रक्षा बंधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पर्यावरण प्रेम

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Kumar Ranjit

बिहार
रक्षा बंधन पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का पर्यावरण प्रेम

वृक्ष को बांधी राखी, किया पौधारोपण,पर्यावरण रक्षा का संकल्प

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 9 अगस्त:रक्षा बंधन के शुभ अवसर पर जहां देशभर में भाई-बहन के रिश्ते की डोर को मजबूत किया जा रहा था.वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पावन पर्व को प्रकृति के प्रति समर्पण के रूप में मनाया. राजधानी वाटिका पटना में उन्होंने एक वृक्ष को रक्षा सूत्र बांधकर प्रकृति से रक्षा का वादा किया और एक नया पौधा रोपित कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धताजताया है.

वृक्ष को बांधी राखी, किया पौधारोपण,पर्यावरण रक्षा का संकल्प

बिहार वृक्ष सुरक्षा दिवस: एक अनोखी परंपरा की शुरुआत

वर्ष 2012 में 13 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रक्षा बंधन के दिन बिहार वृक्ष सुरक्षा दिवस की शुरुआत किये थे. तब से यह दिन न केवल भाई-बहन के रिश्ते का पर्व है. बल्कि वृक्षों की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण का सामाजिक संकल्प भी बन गया है. इस परंपरा ने अब जनांदोलन का रूप ले लिया है. जहां हज़ारों लोग हर साल वृक्षों को राखी बांधकर उन्हें संरक्षित करने का प्रण लेते हैं.

पर्यावरण की रक्षा,धरती की रक्षा

मुख्यमंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए वृक्षारोपण और हरियाली को बढ़ाना बेहद ज़रूरी है. उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि पर्यावरण की रक्षा, जीवन की रक्षा है. सरकार की प्रमुख योजना जल-जीवन-हरियाली अभियान इसी उद्देश्य को लेकर चलाया जा रहा है. जिसके अंतर्गत राज्यभर में लाखों पौधे लगाए गए हैं. और जल संरक्षण को प्राथमिकता दिया गया है .

इको टूरिज्म को नई उड़ान, हरियाली को पहचान

बिहार सरकार न केवल वृक्षारोपण कर रहा है.बल्कि राज्य में इको टूरिज्म को भी बढ़ावा दे रहा है. वन क्षेत्रों, पार्कों और जलाशयों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित किया जा रहा है. ताकि लोग प्रकृति से जुड़ें और स्थानीय रोजगार को भी प्रोत्साहन मिले. राजधानी वाटिका जैसे स्थल अब न केवल हरियाली के प्रतीक हैं.बल्कि पर्यावरणीय शिक्षा के भी केंद्र बनते जा रहा हैं.

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सामाजिक आंदोलन बनता वृक्षारोपण

आज राज्यभर में लोग सिर्फ पौधे नहीं लगा रहे.बल्कि उन्हें परिवार का सदस्य मानकर उनकी देखभाल भी कर रहे हैं. वृक्षों को राखी बांधना एक प्रतीकात्मक कदम है. लेकिन इसका सामाजिक और भावनात्मक प्रभाव गहरा है. इससे लोगों में यह भावना पैदा हो रहा है. कि प्रकृति की सुरक्षा व्यक्तिगत जिम्मेदारी है.

प्रकृति से रिश्ता जोड़ने का संदेश देता यह पर्व

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह पहल केवल एक सरकारी आयोजन नहीं.बल्कि एक सांस्कृतिक क्रांति है.रक्षा बंधन पर वृक्षों को राखी बांधना एक ऐसा विचार है जो भविष्य की पीढ़ियों को प्रकृति के साथ जोड़ता है. यह परंपरा दर्शाता है. कि रक्षा का भाव केवल इंसानों तक सीमित नहीं.बल्कि हमें अपने पर्यावरण की रक्षा का भी वचन लेना चाहिये.

निष्कर्ष:

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा की गई यह पहल केवल प्रतीकात्मक नहीं है.बल्कि सार्थक, सशक्त और समयानुकूल संदेश है. आज जब दुनिया भर में जलवायु संकट गहराता जा रहा है. तब बिहार जैसे राज्य में इस तरह के संवेदनशील और दूरदर्शी प्रयास एक नज़ीर बन सकता हैं.

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