प्रासंगिकता को भी उजागर करती है.
लाल बहादुर शास्त्री का जीवन और योगदान
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय (अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर) में हुआ था.उनका जीवन अत्यंत सादगी और संघर्षों से भरा रहा. बचपन में पिता का साया खो देने के बाद भी उन्होंने कठिन परिस्थितियों में शिक्षा प्राप्त की और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाई है.
शास्त्री जी स्वतंत्र भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने.उनका प्रधानमंत्री कार्यकाल भले ही छोटा रहा हो, लेकिन इस अवधि में उन्होंने जो निर्णय लिए और देश को जो मार्गदर्शन दिया, उसका प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है.
जय जवान जय किसान’ का नारा: आत्मनिर्भर भारत की नींव
1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान शास्त्री जी ने नारा दिया – “जय जवान, जय किसान”.
यह नारा केवल शब्द नहीं था, बल्कि एक दृष्टिकोण था जिसने देशवासियों को आत्मनिर्भरता और एकता का संदेश दिया.
जय जवान: देश की रक्षा करने वाले सैनिकों को सम्मान और प्रेरणा.
जय किसान: किसानों को देश की रीढ़ मानते हुए उनकी मेहनत को राष्ट्र निर्माण से जोड़ना.
आज जब भारत कृषि और रक्षा दोनों क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, तब शास्त्री जी का यह नारा और भी प्रासंगिक हो उठता है.
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लोकतंत्र पर शास्त्री जी के विचार
प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने पोस्ट में लिखा – “सच्चा लोकतंत्र कभी भी असत्य व हिंसा के बल से प्राप्त नहीं हो सकता”
यह वाक्य शास्त्री जी की लोकतंत्र के प्रति गहरी निष्ठा को दर्शाता है.उनका मानना था कि लोकतंत्र की बुनियाद सत्य, न्याय और समानता पर टिकी होनी चाहिये
आज जब देश और दुनिया में लोकतंत्र की चुनौतियाँ सामने हैं, तब शास्त्री जी के विचार यह याद दिलाते हैं कि हिंसा और झूठ से लोकतंत्र को स्थायी मजबूती नहीं मिल सकती.
प्रियंका गांधी वाड्रा का संदेश: प्रासंगिकता और प्रेरणा
प्रियंका गांधी वाड्रा द्वारा शास्त्री जी को दी गई श्रद्धांजलि सिर्फ़ एक स्मरण नहीं है, बल्कि यह आज की राजनीति और समाज के लिए भी संदेश है.
सत्य और साहस को अपनाना
सेवा और समर्पण की भावना रखना
सौहार्द और एकता के रास्ते पर चलना
ये वे मूल्य हैं जिन्हें शास्त्री जी ने अपने जीवन में अपनाया और आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण स्थापित किया.
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शास्त्री जी की सादगी और सेवा भावना
लाल बहादुर शास्त्री का जीवन उनके व्यक्तित्व का सबसे बड़ा परिचय था. प्रधानमंत्री बनने के बाद भी वे सादगीपूर्ण जीवन जीते रहे.
उन्होंने कभी विलासिता को स्थान नहीं दिया.
भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ दृढ़ता से खड़े रहे.
जनता से सीधा संवाद और भरोसा कायम रखा.
उनकी यही सादगी उन्हें जनता का प्रिय नेता बनाती है.
निष्कर्ष
लाल बहादुर शास्त्री केवल एक प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि एक आदर्श और प्रेरणा हैं. उनका दिया गया संदेश – “जय जवान, जय किसान”, लोकतंत्र पर उनका विश्वास, और सेवा-भावना से भरा जीवन हमें सिखाता है कि नेतृत्व केवल सत्ता प्राप्त करने का साधन नहीं है, बल्कि यह सेवा और समर्पण का मार्ग है.
प्रियंका गांधी वाड्रा का यह पोस्ट हमें शास्त्री जी के विचारों को पुनः याद करने और अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा देता है.सच्चे लोकतंत्र, सौहार्द और आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने के लिए शास्त्री जी के आदर्श सदैव प्रासंगिक रहेंगे.
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