हक दो – वादा निभाओ से बदलो बिहार अभियान’ तक : पांच साल का संघर्ष
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 26 अक्टूबर 2025 — बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी के बीच आज पटना में भाकपा (माले) ने अपना परिवर्तन संकल्प पत्र जारी किया है.यह घोषणा पार्टी के संस्थापक नेता का. रामनरेश राम की 15वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में किया गया.
इस अवसर पर पार्टी महासचिव का. दीपांकर भट्टाचार्य, राज्य सचिव कुणाल, AIPWA महासचिव मीना तिवारी, आरा सांसद सुदामा प्रसाद और प्रभात कुमार चौधरी सहित कई शीर्ष नेता मौजूद रहे.
माले का परिवर्तन संकल्प पत्र — चुनावी दस्तावेज़ या जनसंघर्ष का घोषणापत्र?
संकल्प पत्र की शुरुआत एक तीखे संदेश से होती है.
बीते दो दशकों से भाजपा-जदयू की सरकार ने बिहार को विनाश की ओर धकेल दिया है.
माले ने विकास, सुशासन और शिक्षा-स्वास्थ्य की दुर्दशा को राज्य की सबसे बड़ी त्रासदी बताया है.
पार्टी का कहना है कि 2020 में जनता बदलाव चाहती थी, लेकिन कुछ सीटों के अंतर से NDA बच गई.
अब माले का दावा है कि,बिहार बदलाव के मुहाने पर खड़ा है.
हक दो – वादा निभाओ से बदलो बिहार अभियान तक : पांच साल का संघर्ष
माले ने 2020 के बाद से लगातार जनता के मुद्दों पर आंदोलन किया है.
महागठबंधन सरकार के दौरान हुए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में जब 95 लाख गरीब परिवार सामने आए, तो माले ने ‘हक दो, वादा निभाओ अभियान चलाया.
इसके अलावा, बदलो बिहार अभियान, पदयात्रा और महाजुटान जैसी पहलकदमियों से माले ने राज्य के हर वर्ग तक पहुंचने की कोशिश किया है .
पार्टी के विधायकों ने अपने पांच साल का रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने पेश कर पारदर्शिता की एक नई मिसाल पेश की है.
20 सीटों पर चुनाव, लेकिन मुद्दे पूरे बिहार के
भाकपा (माले) इस बार केवल 20 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, पर उसके मुद्दे पूरे बिहार के हैं.
चाहे भूमिहीनों को जमीन देने का सवाल हो या किसान, महिला और युवा रोजगार की बात — हर वादा जनता के हक से जुड़ा है.
प्रमुख वादे
हर भूमिहीन को गांव में 5 डिसमिल जमीन, शहर में 3 डिसमिल प्लॉट
कर्ज माफी, मुफ्त बिजली, और सभी फसलों की सरकारी खरीद
65% आरक्षण को 9वीं अनुसूची में दर्ज कराने की पहल
बेरोजगारों को ₹3000 मासिक भत्ता, छात्राओं के लिए मुफ्त शिक्षा
महिलाओं को ₹2500 सम्मान राशि, माइक्रोफाइनेंस कर्ज माफी
स्वास्थ्य सेवाओं में 40% रिक्तियों की बहाली, हर पंचायत में स्वास्थ्य केंद्र
मनरेगा में 200 दिन काम, ₹600 दैनिक मजदूरी, और OPS की बहाली
INDIA गठबंधन में माले की भूमिका – विचारधारा की रीढ़ या सीटों का साथी?
भाकपा (माले) भले सीमित सीटों पर लड़ रही हो, लेकिन INDIA गठबंधन में उसकी भूमिका विचारधारा की रीढ़ की तरह है.
माले महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य बार-बार कहते हैं कि,
भाजपा-आरएसएस के फासीवादी निज़ाम को हराना लोकतंत्र बचाने की पहली शर्त है.
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि माले का यह वैचारिक रुख तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले गठबंधन को वैचारिक मजबूती देता है.
2020 में माले ने 12 सीटें जीती थीं — अगर वही रुझान दोहराया गया, तो यह गठबंधन के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है.
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क्या जनता माले के तीन तारा निशान पर भरोसा करेगी?
माले का प्रतीक चिन्ह तीन तारा बिहार के संघर्षशील तबकों का प्रतीक माना जाता है.
पार्टी का संदेश साफ है कि,
तीन तारा के सामने वाला बटन दबाइए, जनता के हक-अधिकार की सबसे मुखर आवाज़ को मजबूत बनाइए.
माले का यह संकल्प पत्र सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं, बल्कि राज्य की दिशा और दशा बदलने की घोषणा है.
अब देखना यह है कि क्या जनता इस विचारधारा आधारित राजनीति को मतों में तब्दील कर पाएगी या नहीं.
निष्कर्ष
भाकपा (माले) का परिवर्तन संकल्प पत्र बिहार की राजनीति में एक वैचारिक दस्तावेज़ के रूप में देखा जा रहा है.
जहां बाकी पार्टियाँ चेहरों और गठबंधनों पर केंद्रित हैं, वहीं माले जनता के मुद्दों और जवाबदेही पर भरोसा कर रही है.
अगर जनता ने इसे स्वीकार किया, तो यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक नहीं — वैचारिक परिवर्तन की शुरुआत बन सकता है.

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