चुनावी बहिष्कार नहीं, हार की तैयारी: नित्यानंद राय का पलटवार

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Kumar Ranjit

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परिवार नहीं, जनता होती है लोकतंत्र में मालिक: राय का तीखा तंज

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 24 जुलाई:केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने तेजस्वी यादव द्वारा चुनाव बहिष्कार की धमकी को हार की आशंका से उपजा हुआ एक नाटक बताया है और कहा है कि राजद अब आगामी विधानसभा चुनाव में संभावित पराजय से बचने के लिए बहाने ढूंढ रहा है.

नित्यानंद राय ने कहा कि तेजस्वी यादव को स्पष्ट रूप से यह अंदेशा हो गया है कि बिहार की जनता उन्हें पूरी तरह नकार चुकी है.इसी डर से वह चुनाव आयोग पर सवाल उठा रहे हैं और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ठेस पहुंचाने वाले बयान दे रहे हैं. चुनाव बहिष्कार की धमकी महज एक दिखावा है.असल में यह हार को छुपाने की रणनीति है.

राजद गुंडाराज और जंगलराज का प्रतीक :राय

नित्यानंद राय ने आरोप लगाते हुये कहा कि राष्ट्रीय जनता दल आज भी उस अराजक शासन व्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है जिसे बिहार की जनता पहले ही नकार चुका है.“राजद का गुंडाराज और जंगलराज अब इतिहास बन चुका है. बिहार अब विकास के रास्ते पर है और जनता फिर से एनडीए सरकार को समर्थन देने जा रहा है.

उन्होंने यह भी जोड़ा कि तेजस्वी यादव और महागठबंधन के अन्य नेता SIR जैसे मुद्दों के नाम पर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रहा हैं. लेकिन जनता अब जागरूक हो चुका है.98 प्रतिशत नागरिकों ने मतदाता सूची में सक्रिय भागीदारी दिखाया है. यह लोकतंत्र के प्रति जनता की आस्था का प्रमाण है.जिससे तेजस्वी यादव जैसे नेता घबरा रहे हैं.

बांग्लादेशी और रोहिंग्या वोटर्स की उम्मीद?

अपने बयान में राय ने तीखे शब्दों का इस्तेमाल करते हुए पूछा कि क्या तेजस्वी यादव बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के वोट से चुनाव जीतना चाहते हैं? उन्होंने दावा किया कि राजद नेतृत्व यह समझ चुका है कि बिहार की मूल जनता अब उनके झांसे में नहीं आने वाली है.

लोकतंत्र में फैसला जनता का होता है, परिवार का नहीं

पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और उजियारपुर से सांसद नित्यानंद राय ने तेजस्वी यादव पर परिवारवाद का भी आरोप लगाते हुये उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में सत्ता जनता के हाथ में होती है.किसी परिवार के पास नहीं. अगर तेजस्वी यादव में हिम्मत है तो वे जनता के फैसले का सामना करें. लोकतंत्र में भागीदारी से भागना किसी नेता के लिए अच्छा संकेत नहीं है. राय ने कहा.

निष्कर्ष: चुनाव से पहले ही बेचैन महागठबंधन

जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा हैं, सियासी बयानबाज़ी तेज होती जा रहा है. नित्यानंद राय के इस हमले से स्पष्ट है कि एनडीए अब आक्रामक चुनावी मोड में है और विपक्ष को घेरने की रणनीति अपना चुका है. वहीं, तेजस्वी यादव और महागठबंधन के रुख से संकेत मिलते हैं कि विपक्षी खेमा भी अपनी रणनीति को लेकर असमंजस और दबाव में है.

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