37 या 82…? मौतों के आँकड़ों में कौन बोल रहा है झूठ? – अखिलेश यादव
तीसरा पक्ष डेस्क, प्रयागराज/ महाकुंभ 2021 के दौरान हुई रहस्यमयी मौतों और उसके बाद दिए गए मुआवज़े को लेकर सियासत एक बार फिर गर्मा गई है. समाजवादी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं.उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर एक विस्तृत पोस्ट साझा कर “सत्य बनाम सरकारी आंकड़ों” की बहस को हवा दी है.
मौतों के आंकड़ों में अंतर: किस पर करें भरोसा?

अखिलेश यादव ने सरकार द्वारा जारी किए गए मौतों के आंकड़ों को ‘झूठा’ करार दिया.उन्होंने सवाल उठाया कि जब आधिकारिक रिपोर्ट में सिर्फ 37 लोगों की मौत दिखाई गई है, तो ज़मीनी पत्रकारिता और स्वतंत्र रिपोर्ट्स में 82 मौतों का आंकड़ा कैसे सामने आ रहा है?
उन्होंने तंज कसते हुए लिखा, “क्या सरकार मौतों की गिनती भी चुनावी रणनीति की तरह तय करती है?”
यह भी पढ़े :-उत्तर प्रदेश में बिजली-पानी संकट पर सियासी संग्राम!
यह भी पढ़े :-सत्यपाल मलिक का दर्दनाक खुलासा: “एक कमरे में रह रहा, कर्ज में डूबा हूं”
नक़द मुआवज़ा: नियमों को किया गया ताक पर?
पूर्व मुख्यमंत्री ने मुआवज़ा वितरण की प्रक्रिया पर भी सवाल खड़े किए. उन्होंने आरोप लगाया कि मृतकों के परिजनों को जो राहत राशि दी गई, वह नकद में दी गई – जो कि संदेहास्पद है.
- अखिलेश यादव ने पूछा:
- नक़द मुआवज़ा देने का आधार क्या था?
- इस राशि का स्रोत क्या था?
- जिन परिवारों तक यह मुआवज़ा नहीं पहुँचा, उसकी वापसी किसके पास गई?
- क्या नक़द वितरण के लिए कोई आधिकारिक आदेश जारी हुआ था?
- अखिलेश ने संकेत दिया कि पूरी मुआवज़ा प्रक्रिया में वित्तीय अनियमितता या घोटाले की आशंका है, जिसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.
मौत के कारणों में छेड़छाड़ का आरोप

अखिलेश यादव ने यह भी दावा किया कि मृतकों की मौत के कारणों को बदलवाने के लिए प्रशासनिक दबाव बनाया गया.उन्होंने आरोप लगाया कि महाकुंभ को “सफल” और “व्यवस्थित” दिखाने की राजनीतिक मजबूरी में सच्चाई को दफन कर दिया गया.
सरकार ने एक इवेंट को ब्रांड बनाने के लिए इंसानी जिंदगियों की कीमत चुकाई – अखिलेश यादव
भाजपा की साख पर सवाल
अखिलेश यादव ने भाजपा पर तीखा हमला करते हुए कहा कि जो पार्टी झूठे आँकड़ों की नींव पर अपना राजनीतिक किला खड़ा करती है, उस पर जनता का भरोसा अब टूट रहा है. उन्होंने भाजपा समर्थकों को भी आत्ममंथन करने की सलाह दी.

सत्य की खोज’ अभी बाकी है
अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट के अंत में कहा कि यह रिपोर्ट महज शुरुआत है.उनका इशारा साफ था – समाजवादी पार्टी इस मुद्दे को छोड़ने वाली नहीं है.उन्होंने एलान किया कि महाकुंभ की मौतों और उससे जुड़ी वित्तीय प्रक्रियाओं का “महासत्य” सामने लाया जाएगा.
जब सत्य सामने आता है, तो झूठ की परतें खुद-ब-खुद गिरने लगती हैं. – अखिलेश यादव
निष्कर्ष:
महाकुंभ 2021 को लेकर उठे ये सवाल सिर्फ एक धार्मिक आयोजन तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सरकार की जवाबदेही, पारदर्शिता और मानव जीवन की कीमत को लेकर बड़ी बहस को जन्म दे रहे हैं.आने वाले दिनों में यह मामला और भी तूल पकड़ सकता है.

I am a blogger and social media influencer. I have about 5 years experience in digital media and news blogging.