महिला को पेड़ से बांधकर पीटा, बच्ची देखती रही बेबस
तीसरा पक्ष ब्यूरो चित्तूर, आंध्र प्रदेश 19 जून:आंध्र प्रदेश के चित्तूर ज़िले के कुप्पम निर्वाचन क्षेत्र, जो कि मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू का गढ़ माना जाता है, वहाँ से एक बेहद मानवता को झकझोर देने वाली घटना सामने आई है. जानकारी के अनुसार, गांव में एक महिला को पेड़ से बांधकर न केवल पीटा गया, बल्कि गालियां दी गईं और मुंह पर थूका गया, वह भी उसकी मासूम बच्ची के सामने बेबस देखती रही.
कुप्पम में महिला को पेड़ से बांधकर पीटने की घटना से मचा हड़कंप, सीएम चंद्रबाबू नायडू के निर्वाचन क्षेत्र में इंसाफ की गुहार लगाई.इस दिल दहला देने वाली घटना का ज़िक्र भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने अपने X हैंडल पर किया है, जिसमें उन्होंने सीएम से इस मामले में जवाबदेही मांगी है.
क्या है पूरा मामला?
पीड़िता का पति कुछ महीने पहले ₹80,000 कर्ज लेकर फरार हो गया। तब से महिला मजदूरी करके अपने बच्चों का पालन-पोषण कर रही थी और धीरे-धीरे कर्ज चुका रही थी.इस बार वह समय पर किश्त नहीं दे पाई, जिसके बाद गांव के कुछ लोगों ने उसे कथित तौर पर भीड़ बनाकर “सज़ा” देने का फैसला किया.
गांव में महिला को एक रस्सी से पेड़ से बांधकर न केवल मारा-पीटा गया, बल्कि मानसिक प्रताड़ना भी दी गई. इस दौरान उसकी बच्ची वहीं मौजूद थी और डरी-सहमी हुई सबकुछ देख रही थी.
भीम आर्मी की तीखी प्रतिक्रिया
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा है:
क्या मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में कानून नाम की कोई चीज़ नहीं बची है? क्या अब गांवों में भीड़ ही इंसाफ करेगी?
उन्होंने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से तीन मांगें रखीं:
दोषियों पर कड़ी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाए.
पीड़िता को सुरक्षा और सरकारी आर्थिक सहायता दी जाए.
ऐसी घटनाओं को किसी भी राजनीतिक संरक्षण से दूर रखा जाए.
कानूनी सवाल और प्रशासन की चुप्पी
इस मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या ग्रामीण क्षेत्रों में आम जनता को कानून अपने हाथ में लेने की छूट मिल चुकी है? अगर मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र में ही भीड़तंत्र का बोलबाला रहेगा, तो बाकी राज्य में आम नागरिकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी?
फिलहाल इस घटना पर प्रशासन की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
निष्कर्ष:
भारत के संविधान ने हर नागरिक को गरिमा से जीने का अधिकार दिया है. यदि इस तरह की घटनाएं होती रहीं और प्रशासन मूकदर्शक बना रहा, तो भीड़तंत्र के आगे न्याय और मानवता दोनों हार जाएंगे.

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