23 जुलाई 2025 को पटना में महाधरना: महाबोधि महाविहार की मुक्ति और भंते विनयचार्य की रिहाई की मांग

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Ajit Kumar

बिहार
23 जुलाई 2025 को पटना में महाधरना: महाबोधि महाविहार की मुक्ति और भंते विनयचार्य की रिहाई की मांग

भंते विनयचार्य की रिहाई की मांग: बौद्ध समुदाय का ऐतिहासिक संघर्ष शुरू!

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,20 जुलाई : बिहार बुद्धिस्ट समन्वय संघ (BSS) बिहार ने 23 जुलाई 2025 को गर्दनीबाग पटना में एक ऐतिहासिक महाधरना आयोजित करने का ऐलान किया है. इस धरने का मुख्य उद्देश्य महाबोधि महाविहार के नियंत्रण में बदलाव और भंते विनयचार्य की रिहाई की मांग है.यह आंदोलन राज्य सरकार के द्वारा लागू किए गए BTMC एक्ट 1949 को रद्द करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. महाबोधि महाविहार जो न केवल बिहार बल्कि सम्पूर्ण बौद्ध दुनिया का एक ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल है.उसको राज्य सरकार के नियंत्रण से मुक्त करने की इस मुहिम में संघ ने लोगों से बड़ी संख्या में शामिल होने की अपील किया है.

महाबोधि महाविहार को मुक्त करने की आवश्यकता

महाबोधि महाविहार जो कि बोधगया में स्थित है.बौद्ध धर्म का सबसे प्रमुख स्थल है. इसे बोधगया में गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति का स्थल माना जाता है.यह स्थल बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है.और इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त स्थल भी है.

लेकिन BTMC एक्ट 1949 के तहत महाविहार का प्रशासन राज्य सरकार के नियंत्रण में है. जिसके कारण धार्मिक स्वतंत्रता और महाविहार की स्वायत्तता पर गंभीर सवाल उठता रहा है. बुद्धिस्ट समन्वय संघ का यह मानना है कि इस एक्ट का निराकरण किया जाना चाहिए ताकि महाविहार का प्रशासन पूरी तरह से बौद्ध समुदाय के हाथों में हो. जो इसकी धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की बेहतर तरीके से रक्षा कर सके.

भंते विनयचार्य की रिहाई की मांग

धरने का दूसरा मुख्य बिंदु है भंते विनयचार्य की रिहाई मांग जो पिछले कुछ समय से विभिन्न कारणों से कथित रूप से अन्यायपूर्ण तरीके से बंदी बनाए गये है. संघ के सदस्य इस बात पर जोर दे रहा है कि भंते विनयचार्य का कारावास न केवल उनके व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन है. बल्कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का भी अवहेलना है.संघ का कहना है कि भंते विनयचार्य एक प्रमुख धार्मिक नेता हैं. जिन्होंने हमेशा बौद्ध समुदाय के हितों की रक्षा किये है.और इसलिए उनकी रिहाई तत्काल किया जाना चाहिये.

धरने का आयोजन और जन जागरूकता

महाधरने का आयोजन करने से पहले संघ ने इस मुद्दे के प्रति जन जागरूकता फैलाने के लिए एक व्यापक प्रचार अभियान चलाया है. 20 जुलाई 2025 को मालाकार होटल, फुलवारीशरीफ, पटना में आयोजित एक बैठक में संघ के प्रमुख कार्यकर्ताओं और मिशनरियों ने इस आंदोलन को ऐतिहासिक बनाने का संकल्प लिया है. बैठक में लोगों से अपील किया गया है कि वे अगले दो दिनों में अपने-अपने क्षेत्रों में अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करें ताकि इस महाधरना में लोग अधिक से अधिक संख्या में भाग लें सके.

सभी मिशनरियों को हैंडबिल और पैंपलेट वितरित किया गया है. ताकि अधिक से अधिक लोग इस महाधरना के उद्देश्य को समझ सकें और इसमें भाग ले सकें. बैठक में प्रमुख कार्यकर्ताओं जैसे कि भंते अस्सजी, भंते बुद्ध प्रताप विनय, राजेश्वर बौद्ध, जागेश्वर चौधरी, मुन्ना मालाकार, मनोज प्रभावी, धर्मेंद्र कुमार, बंटी चौधरी, आनंद कुमार, बैजनाथ भास्कर, विशाल कुमार, विनय कुमार, संतोष कुमार, शिव कुमार, विनय नारायण, अमरकांत कुमार, और रामेश्वर पासवान ने भाग लिया और इस आंदोलन की सफलता के लिए एकजुट होकर काम करने का संकल्प लिया.

महाभारत की भांति ऐतिहासिक प्रयास

संघ का मानना है कि यह धरना केवल एक बौद्ध धार्मिक समुदाय की समस्या नहीं है. बल्कि यह भारत के धर्मनिरपेक्षता और संविधानिक मूल्यों के भी पक्ष में है. महाबोधि महाविहार और भंते विनयचार्य के अधिकारों की रक्षा का मुद्दा भारतीय लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है. जो धर्मनिरपेक्षता और स्वतंत्रता की बुनियाद पर आधारित है.

संघ ने यह भी कहा कि इस धरने में भाग लेकर लोग न केवल महाबोधि महाविहार और बौद्ध समुदाय के अधिकारों की रक्षा में मदद करेंगे. बल्कि यह समस्त भारतीय समाज में धर्मनिरपेक्षता और संविधान की रक्षा का प्रतीक भी बनेगा.

आप भी करें भागीदारी

संघ ने अपनी अपील में कहा है कि इस ऐतिहासिक धरने में भाग लेकर आप अपनी गौरवशाली धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को बचाने में एक सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं. यदि आप मानवता के समर्थक हैं और भारतीय संविधान में आस्था रखते हैं. तो यह मौका है अपनी आवाज बुलंद करने का.

नमो बुद्धाय, जय भीम – इस मंत्र के साथ संघ ने सभी नागरिकों से आह्वान किया है कि वे इस आंदोलन में शामिल होकर महाबोधि महाविहार की मुक्ति और भंते विनयचार्य की रिहाई की इस मुहिम को सफल बनाये.

निष्कर्ष:

इस महाधरने का महत्व न केवल बौद्ध समुदाय के लिए है. बल्कि यह समूचे भारतीय समाज के लिए एक बड़ा सामाजिक और राजनीतिक कदम हो सकता है. यह आंदोलन महाबोधि महाविहार और बौद्ध धर्म के प्रतीकों को बचाने के लिए नहीं. बल्कि भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करने के लिए है.

23 जुलाई 2025 को गर्दनीबाग, पटना में इस महाधरने में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं और अपनी आवाज़ उठाये.

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