एनडीए के घोषणापत्र का मतलब जुमलापत्र: राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन

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Ajit Kumar

बिहार
एनडीए के घोषणापत्र का मतलब जुमलापत्र: राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन

कानून-व्यवस्था की हालत दिन-ब-दिन खराब क्यों होती जा रही है?

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 31 अक्टूबर 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के माहौल में एनडीए द्वारा जारी किए गए घोषणा पत्र पर राजनीति गर्मा गई है.राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने एनडीए के घोषणा पत्र को जुमलापत्र बताते हुए तीखा हमला बोला है.उनका कहना है कि चुनाव से पहले किए गए एनडीए के तमाम वादे अबतक सिर्फ जुमले बनकर रह गए हैं और उनके नेता स्वयं इसे कई बार स्वीकार कर चुके हैं.

एनडीए की नकलची राजनीति पर राजद का वार

एनडीए की नकलची राजनीति पर राजद का वार

राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कहा कि एनडीए की सरकार में न तो कोई विजन है और न ही मिशन.तेजस्वी यादव द्वारा बिहार के विकास को लेकर जो घोषणाएं की गई थीं, एनडीए ने उन्हीं का नकल कर अपने घोषणा पत्र में शामिल करने की कोशिश की है.

गगन ने याद दिलाया कि पिछले बीस वर्षों से बिहार में एनडीए की सरकार है, लेकिन अब तक विधानसभा चुनाव में उन्होंने कोई स्पष्ट घोषणा पत्र जारी नहीं किया था. उन्होंने कहा,

2015 के चुनाव में जब जदयू राजद के साथ गठबंधन में थी, तब सात निश्चय कार्यक्रम की घोषणा हुई थी.अब जब इंडिया गठबंधन ने तेजस्वी प्रण के रूप में संकल्प पत्र पेश किया, तो एनडीए ने उसी की नकल करते हुए अपने घोषणापत्र को भी ‘संकल्प पत्र’ का नाम दे दिया है.

राजद प्रवक्ता ने तंज कसते हुए कहा कि एनडीए को घोषणापत्र जारी करने की बजाय अपने 20 वर्षों की सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी करना चाहिए था.

बिहार 2005 से भी पिछड़ा क्यों? – गगन के सवाल

चित्तरंजन गगन ने एनडीए सरकार से कई तीखे सवाल दागे.उन्होंने कहा कि दो दशकों तक सत्ता में रहने के बाद भी बिहार आज पिछड़ेपन की कगार पर क्यों है?
उन्होंने पूछा:

नीति आयोग के पैमाने पर बिहार हर क्षेत्र में फिसड्डी क्यों है?

रोजगार और उद्योग के नाम पर आज भी बिहार खाली क्यों है?

तीन करोड़ से अधिक लोग रोजगार की तलाश में बिहार छोड़कर क्यों गए?

लाखों सरकारी पद रिक्त होने के बावजूद नौजवानों को लाठियां क्यों खानी पड़ती हैं?

शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था आज भी अन्य राज्यों पर निर्भर क्यों है?

कानून-व्यवस्था की हालत दिन-ब-दिन खराब क्यों होती जा रही है?

भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी कैसे हो गईं?

बीस सालों में एक भी बड़ा उद्योग या निवेश क्यों नहीं हुआ?

किसान और छोटे व्यवसायी लगातार घाटे में क्यों जा रहे हैं?

महंगाई आम आदमी की कमर क्यों तोड़ रही है?

उन्होंने जोड़ा कि जब सरकार बार-बार सुशास का दावा करती है तो फिर गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले 94 लाख परिवार और सरकारी अनाज पर निर्भर 80 लाख परिवार आज भी क्यों मौजूद हैं?

मुख्यमंत्री अस्वस्थ, तो सरकार कौन चला रहा है?

गगन ने एक और गंभीर सवाल उठाया कि,

मुख्यमंत्री जी की अस्वस्थता की स्थिति में आखिर सरकार चला कौन रहा है? जनता को यह जानने का अधिकार है कि निर्णय कौन ले रहा है और शासन किसके हाथ में है.

उन्होंने कहा कि यह स्थिति बिहार के लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि जनता को पारदर्शिता चाहिए, न कि सत्ता के गलियारों में भ्रम.

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बीस वर्षों का रिपोर्ट कार्ड पेश करें एनडीए

राजद प्रवक्ता ने कहा कि एनडीए को इंडिया गठबंधन का नकल कर घोषणापत्र जारी करने के बजाय अपने शासनकाल का विस्तृत रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने रखना चाहिए.
उस रिपोर्ट में यह बताया जाना चाहिए कि:

बीस साल में कितने नए उद्योग लगे?

कितने युवाओं को रोजगार मिला?

शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि में क्या सुधार हुए?

भ्रष्टाचार रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए गए?

गगन ने कहा कि अगर एनडीए अपने काम में ईमानदार होता, तो आज बिहार के लोगों को सवाल नहीं, सबूत मिलते.

तेजस्वी प्रण बनाम एनडीए संकल्प पत्र

राजद नेता ने कहा कि तेजस्वी प्रण में बिहार के भविष्य के लिए ठोस दृष्टिकोण है,
रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य, किसानों की आय, उद्योग और सामाजिक न्याय पर केंद्रित नीतियां हैं.
वहीं एनडीए का संकल्प पत्र केवल प्रतिक्रियात्मक है .

जब विपक्ष कुछ अच्छा करता है, तो एनडीए उसकी नकल कर जनता को गुमराह करने की कोशिश करता है.

निष्कर्ष

राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन के बयानों ने एनडीए के घोषणापत्र को लेकर सियासी बहस तेज कर दी है.बिहार की जनता अब यह तय करेगी कि वादों के जुमले पर भरोसा करे या विकास के संकल्प पर.

गगन के शब्दों में,

एनडीए का घोषणापत्र जनता को भ्रमित करने की एक पुरानी रणनीति है.बिहार अब बदलाव चाहता है, और बदलाव की दिशा तेजस्वी प्रण दिखा रहा है.

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